Rani Ki Vav: 'रानी की वाव' की ये खूबसूरत तस्वीरें देखकर आप भूल जाएंगे दुनिया के सभी अजूबे, कलाकारी ऐसी की रह जाएंगे हैरान
पाटन में बनी 'रानी की वाव' को देखकर आप दुनिया के सातों अजूबे भूल जाएंगे. इस बावड़ी को इतने सुंदर तरीके से बनाया गया है कि आप इसकी कारीगरी को देखकर एकदम हैरान हो जायेंगे. रानी की वाव सरस्वती नदी के तट पर स्थित है. यह गुजरात के सबसे पुराने और बेहतरीन बावड़ियों में से एक है. कमाल की बात ये है कि ये आज की बहुत अच्छी हालत में है.
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View In Appरानी के वाव की संरचना कैसी है: इसमें कोई शक नहीं कि 'रानी की वाव' बेहद ही खूबसूरत और अजूबे कारीगरी कारीगरी की मिसाल है. जब आप इसे ऊपर से देखेंगे तो नक्काशीदार स्तंभों की पंक्तियों और 800 से अधिक मूर्तियों के साथ कई स्तरों के माध्यम से सीढ़ियां नीचे की ओर जाती है. इसमें ज्यादातर भगवन विष्णु के अवतार हैं. इस बावड़ी को उल्टे मंदिर के रूप में बनाया गया है. जो पानी की पवित्रता को उजागर करता है. यह बेहतरीन शिल्प कौशल और वास्तुकला के बेहतरीन और प्रतिष्ठित उदाहरणों में से एक के रूप में जाना जाता है. शिल्पकारों द्वारा प्रदर्शित स्थापत्य शैली को मारू-गुर्जर के नाम से जाना जाता है. 'रानी की वाव' की गहराई को कुल सात स्तरों में बांटा गया है.
'रानी की वाव' का इतिहास: 1063 में चालुक्य वंश की रानी उदयमती द्वारा अपने पति, भीमदेव प्रथम की स्मृति में बावड़ी का निर्माण किया गया था. इस बावड़ी को रानी की बावड़ी के रूप में इसलिए जाना है क्योंकि यह एक रानी के प्यार का प्रतीक है.
'रानी की वाव' का किताबों में वर्णन: जैन भिक्षु, मेरुतुंगा की 1304 रचना में उल्लेख है कि नरवराह खंगारा की बेटी उदयमती ने पाटन में इस बावड़ी का निर्माण किया था. इसी रचना में यह भी उल्लेख है कि बावड़ी को 1063 में शुरू किया गया था और 20 वर्षों के बाद पूरा किया गया था.
'रानी की वाव' को दोबारा कब खोजा गया: पुरातत्वविद् हेनरी कूसेंस और जेम्स बर्गेस ने 1890 के दशक में इसका दौरा किया था जब यह पूरी तरह से रेत और मिट्टी के नीचे दब गया था और केवल कुछ स्तंभ दिखाई दे रहे थे. 1940 के दशक में बावड़ी को फिर से खोजा गया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे 1980 के दशक में बहाल किया था. बावड़ी को 2014 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
कितनी गहरी है 'रानी की वाव': इस बावड़ी की लंबाई 64 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर और गहराई 28 मीटर है. यहां आपको बता दें कि 'रानी की वाव' में 500 से अधिक प्रमुख मूर्तियां हैं और 'रानी की वाव' सात मंजिला है.
100 रुपये के नोट में 'रानी की वाव': भारतीय रिजर्व बैंक ने 100 रुपए के नोट में पाटन में बनी 'रानी की वाव' को दिखाया है. आप इसके डिजायन को नोट पर देख सकते हैं. हल्के बैंगनी रंग के इस नोट पर बनी 'रानी की वाव' सही मायने में अपने अंदर बहुत सी ऐतिहासिक कारणों को समटते हुई है. बहरहाल इस अनोखे धरोहर के बारे में बहुत सी दिलचस्प बातें हैं जो इसे और भी ज्यादा ऐतिहासिक बनाती है.
'रानी की वाव' के खुलने और बंद होने का समय: गुजरात के पाटन में।'रानी की वाव' को सूर्योदय से रात 9 बजे तक जनता के लिए खुला रखने का फैसला किया है.
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