Gangubai Kathiawadi: कौन थीं गंगूबाई काठियावाड़ी और क्यों है फिल्म को लेकर विवाद?
गुजरात के काठियावाड़ में जन्मी गंगूबाई काठियावाड़ी इन दिनों सुर्खियों में हैं. उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म को लेकर विवाद हो रहा है. है. गंगूबाई काठियावाड़ी के परिवार वालों ने फिल्म बनाने वालों पर पैसों के लालच में परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि फिल्म में सोशल वर्कर रह चुकी गंगूबाई काठियावाड़ी को एक सेक्स वर्कर की भूमिका में दिखाया गया है. परिवार वाले इसके लिए कोर्ट भी गए हैं.
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View In Appगंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास कठियावाड़ी था. उनका जन्म 1939 में हुआ. वे वकीलों के खानदान में पैदा हुई थीं. उनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा गुजरात के ही एक सरकारी स्कूल में हुई थी. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. उनके परिवार के लोग चाहते थे कि वे पढ़ लिखकर सफल हों और नाम कमाएं लेकिन उनका मन बढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता था.
फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट अपनी आनेवाली इस फिल्म को लेकर काफी चर्चा में हैं. फिल्म का नाम 'गंगूबाई काठियावाड़ी' है. आलिया की यह फिल्म 25 फरवरी को रीलीज होगी. लोग इस फिल्म के रीलीज होने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
इस फिल्म को लेकर काफी विवाद चल रहा है. गंगूबाई का परिवार और कमाठीपुरा के लोगों ने इसपर आपत्ति जताई है. कांग्रेस विधायक अमीन पटेल ने इसे लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का भी रुख किया है. उन्होंने फिल्म का नाम बदलने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. परिवार वालों का कहना है कि फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली ने फिल्म बनाने से पहले उनसे इजाजत नहीं ली.
हुसैन जैदी की किताब माफिया क्वींस ऑफ मुंबई के मुताबिक गंगूबाई काठियावाड़ी गुजरात की रहने वाली 16 साल की भोली भाली लड़की थी जिसने अपने से ज्यादा उम्र वाले लड़के से प्यार किया था. घर वालों के खिलाफ जाकर गंगूबाई ने अपने प्यार से शादी कर ली. गंगूबाई उसके साथ मुंबई आ गई. रमणीक ने उन्हें मुंबई की मशहूर कमाठीपुरा रेड लाइट एरिया की कोठे वाली को 500 रुपये में बेच दिया.
गंगूबाई काठियावाड़ी ने करीम लाला को आपबीती बताई तो करीम लाला ने उसे अपनी बहन बना लिया और उनकी रक्षा करने का वादा भी किया. गंगूबाई ने करीम लाला को राखी बांधी और उन्हें अपना भाई बना लिया. उस दिन से गंगूबाई को कमाठीपुरा में लेडी डॉन के नाम से पुकारा जाने लगा.
करीम लाला से जितना लोग खौफ खाते थे, उससे कई ज्यादा खौफ वह धीरे-धीरे गंगूबाई काठियावाड़ी से खाने लगे थे. बताया जाता है कि जो लड़कियां अपने मन से कोठे पर नहीं रहना चाहती थीं उन्हें गंगूबाई रहने के लिए मजबूर नहीं करती थीं.
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