Delhi News: नजफगढ़ के तालाब में मिलीं मरी हुई मछलियां, स्थानीय लोग बोले- हमने पहले ऐसा कभी नहीं देखा
दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के एक तालाब में कई मछलियां मरी हुई पाई गई हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कुछ दिन पहले 1-2 मछलियां तालाब में मरी हुई देखी गई थी लेकिन इस रविवार को काफी ज्यादा मछलियां जो कि किनारे पर आकर इकट्ठा हो गई. तालाब में इतनी ज्यादा मछलियों के मरने से इलाके के लोगों में डर का माहौल है. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि अचानक इतनी मछलियां कैसे मर गई?
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appदक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में झूलझूली गांव के लोगों का कहना है कि बीते शुक्रवार को तालाब में 1-2 मछलियां मरी हुई देखी गई, तो लोगों को लगा कि शायद किसी अन्य कारण से मछलियां मर गई हैं लेकिन अगले दिन तालाब में मरी हुई मछलियों की संख्या बढ़ने लगी और रविवार तक सैकड़ों की संख्या में मरी हुई मछलियां तालाब के किनारे आकर इकट्ठा हो गई. इस गांव से कुछ ही दूरी पर नजफगढ़ ड्रेन है, इसमें भी मरी हुई मछलियां पाई गई हैं जहां से काफी संख्या में मछुआरे मछली भी पकड़ते थे लेकिन जब तालाब में मरी हुई मछलियां मिलने लगी तो लोग अब ड्रेन और तालाब से मछलियां पकड़ने को लेकर डरे हुए हैं.
नजफगढ़ इलाके से जब मरी हुई मछलियों की तस्वीरें वायरल होने लगी तो मामला संज्ञान में आया. जिसके बाद दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी DPCC के अधिकारी नजफगढ़ इलाके में पहुंचे और तालाब के पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया गया है. जिसकी रिपोर्ट रविवार तक आने की उम्मीद है. प्रशासन इस बात का पता लगाने में जुटा है कि आखिरकार तालाब का पानी इतना गंदा कैसे हुआ और किस कारण से तालाब में मौजूद मछलियां मर गई. इलाके के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष महा सिंह यादव का कहना है कि इससे पहले कभी भी इतनी मछलियां तालाब में मरी हुई नहीं देखी गई, उन्हें लगता है कि मछलियों में कुछ बीमारी आई है पानी में कुछ कमी है या प्रदूषण का कारण है, जिसके चलते इतनी ज्यादा मछलियां तालाब में मर गए हैं. इस इलाके से कुछ ही दूरी पर नजफगढ़ झील भी है जिसको लेकर यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि झील में भी मछलियां मरी हुई पाई गई है.
इस इलाके में लोग खेती भी करते हैं झूलझूली गांव में खेती करने वाले दीपक ने एबीपी न्यूज को बताया कि हम सालों से यहां खेती कर रहे हैं और खेती के लिए नजफगढ़ ड्रेन और तालाब का पानी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कोई भी नुकसान खेती को नहीं होता है, आज से पहले कभी भी इस तरीके की कोई घटना देखने को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि तालाब में मौजूद ऐसे जलीय जीवो की मौत बेहद ही गंभीर विषय है, जिसकी जांच की जानी चाहिए इसको लेकर एक जांच कमेटी बनाई जाने की जरूरत है, कि कहीं ना कहीं इसके पीछे जल प्रदूषण ही एक बड़ा कारण है, जिसके चलते पानी में रहने वाली मछलियां मर रही है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यहां आस-पास के गांव के किसान जो की खेती करते हैं वह इसी नजफगढ़ झील और ड्रेन पर निर्भर हैं, ऐसे में उनके लिए भी यह बेहद बड़ी समस्या है. साथ नजफगढ़ झील में हजारों विदेशी पक्षी आते हैं अपना घर बनाते हैं.
वहीं तालाब में मछलियां मरने के बाद कई टीमें यहां पहुंची और पानी का सैंपल लिया जा चुका है, जानकारी के मुताबिक यहां के पानी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड BOD 30 एमजी प्रति लीटर होनी चाहिए. लेकिन डीपीसीसी की पिछले महीने की रिपोर्ट के अनुसार नाले में बीओडी का लेवल 70 एमजी प्रति लीटर है. ऐसे में जितना बीओडी ज्यादा होगा उतना ही पानी में रहने वाले जीवो के लिए वह खतरनाक होगा. इसके साथ ही नजफगढ़ तालाब के पानी का सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर भी तय मानकों के मुताबिक 250 एमजी प्रति लीटर की जगह 346 एमजी प्रति लीटर हो गया है. इसके साथ ही स्थानीय लोगों ने बताया कि काफी ज्यादा संख्या में मछलियां मरी हुई पड़ी हुई है जिन्हें अभी तक हटाया नहीं गया है तालाब और ट्रेन में पड़ी हुई मछलियों को पक्षी खा रहे हैं, और खाने के बाद उनके अवशेषों आसपास गिरे हुए भी हैं जिसके कारण गंदगी भी मची हुई है. इसके अलावा स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि ये इलाका जो कि हरियाणा से सटा हुआ है नजफगढ़ ड्रेन और झील में हरियाणा से पानी छोड़ा जाता है जो आगे चलकर दिल्ली की यमुना में मिलता है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -