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Delhi News: दिल्ली में रोजाना 1.5 टन ऑर्गेनिक खाद बनाती है NDMC, जानिए क्या है प्रोसेस और इसके फायदे?
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ग्रीन ऑर्गेनिक खाद्य बनाते हुए कर्मचारी
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![दिल्ली में गर्मियों ने दस्तक दे दी है. वहीं अभी मौसम ऐसा है जिसमे गर्मी के साथ हवाएं भी चल रही है. पतझड़ के मौसम में पेड़ों से सूखे पत्ते भी गिरते हैं और हर जगह गिरते हैं. यहां वहां सकड़ों और पार्कों में आपको पेड़ों के नीचे सूखे पत्ते नजर आएंगे. इसी को देखते हुए अब इन पत्तों से ग्रीन ऑर्गेनिक खाद बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/1267b64e6b82cec2ca74a4da46f793c23dbf2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
दिल्ली में गर्मियों ने दस्तक दे दी है. वहीं अभी मौसम ऐसा है जिसमे गर्मी के साथ हवाएं भी चल रही है. पतझड़ के मौसम में पेड़ों से सूखे पत्ते भी गिरते हैं और हर जगह गिरते हैं. यहां वहां सकड़ों और पार्कों में आपको पेड़ों के नीचे सूखे पत्ते नजर आएंगे. इसी को देखते हुए अब इन पत्तों से ग्रीन ऑर्गेनिक खाद बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.
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![इससे रोजाना 1.5 टन खाद बनाई जा रही है. दरअसल, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने अपने प्रमुख पार्कों और उद्यानों की सुंदरता को बनाए रखने के लिए इस ग्रीन ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करती है. एनडीएमसी के पास फिलहाल 47 क्षेत्र हैं. जिसमें नेहरू पार्क, लोधी गार्डन, तालकटोरा गार्डन और चिल्ड्रन पार्क के साथ कॉलोनी पार्क हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/772b0271242a77e59dafe7f3f7b5098d247b5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इससे रोजाना 1.5 टन खाद बनाई जा रही है. दरअसल, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) ने अपने प्रमुख पार्कों और उद्यानों की सुंदरता को बनाए रखने के लिए इस ग्रीन ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करती है. एनडीएमसी के पास फिलहाल 47 क्षेत्र हैं. जिसमें नेहरू पार्क, लोधी गार्डन, तालकटोरा गार्डन और चिल्ड्रन पार्क के साथ कॉलोनी पार्क हैं.
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![इन पार्कों में 110 कम्पोस्ट पिट बनाए गए हैं. इसके जरिए रोजाना 1 से 1.5 टन खाद का उत्पादन किया जाता है. इस खाद उत्पादन की प्रक्रिया में कम से कम 50-60 दिन का समय लगता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम सड़क के किनारे से पत्तियों के उठाने का काम करती है. वहीं पार्क के अंदर से इकट्ठे किए हुए सूखे कचरे यानी पत्ते को बागवानी विभाग कंपोस्ट पिट में ट्रीट करती है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/1c0fdf92749d6bc238fb3f6bb3b88e826cf05.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इन पार्कों में 110 कम्पोस्ट पिट बनाए गए हैं. इसके जरिए रोजाना 1 से 1.5 टन खाद का उत्पादन किया जाता है. इस खाद उत्पादन की प्रक्रिया में कम से कम 50-60 दिन का समय लगता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम सड़क के किनारे से पत्तियों के उठाने का काम करती है. वहीं पार्क के अंदर से इकट्ठे किए हुए सूखे कचरे यानी पत्ते को बागवानी विभाग कंपोस्ट पिट में ट्रीट करती है.
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![मौजूदा कम्पोस्ट पिट पार्कों के अंदर हुए पूरे हरे कचरे का उपयोग करने के लिए पर्याप्त है. जबकि सड़क की ओर से इकट्ठे किए गए कचरे को स्वास्थ्य विभाग की टीम ट्रकों के जरिए ओखला कम्पोस्ट प्लांट ले जाती है. वहीं ऑर्गेनिक खाद बनाने कि प्रक्रिया की तकनीकी जानकारी एनडीएमसी के निदेशक रईस अली ने दी है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/d6c3fa77b3ccce4b23de428792d9b64e2f357.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
मौजूदा कम्पोस्ट पिट पार्कों के अंदर हुए पूरे हरे कचरे का उपयोग करने के लिए पर्याप्त है. जबकि सड़क की ओर से इकट्ठे किए गए कचरे को स्वास्थ्य विभाग की टीम ट्रकों के जरिए ओखला कम्पोस्ट प्लांट ले जाती है. वहीं ऑर्गेनिक खाद बनाने कि प्रक्रिया की तकनीकी जानकारी एनडीएमसी के निदेशक रईस अली ने दी है.
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![निदेशक ने बताया कि गड्ढों में खाद बनाने के तीन कंपोनेंट हैं. जिनकी गहराई 2.30 से 3 मीटर होती है. इसके बाद पार्क या आसपास से सूखी पत्तियों को इकट्ठा किया जाता है, फिर पत्तियों को धूप में तब तक छोड़ दिया जाता है जब तक कि उनमें नमी न रह जाए. पत्तियों को धूप में छोड़ने के बाद शेडर मशीनों के जरिए ब्रांच से पत्तियों को अलग करके, सूखी पत्तियों को कुचला जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/4bfd83abedba15b8db0c127ac16ab19c476b7.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
निदेशक ने बताया कि गड्ढों में खाद बनाने के तीन कंपोनेंट हैं. जिनकी गहराई 2.30 से 3 मीटर होती है. इसके बाद पार्क या आसपास से सूखी पत्तियों को इकट्ठा किया जाता है, फिर पत्तियों को धूप में तब तक छोड़ दिया जाता है जब तक कि उनमें नमी न रह जाए. पत्तियों को धूप में छोड़ने के बाद शेडर मशीनों के जरिए ब्रांच से पत्तियों को अलग करके, सूखी पत्तियों को कुचला जाता है.
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![उन्होंने बताया कि पत्तियों को जितना संभव हो सके उतना पतला हो जाए मशीन के माध्यम से पाउडर में बदल दिया जाता है. वो खराब ना हो इसके लिए पावडर में रोगाणुओं और पानी का छिड़काव किया जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/03/25/c589cb637c75ff4d3cad0f994ff6e4e46e6b9.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
उन्होंने बताया कि पत्तियों को जितना संभव हो सके उतना पतला हो जाए मशीन के माध्यम से पाउडर में बदल दिया जाता है. वो खराब ना हो इसके लिए पावडर में रोगाणुओं और पानी का छिड़काव किया जाता है.
Published at : 25 Mar 2022 08:40 PM (IST)
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