शिमला में हनुमान जयंती की धूम, दर्शन के लिए सुबह चार बजे से ही लगा भक्तों का तांता
इस साल भी पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव की धूम है. शिमला के मशहूर जाखू मंदिर में भी बेहद धूमधाम के साथ हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.
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View In Appहवन और यज्ञ के साथ शुरुआत पवित्र दिन की शुरुआत के बाद से ही भगवान के भक्त मंदिर पहुंचकर शीश नवा रहे हैं.
शिमला के मशहूर जाकर मंदिर में सुबह चार बजे से ही बड़ी संख्या में आराम और हनुमान भक्तों की भीड़ लगी हुई है. भक्त लंबी-लंबी कतारों में लगकर भगवान के दर्शन कर रहे हैं.
हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए शिमला पुलिस ने भी यहां विशेष इंतजाम किए हुए हैं. बड़ी संख्या में पुलिस के जवान सुबह से ही सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने में लगे हुए हैं. यहां ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा.
इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देर हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए.
ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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