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Delhi News: दिल्ली के सबसे बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल के इंटर्न डॉक्टर्स की हड़ताल, स्टाइपेंड नहीं बढ़ाए जाने से नाराज

(चौधरी ब्रह्मा प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान के इंटर्न डॉक्टर हड़ताल पर हैं)

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दिल्ली के सबसे बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल चौधरी ब्रह्मा प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान के इंटर्न डॉक्टर बीते 48 घंटों से हड़ताल पर हैं. यह संस्थान दिल्ली के नजफरगढ़ इलाके में है जहां इंटर्न डॉक्टर 13 जुलाई से अस्पताल परिसर में हड़ताल पर बैठे हैं. जिससे उन्हें दिल्ली के किसी भी दूसरे मेडिकल कॉलेज की तरह स्टाइपेंड मिल सके.
दिल्ली के सबसे बड़े आयुर्वेदिक अस्पताल चौधरी ब्रह्मा प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान के इंटर्न डॉक्टर बीते 48 घंटों से हड़ताल पर हैं. यह संस्थान दिल्ली के नजफरगढ़ इलाके में है जहां इंटर्न डॉक्टर 13 जुलाई से अस्पताल परिसर में हड़ताल पर बैठे हैं. जिससे उन्हें दिल्ली के किसी भी दूसरे मेडिकल कॉलेज की तरह स्टाइपेंड मिल सके.
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इंटर्न डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें सबसे कम स्टाइपेंड दिया जा रहा है. डाक्टर्स ने कहा कि कोरोना काल में उन्हे आश्वाशन दिया गया था कि स्टाइपेंड बढ़ा दिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने बताया कि इसके खिलाफ उनके सीनियर भी पिछले चार साल से हड़ताल कर रहे हैं.
इंटर्न डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें सबसे कम स्टाइपेंड दिया जा रहा है. डाक्टर्स ने कहा कि कोरोना काल में उन्हे आश्वाशन दिया गया था कि स्टाइपेंड बढ़ा दिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने बताया कि इसके खिलाफ उनके सीनियर भी पिछले चार साल से हड़ताल कर रहे हैं.
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अब तक जितनी बार भी हड़ताल की गई है तब कॉलेज प्रशासन ने उन्हे केवल मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, उन्होंने स्टाइपेंड बढ़ान की फाइलें उच्च अधिकारियों को भेज दी हैं और जीसी बैठकों में स्टाइपेंड बढ़ाने के लिए मुद्दे को उठाया है, लेकिन अभी तक इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला है.
अब तक जितनी बार भी हड़ताल की गई है तब कॉलेज प्रशासन ने उन्हे केवल मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, उन्होंने स्टाइपेंड बढ़ान की फाइलें उच्च अधिकारियों को भेज दी हैं और जीसी बैठकों में स्टाइपेंड बढ़ाने के लिए मुद्दे को उठाया है, लेकिन अभी तक इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला है.
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इस संस्थान की एक इंटर्न डॉक्टर खुशबू ने बताया कि उनके सीनियर डॉक्टरों ने आरटीआई दायर की थी लेकिन फिर भी हमारे पक्ष में कुछ नहीं हुआ. प्रबंधन ने कहा कि भले ही वो वेतन वृद्धि के लिए सहमत हों, वो चिंतित जरूर हैं कि हमारे इंटर्न प्रभावी राजस्व उत्पन्न करने में सक्षम होंगे या नहीं. इससे यह साफ होता है कि वो स्टाइपेंड बढ़ाने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में राजस्व सृजन इंटर्न के हाथों में नहीं है.
इस संस्थान की एक इंटर्न डॉक्टर खुशबू ने बताया कि उनके सीनियर डॉक्टरों ने आरटीआई दायर की थी लेकिन फिर भी हमारे पक्ष में कुछ नहीं हुआ. प्रबंधन ने कहा कि भले ही वो वेतन वृद्धि के लिए सहमत हों, वो चिंतित जरूर हैं कि हमारे इंटर्न प्रभावी राजस्व उत्पन्न करने में सक्षम होंगे या नहीं. इससे यह साफ होता है कि वो स्टाइपेंड बढ़ाने के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में राजस्व सृजन इंटर्न के हाथों में नहीं है.
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खुशबू ने बताया कि इसके बाद इंटर्न डॉक्टर एकजुट हुए और प्रबंधन से जवाब मांगा लेकिन जून में किए गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला, कई बार पूछने और हड़ताल करने पर डॉक्टर्स को मौखिक प्रतिक्रिया मिली कि हमारा स्टाइपेंड जो अभी 15,120 रुपए है और हमारी फाइल को आगे भेज दिया गया है.
खुशबू ने बताया कि इसके बाद इंटर्न डॉक्टर एकजुट हुए और प्रबंधन से जवाब मांगा लेकिन जून में किए गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला, कई बार पूछने और हड़ताल करने पर डॉक्टर्स को मौखिक प्रतिक्रिया मिली कि हमारा स्टाइपेंड जो अभी 15,120 रुपए है और हमारी फाइल को आगे भेज दिया गया है.
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कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि जीसी का गठन नहीं किया गया है और डॉक्टरों की मदद करने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है. केवल दिल्ली सरकार के उच्च अधिकारी ही इस मामले में कुछ कर सकते है. उन्होंने बताया कि दिल्ली में दूसरे कॉलेज जैसे बी.आर. सुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, ए एंड यू टिब्बिया कॉलेज और अस्पताल को  23,500 रुपए का स्टाईपेंड मिल रहा है. और वीएमएमसी अस्पताल को  26,300 रुपए  मिल रहा है , ऐसे में हम सिर्फ 15,120 रुपए ही क्यों मिल रहे हैं.
कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि जीसी का गठन नहीं किया गया है और डॉक्टरों की मदद करने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है. केवल दिल्ली सरकार के उच्च अधिकारी ही इस मामले में कुछ कर सकते है. उन्होंने बताया कि दिल्ली में दूसरे कॉलेज जैसे बी.आर. सुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, ए एंड यू टिब्बिया कॉलेज और अस्पताल को 23,500 रुपए का स्टाईपेंड मिल रहा है. और वीएमएमसी अस्पताल को 26,300 रुपए मिल रहा है , ऐसे में हम सिर्फ 15,120 रुपए ही क्यों मिल रहे हैं.

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