In Pics: बसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ की नगरी में उमड़ी भक्तों की भीड़
झारखंड में प्रसिद्ध भोले की देवनगरी देवघर और बासुकीनाथ में बाबा भोले नाथ के तिलाकोत्सव के बाद होली की शुरुवात हो चुकी है. यहां हजारों की संख्या में मिथलांचल से पहुंचे शिवभक्त ने बाबा का तिलकोत्सव कर खुशी से एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर बधाई दी. दरअसल, वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर देर शाम देवघर के बाबा वैधनाथ और दुमका के बासुकीनाथ में बाबा नागेशनाथ का तिलकोत्सव पूरी निष्ठा एवं परंपरागत तरीके से किया जाता है.
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View In Appपंडा कुणाल झा के अनुसार देवघर और बासुकीनाथ धाम में गुरुवार को पारंपरिक तरीके से बाबा का तिलकोत्सव किया गया. श्रद्धांलू भजन कीर्तन कर लोक गीत भी गाये और एक दूसरे को अबीर गुलाल लगा कर खुशी का इजहार किया. तिलकोत्सव के 25 वें दिन बाद बाबा भोले नाथ का विधि विधान के साथ शिवरात्रि के दिन विवाह होगा और विवाह के उपरांत माता पार्वती के विदाई के साथ मिथलावासी वापस मिथला लौट जायेंगे.
तिलकोत्सव में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा एवं माता पार्वती के लिए नया पीतांबरी वस्त्र एवं चांदी के बर्तन समेत अन्य सामग्री चढ़ाई गई.बाबा के तिलकोत्सव में बाबा को सोने की अंगूठी, चांदी का बाजूबंद, पीताम्बर वस्त्र, कांसा एवं पीतल के बर्तन समेत अन्य सामग्री चढ़ाई गई. दोनों शिवधामों के हर गली में मिथिलावासियों की भीड़ जुटी हुई है.
शिवभक्त सड़क किनारे एवं मंदिर के आसपास डेरा जमाए हुए हैं. इसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष व बच्चे भी शामिल हैं. मंदिर क्षेत्र बम भोले, जय भोला के नारे से गुंजायमान है. मिथिलावासी मंदिर में विद्यापति के गीत गाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने में जुटे हुए हैं.
मिथिलावासी पवित्र शिवगंगा में डुबकी लगाकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर तिलक चढ़ाने की रस्म पूरी की. तिलकहरूओं की कई टोलियां ढोलक, हारमोनियम, झाम, झांझ, करताल की धुन पर महाकवि विद्यापति के शिवजी पर आधारित गीतों एवं भजनों को गाकर कर भोले की भक्ति में लीन रहे. माता पार्वती का मायका होने के कारण मिथलावासी भगवान शिव को अपना दामाद मानते हैं. यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के शुक्लपक्ष को देवघर और बासुकीनाथ धाम में तिलक की इस रस्म को अदा करने के लिए बाबा के ससुराल यानी मिथिलांचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
इस बार श्रद्धालु अलग तरह का कांवर लेकर बाबा धाम पहुंचे हैं. बाबा का तिलकोत्सव कर मिथिलावासी अबीर-गुलाल लगा कर एक-दूसरे से आशीर्वाद लेकर महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव विवाह में शामिल होने का संकल्प लेकर वापस लौटते हैं. इससे पहले मिथिलांचल से पहुंचे भक्तों ने मंदिर प्रांगण में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान कराए. भक्तों ने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया. मंदिर गर्भगृह का पट सुबह करीब चार बजे खुला.
वहीं पूजा के बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर गर्भगृह का गेट खोल दिया गया. इस बार महिला श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी. श्रद्धालुओं ने गर्भगृह में जाकर जल चढ़ाया. मंदिर पुजारी ने भोलेनाथ का भव्य शृंगार पूजा किया. झारखंड और बिहार सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी. मिथिलांचल से पहुंचे तिलकहरुओं को सुगमतापूर्वक गर्भगृह मे पूजा कराने के लिए मंदिर प्रशासन ने सहयोग किया.
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