Delhi: यमुना में क्यों मरी लाखों मछलियां, जानें- जीव शोधकर्ता ने क्या कहा?
कुछ दिनों पहले तक दिल्ली में इस बात को लेकर सियासी तकरार चल रही थी कि यमुना में पर्याप्त पानी नहीं है, जिससे कि दिल्लीवासियों की प्यास मिटाई जा सके. दिल्ली सरकार लगातार ही हरियाणा सरकार से उसके हक का पानी छोड़ने की गुहार लगा रही थी. लेकिन, आज जो यमुना के पानी की दुर्दशा है ऐसे में उस यमुना के पानी से लोगों की प्यास बुझाना कहीं खतरनाक न हो जाए.
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View In Appदरअसल बीते चार दिनों से हर दिन भारी मात्रा में मछलियां मर रही हैं और इसे बुराड़ी चार नंबर यमुना घाट से पल्ला जीरो पॉइंट तक यमुना के ऊपरी सतह पर साफ देखा जा सकता है. मछलियों के मरने और फिर उसके सड़ने के कारण यमुना का पानी दूषित होने के साथ बदबू भी फैला रहा है, जिससे आसपास के इलाके में लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो गया है.
सबसे पहले बात करते हैं मछलियों के मरने की. बताया जा रहा है कि यमुना का पानी जहरीला हो गया है, जिस कारण मछलियां तो मर ही रही हैं, साथ ही इसमें नहाने वाले पशुओं और लोगों को चर्म रोग की समस्या हो रही है. जहरीले पानी के कारण लगातार मछलियां मर रही हैं और बीते चार दिनों में अब तक लाखों मछलियां मर चुकी हैं, जो यमुना के पानी को और भी दूषित बना रही हैं.
इससे न केवल यमुना का पानी दूषित हुआ बल्कि मरी मछलियों और दूषित पानी की बदबू ने आसपास के लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल कर रखा है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन मछुआरों को हो रही है, जिनका जीवन इन मछलियों पर ही आश्रित है.एक मछुआरे महेश सहनी ने बताया कि 8 नम्बर नहर से फैक्ट्रियों से इतना जहरीला केमिकल छोड़ा गया है कि यमुना में मछली समेत सभी जलीय जीव-जंतु की मौत हो रही है.
बीते चार दिनों से लगातार ही मछलियां मर रही हैं. उनके साथ आसपास के लोग भी इससे परेशान हैं. एक मछुआरे दिलीप साहनी ने कहा कि लगातार मछलियां मर रही हैं, लोगों को त्वचा सम्बंधित रोग हो रहे हैं. वहीं यमुना के पानी से पशु भी बीमार पड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे मछुआरे हैं और मछलियों को बेच कर अपना परिवार चलाते हैं, लेकिन फिलहाल जो स्थिति है उससे उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि आखिर वे करें तो क्या करें.
उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों से साल में तीन-चार बार ऐसी समस्या आ ही जाती है, जिस पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि यमुना नदी में हरियाणा के आठ नंबर ड्रेन से सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया से निकलने वाला केमिकल वाला पानी छोड़ा जा रहा है. इससे यमुना का पानी प्रदूषित और जहरीला हो चुका है. इसके चलते अब जलीय जीवों को हानि हो रही है और मछलियां मर रही हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार लगातार यमुना की सफाई की बात करते रहते हैं और जिस यमुना के पानी से दिल्लीवालों की प्यास बुझाई जाती है. क्या उस यमुना में इस तरह के केमिकल वाला जहरीला पानी फैक्ट्रियों से छोड़ा जाना चाहिए? अगर इसके जवाब नहीं तलाशे जाते हैं तो यमुना की सफाई की बात करना बेमानी है.
जीव शोधकर्ता डॉक्टर फैय्याज खुदसर ने एबीपी लाइव की टीम को बताया कि यमुना नदी में अक्सर मानसून से पहले जब यमुना का वाटर लेवल कम होता है और आसमान में बादल छाए होते हैं तो प्रॉपर डी-ज़ोल ऑक्सीजन जल जीव को नहीं मिल पाता, जिसके चलते ज्यादातर मछलियां मर जाती हैं.
वहीं अगर दूसरी ओर भी देखें कि यमुना में कई तरह के गंदे पानी का भी बहाव काफी मात्रा में होता है, उसकी वजह से भी हो सकता है लेकिन वो जांच का विषय है. लगातार मर रही मछलियां और यमुना किनारे रहने वाले लोग जो इस पानी के बीच रहकर प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें भी कई तरह की बाहरी शारीरिक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं, जिसे प्रशासन को देखना चाहिए.
बड़ी जरुरत है यमुना के पानी की गुणवत्ता की जांच सरकार/इनसे जुड़ी जांच संस्था से की जाए और यह जरूर क्रॉस चेक किया जाए कि जो यमुना में पानी है, वह पानी हटनी कुंड बैराज से आ रहा है या फिर किसी ड्रेनेज से डाला गया जो की जानकारी से है, इस पर यमुना संबंधित अधिकारियों को भी संज्ञान लेना चाहिए.
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