In Pics: शिमला में प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारे को दुल्हन की तरह सजाया गया, उमड़ी भक्तों की भीड़
इसके लिए गुरु नानक देव कई उपदेश दिए. नानक साहब द्वारा समाज सुधार के लिए ज्ञान का प्रकाश फैलाया गया है. यही कारण है कि इनकी जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
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View In Appशिमला के मुख्य गुरुद्वारे में भी गुरु नानक देव जी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. गुरुद्वारे को बेहद खूबसूरत ढंग से सजाया गया है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी प्रकाश पर्व के मौके पर शिमला के मुख्य गुरुद्वारे में शीश नवाया. उन्होंने सभी प्रदेशवासियों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं दी हैं. गुरु नानक देव जी की जयंती के मौके पर गुरुद्वारे में भक्तों की भी भारी भीड़ लगी हुई है.
नानक जी का जन्म 1469 को पंजाब के तलवंडी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. यह स्थान अब पाकिस्तान में है. इस जगह को ननकाना साहिब भी कहा जाता है. इनके पिता का नाम कल्याण चंद और माता का नाम तृप्ता था. 16 साल की नानक जी ने दौलत खान लोदी के अधीन काम करना शुरू किया.
इसके बाद 24 सितंबर 1487 को इनका विवाह माता सुलक्कनी के साथ हुआ. नानक सिख धर्म के संस्थापक थे. गुरु नानक जी द्वारा 974 भजनों का योगदान दिया गया है. सिख धर्म के लोग अपने गुरु की जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाते हैं.
गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में समर्पित कर दिया. इन्होंने जात-पात और ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करने के लिए खास कदम उठाए और लोगों को इंसानियत व ईमानदारी की एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया.
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