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Amarnath Rescue Operation: अब तक 15 श्रद्धालुओं की मौत, हेलिकॉप्टर से किया जा रहा घायलों का रेस्क्यू, देखिए हादसे की दर्दनाक तस्वीरें

अमरनाथ गुफा के पास चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन
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Amarnath Cloudburst: अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने के बाद तबाही का भयानक मंजर देखने को मिला. जिसमें करीब 15 श्रद्धालुओं की जान चली गई. बादल फटने से आई बाढ़ के बाद कोई मिट्टी में दबा मिला, तो कोई पानी में बह गया. वहीं अब फंसे हुए श्रद्धालुओं को बचाने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) और ITBP के जवान, राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि, भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने अमरनाथ गुफा स्थल पर बचाव अभियान में शामिल होने के लिए श्रीनगर से उड़ान भरी थी. जिसके बाद घटना स्थल पर हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया जा रहा है. देखें इस हादसे की दर्दनाक तस्वीरें......
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अमरनाथ पहुंचे एमआई 17 हेलिकॉप्टर को घायल व्यक्तियों और शवों के साथ-साथ नीलगढ़ हेलीपैड/ बालटाल से बीएसएफ कैंप श्रीनगर तक आगे के इलाज के लिए या शवों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कार्रवाई में लगाया गया.
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वहीं खबरों के अनुसार फंसे हुए श्रद्धालुओं को रेस्क्यू करने के लिए सेना के जवान नीलग्रार, बालटाल पहुंचे चुके हैं.
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जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि शाम करीब साढ़े पांच बजे बादल फटने से करीब 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई.
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हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का कहना है कि ये बादल नहीं फटा था.
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दरअसल हर साल, आईएमडी अमरनाथ यात्रा के लिए एक विशेष मौसम सलाह जारी करता है. शुक्रवार को जिले के लिए सामान्य, दैनिक पूवार्नुमान येलो अलर्ट का था.
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यहां तक की शाम के पूर्वानुमान, अमरनाथ यात्रा पूर्वानुमान वेबसाइट पर शाम 4.07 बजे, पहलगाम की ओर और बालटाल दोनों तरफ से मार्ग के लिए आंशिक रूप से बहुत हल्की बारिश की संभावना के साथ बादल छाए रहने की आशंका थी. लेकिन साथ में कोई चेतावनी नहीं थी.
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पवित्र गुफा में स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्ल्यूएस) के आंकड़ों के अनुसार, सुबह 8:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक बारिश नहीं हुई.
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आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने कहा, तब 4:30 बजे से शाम 5:30 बजे के बीच सिर्फ 3 मिमी बारिश हुई थी. हालांकि, शाम 5:30 से 6:30 बजे के बीच 28 मिमी बारिश हुई थी.
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आईएमडी के मानदंड के अनुसार, अगर एक घंटे में केवल 100 मिमी वर्षा होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है.
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फिर आखिर हुआ क्या? चश्मदीदों और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो के अनुसार, गुफा के प्रवेश से मुश्किल से 200-300 मीटर की दूरी पर दो पहाड़ी के बीच की एक धारा बड़ी मात्रा में पानी के साथ भारी मलबे को नीचे ले आई. जिसे साफ कहा जा सकता है कि ये गुफा के पीछे हो रही बारिश का ही परिणाम था.
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जम्मू और केंद्र शासित प्रदेशों की देखभाल करने वाले श्रीनगर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख सोनम लोटस ने कहा, ये केवल पवित्र गुफा के ऊपर एक अत्यधिक स्थानीयकृत बादल था. इस साल की शुरूआत में भी ऐसी बारिश हुई थीय ये अचानक बाढ़ नहीं थी.
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वहीं उन्होंने ये भी पुष्टि की कि, ये संभावना है कि गुफा की तुलना में अधिक ऊंचाई पर भारी बारिश हुई थी.
Published at : 09 Jul 2022 09:59 AM (IST)
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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