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RRTS कॉरिडोर बनेगा ईको फ्रेंडली, स्टेशनों के बीच लगाए जा रहे हैं लाखों पौधे
RRTS Corridor News: एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर को पर्यावरण के अनुकूल बना रहा है. सौर पैनलों के उपयोग के अलावा, 2.5 लाख से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं. ये पौधे प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे.
![RRTS Corridor News: एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर को पर्यावरण के अनुकूल बना रहा है. सौर पैनलों के उपयोग के अलावा, 2.5 लाख से अधिक पौधे लगाए जा रहे हैं. ये पौधे प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/3f17bed2d04a84aec9784e49742d05031716914652250694_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
एनसीआरटीसी आरआरटीएस को हर तरह से खुद को इको फ्रेंडली बनाने की कवायद में लगा हुआ है. इस कड़ी में जहां एक तरफ आरआरटीएस कॉरिडोर को ग्रीन एनर्जी उत्पादक बनाने की दिशा में इसके स्टेशन और डिपो पर सौर पैनल लगाए जा रहे हैं ताकि, कम से कम कार्बन उत्सर्जन हो और सौर ऊर्जा से उतपन्न बिजली के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सके.
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![इसी कड़ी में एनसीआरटीसी, आरआरटीएस कॉरिडोर को वैश्विक पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप हरित और ईको फ्रेंडली बनाने के लिए साहिबाबाद से शताब्दी नगर मेरठ तक ढ़ाई लाख से ज्यादा पौधे लगा रहा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/1ccb856542945f69237a3685ad121304855e5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसी कड़ी में एनसीआरटीसी, आरआरटीएस कॉरिडोर को वैश्विक पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप हरित और ईको फ्रेंडली बनाने के लिए साहिबाबाद से शताब्दी नगर मेरठ तक ढ़ाई लाख से ज्यादा पौधे लगा रहा है.
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![ये पौधे कॉरिडोर के नीचे सड़क के बीच के मीडियन तथा स्टेशन और डिपो आदि में लगाए जा रहे हैं इनमें से आधे पौधे आरआरटीएस कॉरिडॉर के साहिबाबाद से शताब्दी नगर (मेरठ) तक के कुल 48 किमी के खंड में वायडक्ट के नीचे बने मीडियन में लगाए जा रहे हैं. जिसका काम 95 प्रतिशत से ज्यादा पूरा किया जा चुका है. जबकि बाकी के आधे पौधों को आरआरटीएस डिपो, दुहाई में लगाया गया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/b71b6b4fc07138afff85efb3389a86e76031e.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
ये पौधे कॉरिडोर के नीचे सड़क के बीच के मीडियन तथा स्टेशन और डिपो आदि में लगाए जा रहे हैं इनमें से आधे पौधे आरआरटीएस कॉरिडॉर के साहिबाबाद से शताब्दी नगर (मेरठ) तक के कुल 48 किमी के खंड में वायडक्ट के नीचे बने मीडियन में लगाए जा रहे हैं. जिसका काम 95 प्रतिशत से ज्यादा पूरा किया जा चुका है. जबकि बाकी के आधे पौधों को आरआरटीएस डिपो, दुहाई में लगाया गया है.
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![इनमें बोगनवेलिया, टिकोमा, प्लुमेरिया अल्बा, अल्लामांडा, मानसोआ, चमेली और मधुमालती के पौधे शामिल हैं. ये सभी पौधे खूबसूरत फूलों के लिए पहचाने जाते हैं. ये पौधे आरआरटीसी कॉरिडोर के साथ पूरे इलाके को हरा-भरा बनाने के साथ ही आकर्षक और मनमोहक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इन पौधे के रंग-बिरंगे फूलों से पूरा क्षेत्र खूबसूरत और मनमोहक बन जाएगा.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/9c99c43bd1f6b28220bcae4856bd469f2cccb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इनमें बोगनवेलिया, टिकोमा, प्लुमेरिया अल्बा, अल्लामांडा, मानसोआ, चमेली और मधुमालती के पौधे शामिल हैं. ये सभी पौधे खूबसूरत फूलों के लिए पहचाने जाते हैं. ये पौधे आरआरटीसी कॉरिडोर के साथ पूरे इलाके को हरा-भरा बनाने के साथ ही आकर्षक और मनमोहक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इन पौधे के रंग-बिरंगे फूलों से पूरा क्षेत्र खूबसूरत और मनमोहक बन जाएगा.
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![वहीं, दुहाई के आरआरटीएस डिपोमें लगाए गए लगभग 70-75 प्रकार के पौधों में फिक्स कॉम्पेक्टा, जुनिपरस चिनेंसिस, फ़िकस पांडा बॉल, त्रिकोणीय पाम, सिल्वर युक्का, प्लुमेरिया (चम्पा), केंटिया पाम, टर्मिनेलिया मैटेलिका, गोल्डन बम्बू , ड्रिकेनिया विक्टोरिया, स्पाइडर लिली, लैंटाना डिप्रेसा, नीम, गुलमोहर, अल्तमश, कचनार, अशोक, कदम, शीशम, सिल्वर ओक, टीक, कनेर, टिकोमा और बोगविलिया समेत अन्य पौधों एवं वृक्षों की प्रजातियां शामिल हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/27423197b6636730140b47f808a93f4c3e44a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
वहीं, दुहाई के आरआरटीएस डिपोमें लगाए गए लगभग 70-75 प्रकार के पौधों में फिक्स कॉम्पेक्टा, जुनिपरस चिनेंसिस, फ़िकस पांडा बॉल, त्रिकोणीय पाम, सिल्वर युक्का, प्लुमेरिया (चम्पा), केंटिया पाम, टर्मिनेलिया मैटेलिका, गोल्डन बम्बू , ड्रिकेनिया विक्टोरिया, स्पाइडर लिली, लैंटाना डिप्रेसा, नीम, गुलमोहर, अल्तमश, कचनार, अशोक, कदम, शीशम, सिल्वर ओक, टीक, कनेर, टिकोमा और बोगविलिया समेत अन्य पौधों एवं वृक्षों की प्रजातियां शामिल हैं.
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![जिनकी देखभाल के लिए निर्धारित टीमें लगाई गई हैं. कॉरिडोर के नीचे इन पौधों के लगाए जाने से यहां आकर्षक हरियाली है, जो पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग दे रही है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/44895da3545178ede5918c90b72d3cd290a31.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
जिनकी देखभाल के लिए निर्धारित टीमें लगाई गई हैं. कॉरिडोर के नीचे इन पौधों के लगाए जाने से यहां आकर्षक हरियाली है, जो पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग दे रही है.
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![बता दें कि, दुहाई (ईपीई) से शताब्दी नगर तक के खंड में मुरादनगर, मोदीनगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी और शताब्दी नगर समेत कुल 7 स्टेशन हैं. मुरादनगर से मोदी नगर नॉर्थ के बीच नमो भारत ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका है और इससे के आगे के स्टेशनों में निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/8801a7f24ff126ddcca2190d99639a78ce774.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बता दें कि, दुहाई (ईपीई) से शताब्दी नगर तक के खंड में मुरादनगर, मोदीनगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी और शताब्दी नगर समेत कुल 7 स्टेशन हैं. मुरादनगर से मोदी नगर नॉर्थ के बीच नमो भारत ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका है और इससे के आगे के स्टेशनों में निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं.
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![शताब्दी नगर से आगे मोदीपुरम तक भी कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है और इस सेक्शन के तैयार होने पर यहां भी पौधे लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/58e76b8ecd3154d12a93bb6a77ee800b09efc.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
शताब्दी नगर से आगे मोदीपुरम तक भी कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है और इस सेक्शन के तैयार होने पर यहां भी पौधे लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
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![परियोजना की संकल्पना से लेकर इसके कार्यान्वयन तक, एनसीआरटीसी निरंतर पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाता रहा है. प्री-डिज़ाइन चरण से शुरू होकर, निर्माण के प्रत्येक चरण में निम्न कार्बन उत्सर्जन को सुनिश्चित करना एनसीआरटीसी की प्राथमिकता रही है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/3ff9379f959743d76cfd6d06dc3bb58e199f8.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
परियोजना की संकल्पना से लेकर इसके कार्यान्वयन तक, एनसीआरटीसी निरंतर पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाता रहा है. प्री-डिज़ाइन चरण से शुरू होकर, निर्माण के प्रत्येक चरण में निम्न कार्बन उत्सर्जन को सुनिश्चित करना एनसीआरटीसी की प्राथमिकता रही है.
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![फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग, कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट का प्रभावी निपटान, हवादार और आरामदायक बिल्डिंग इंटीरियर का निर्माण, ऊर्जा-कुशल डिजाइन, वर्षा जल संचयन प्रणालियों का कार्यान्वयन और सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग जैसी तमाम पहल, सतत विकास के प्रति एनसीआरटीसी की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/28/7fef4e6cf7eedc1f909c9e18342f712967e4c.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग, कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट का प्रभावी निपटान, हवादार और आरामदायक बिल्डिंग इंटीरियर का निर्माण, ऊर्जा-कुशल डिजाइन, वर्षा जल संचयन प्रणालियों का कार्यान्वयन और सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग जैसी तमाम पहल, सतत विकास के प्रति एनसीआरटीसी की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं.
Published at : 28 May 2024 10:49 PM (IST)
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राहुल लाल, राजनीतिक विश्लेषकJournalist
Opinion