Delhi में तेंदुए के बाद फैला बंदर का आतंक, कई घायल, लोग घर में दुबकने को मजबूर
बुढ़पुर गांव में बंदरों ने ऐसा आतंक मचा रखा है कि लोगों का घर से बाहर निकलना तक दूभर हो गया है. बच्चे घरों के बाहर या छतों पर खेलने तक नहीं जा रहे हैं. खास बात यह है कि बंदर ज्यादातर बुजुर्गों और बच्चों को ही अपना निशाना बना रहा है. जहां भी उन्हें देखता है, उन पर हमला कर उन्हें जख्मी कर देता है.
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View In Appहैरान करने वाली बात यह है कि स्थानीय लोगों द्वारा निगम की पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायतों के बाद भी इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं कि गई है. नतीजन अब तक यहां के लोग बंदर के आतंक से आतंकित हो कर घरों में रहने को मजबूर हैं.
अब तक बंदरों ने 10 से 12 बच्चे और बुजुर्गों को अपने हमले का शिकार बनाया है. बंदर के डर से जहां बुजुर्गों ने बाहर निकलना बंद कर दिया है, तो वहीं बच्चे बाहर तो दूर, घर की छत पर भी खेलने के लिए नहीं जा पा रहे हैं. बंदर के हमले से कई लोगों को गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, तो वहीं कई मासूम बच्चों का अभी भी अस्पताल से इलाज चल रहा है.
पीड़ितों की तस्वीरों को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरीके से बंदरों ने महिलाओं एवं मासूम बच्चों को निशाना बनाया है. ज्यादातर यह बंदर मासूम बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के चहरे पर हमला करते हैं. बंदरों की शिकार में कई महिलाएं भी शामिल हैं, जिनमें से किसी के हाथों पर पट्टी बंधी है और कई को शरीर पर कई जख्म बने हुए हैं तो कई के चेहरे को चोट पहुंचाई गई है.
हालात यह है कि यहां के लोग बंदरों के आतंक से इतने दहशत में हैं कि खुद को सुरक्षित रखने के लिए घरों में कैद होकर रहने को मजबूर हैं.
बीते दिनों रिहायशी सैनिक फार्म इलाके में तेंदुए के देखे जाने से तकरीबन सप्ताह भर लोग डर के साये में रहे और घरों से निकल भी नहीं पा रहे थे. उस तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग और दिल्ली पुलिस समेत तमाम तरह की एजेंसियां 5-6 दिनों तक लगी रही. हालांकि तेंदुए के कारण किसी के भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था.
कुछ माह पूर्व वसंतकुंज इलाके में कुत्तों के आतंक की भी खबरें सामने आई थी, जिसमें जंगली कुत्तों ने कई बच्चों समेत कुछ लोगों पर जानलेवा हमला किया था. इस मामले में मासूम सगे भाइयों की मौत भी हो गई थी. कई घटनाओं में बाद निगम ने कुत्तों के खिलाफ अभियान शुरू किया था, लेकिन बुढ़पुर गांव में बंदरों द्वारा इतने लोगों को शिकार बनाने के बाद भी प्रशासन अब तक सो रहा है.
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