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In Pics: आजादी के दीवानों का तीर्थ है जबलपुर सेंट्रल जेल, नेताजी की याद में बना है स्मारक, देखें तस्वीरें

Netaji Subhash Chandra Bose: जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था. 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था.

Netaji Subhash Chandra Bose: जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था. 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था.

जबलपुर सेंट्रल जेल का बोर्ड. (Image Source: Ajay Tripathi)

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जबलपुर के सेंट्रल जेल का आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां आजादी की लड़ाई के दौरान तमाम स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी अंग्रेजों ने अपनी कैद में रखा था.साल 1933 और 1934 के दौरान दो बार नेताजी जबलपुर जेल में कैद रहे. देश आज नेता जी की 125वीं जयंती मना रहा है. आइए देखते हैं जयपुर सेंट्रल जेल में नेता जी की याद में बने संग्रहालय की तस्वीरें. सभी तस्वीरें अजय त्रिपाठी की हैं.
जबलपुर के सेंट्रल जेल का आजादी की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां आजादी की लड़ाई के दौरान तमाम स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी अंग्रेजों ने अपनी कैद में रखा था.साल 1933 और 1934 के दौरान दो बार नेताजी जबलपुर जेल में कैद रहे. देश आज नेता जी की 125वीं जयंती मना रहा है. आइए देखते हैं जयपुर सेंट्रल जेल में नेता जी की याद में बने संग्रहालय की तस्वीरें. सभी तस्वीरें अजय त्रिपाठी की हैं.
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जबलपुर की सेंट्रल जेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिए अंग्रेजों की पसंदीदा जेल थी.नेताजी सुभाषचंद्र बोस को जब सजा सुनाई गई थी,तब उन्हें यहीं लाया गया था. नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इस जेल में लाए गए थे.उन्हें 16 जुलाई 1932 को मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था.इस जेल में नेता जी 209 दिन तक कैद रहे.
जबलपुर की सेंट्रल जेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिए अंग्रेजों की पसंदीदा जेल थी.नेताजी सुभाषचंद्र बोस को जब सजा सुनाई गई थी,तब उन्हें यहीं लाया गया था. नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इस जेल में लाए गए थे.उन्हें 16 जुलाई 1932 को मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था.इस जेल में नेता जी 209 दिन तक कैद रहे.
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अंग्रेजों ने नेताजी को 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में फिर रखा. उन्हें 22 फरवरी 1933 को यहां से मद्रास भेज दिया गया था.
अंग्रेजों ने नेताजी को 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में फिर रखा. उन्हें 22 फरवरी 1933 को यहां से मद्रास भेज दिया गया था.
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स्वाधीनता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अब जबलपुर के लोग करीब से जान पाते हैं.जबलपुर के सेंट्रल जेल में नेता जी पर आधारित एक संग्रहालय बनाया गया है.
स्वाधीनता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अब जबलपुर के लोग करीब से जान पाते हैं.जबलपुर के सेंट्रल जेल में नेता जी पर आधारित एक संग्रहालय बनाया गया है.
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जबलपुर केंद्रीय जेल में बने संग्रहालय में नेताजी से जुड़ी उन चीजों को सहेज कर रखा गया है जो कभी नेताजी ने कारावास के दौरान इस्तेमाल की थीं.यह मध्य प्रदेश में अपने तरह का पहला संग्रहालय है.
जबलपुर केंद्रीय जेल में बने संग्रहालय में नेताजी से जुड़ी उन चीजों को सहेज कर रखा गया है जो कभी नेताजी ने कारावास के दौरान इस्तेमाल की थीं.यह मध्य प्रदेश में अपने तरह का पहला संग्रहालय है.
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जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के मुताबिक 23 जनवरी 2022 यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर सेंट्रल जेल म्यूजियम आम लोगों के खोल दिया गया था.इस म्यूज़ियम को बनाने में खुद कैदियों ने ही इंजीनियर और कारपेंटर की भूमिका भी निभाई.चित्रकारी से लेकर गार्डन बनाने तक का काम कैदियों ने ही किया है.
जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर के मुताबिक 23 जनवरी 2022 यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर सेंट्रल जेल म्यूजियम आम लोगों के खोल दिया गया था.इस म्यूज़ियम को बनाने में खुद कैदियों ने ही इंजीनियर और कारपेंटर की भूमिका भी निभाई.चित्रकारी से लेकर गार्डन बनाने तक का काम कैदियों ने ही किया है.
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जबलपुर केंद्रीय जेल के सुभाष वार्ड के अंदर जहां नेताजी बंद थे, उसे भी नई साज-सज्जा के साथ नया स्वरूप दिया गया है.
जबलपुर केंद्रीय जेल के सुभाष वार्ड के अंदर जहां नेताजी बंद थे, उसे भी नई साज-सज्जा के साथ नया स्वरूप दिया गया है.
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जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था. 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था.
जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था. 13 जून 2007 को इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस कर दिया गया था.
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जबलपुर केंद्रीय जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था,वो भी मौजूद है.इसके आलावा चक्की-हंटर के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है. इसे आम लोग भी देख सकते हैं.
जबलपुर केंद्रीय जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था,वो भी मौजूद है.इसके आलावा चक्की-हंटर के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है. इसे आम लोग भी देख सकते हैं.
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सुभाष वार्ड में तीन नंबर पट्टी पर नेताजी रहा करते थे.जेल में आने से पहले उनका वारंट,उनका एडमिशन याने दाखिला फॉर्म भी इस संग्रहालय में सहेज कर रखा गया है.अमूमन पहले विशेष मौके पर ही शहरवासी सुभाष वार्ड को देख पाते थे लेकिन अब निरंतर लोग इस वार्ड को म्यूजियम के रूप में देख सकते हैं.
सुभाष वार्ड में तीन नंबर पट्टी पर नेताजी रहा करते थे.जेल में आने से पहले उनका वारंट,उनका एडमिशन याने दाखिला फॉर्म भी इस संग्रहालय में सहेज कर रखा गया है.अमूमन पहले विशेष मौके पर ही शहरवासी सुभाष वार्ड को देख पाते थे लेकिन अब निरंतर लोग इस वार्ड को म्यूजियम के रूप में देख सकते हैं.

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