मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर का है रहस्यमयी इतिहास, यहां मिलता था वैदिक ज्ञान, जानें मान्यता
चौसठ योगिनी मंदिर गोल आकार लिए हुए है, जिसमें 65 कक्ष या खाने बने हैं. माना जाता है कि ये खाने 64 योगिनी और एक देवी माता के लिए हैं. मंदिर के बीच में एक खुला मंडप बना है, जो महादेव को समर्पित है.
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View In Appदेश के लगभग सभी मंदिरों का आकार एक विशेषता लिए है, लेकिन उनकी छत और गुंबद लगभग एक तरह से होते हैं. हालांकि, बाकी सभी मंदिरों के उलट चौसठ योगिनी मंदिर आकाश की ओर खुला हुआ है और गोलाकार है. माना जाता है कि इसकी वजह यह हो सकती है कि भले ही योगिनी अलग बैठती हों, लेकिन उनके बीच एक संपर्क बना रहे.
गोलाकार इस मंदिर में 64 ताकें (या खाने) हैं, जिनमें योगिनी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. ये प्रतिमाएं किसी जानवर, दानव या मानव सिर पर खड़ी आकृतियां हैं, जो शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं और बुराई पर शक्ति की जीत को दर्शाती हैं. प्रतिमाओं के चहरे पर क्रोध, उदासी, खुशी, कामना जैसे कई भाव साफ दिखते हैं.
वैसे तो मंदिरों को जनमानस के आसपास बनाया जाता है, जिससे श्रद्धालु दर्शन के लिए आसानी से पहुंच सकें, लेकिन ये योगिनी मंदिर क्षेत्र के सबसे ऊंचे स्थान पर एकांत में बनाए गए थे, जिससे यहां कम ही लोग आ पाते थे.
मंदिर के प्रवेश द्वार से पहले 100 सीढ़ियां हैं, जिन्हें चढ़ने के बाद आप मंदिर परिसर में पहुंचेंगे. ये मंदिर लगभग 100 फीट (30 मीटर) ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर परिधि 170 फीट (52 मीटर) है.
चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के मितौली गांव में स्थित है. सन् 1323 के एक शिलालेख में यह दावा किया गया है कि कच्छपघात सम्राट देवपाल (1055 - 1075) ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में ज्योतिष और खगोलशास्त्र की शिक्षा दी जाती थी.
इसके अलावा, बताया जाता है कि देश भर में भारत कुल 11 चौसठ योगिनी मंदिर हैं, जिनमें से 2 ओडिशा, 5 मध्य प्रदेश, 3 उत्तर प्रदेश और 1 तमिलनाडु में स्थित है. इनमें से सबसे प्रमुख हैं हीरापुर, रानीपुर झरियाल, खजुराहो, भेड़ाघाट, मितौली, दुदही और रिखियां. योगिनी प्रतिमाएं शहडोल, हिंगलाजगढ़, लोखरी और नारेसर से पाई गई हैं.
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