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In Pics: पहला अर्घ्य आज, इंदौर में छठ पूजा की तैयारी, शहर में बनाए गए 150 कुंड, देखें तस्वीरें
Indore Chhath Puja 2023: छठ महापर्व को लेकर इंदौर और आसपास के इलाकों में तैयारी काफी बेहतर हुई है. छठ पूजा के दौरान अर्घ्य देने के लिए अस्थायी जलाशय भी बनाए गए हैं.

इंदौरा में छठ पूजा को लेकर तैयारियां तेज
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Chhath Puja 2023: छठ महापर्व के तीसरे दिन आज रविवार को इंदौर और आसपास के इलाके जैसे महू राहु पीथमपुर देवास में पूर्वांचल के बड़ी संख्या में लोग बसे हुए हैं.
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यह सभी लोग छठ का व्रत रखते हैं और आज इंदौर के और आसपास के विभिन्न तालाब और प्राकृतिक जिला सहयोग में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्ता चल गामी सूर्य को अर्थ देंगे.
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पूर्वोत्तर संस्कृत संस्थान के अनुसार इंदौर शहर में इस साल करीब 150 जगह पर विशेष रूप से कुंड बनाए गए हैं, जहां पर पूजा संपन्न करी जाएगी. इसके अलावा विजयनगर बाढ़ गंगा स्कीम नंबर 78 तुलसी नगर समर पार्क निपानिया पिपलियाहाना तालाब सिलिकॉन सिटी वेंकटेश नगर श्याम नगर एन एक्स एरोड्रम रोड अन्नपूर्णा तालाब सूर्य मंदिर कैंट रोड सुखलिया शिप्रा देवास नाका जैसी तमाम जगहों पर छठ महापर्व मनाए जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है.
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इन जगहों पर जलाशय बनाए गए हैं. जिन जल कुंदन में खड़े होकर सूर्य देव को अपनी संतान परिवार समाज और शहर तथा प्रदेश के अच्छे स्वास्थ्य और सुख समृद्धि और दीर्घायु होने की छठी मैया से कामना की जाएगी.
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पूर्वोत्तर संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह ने बताया कि शनिवार सुबह से ही इंदौर के समस्त पूर्वांचल परिवारों में उत्सव और उल्लास का माहौल है. परिवार की महिलाएं अपने घरों में साफ सफाई करने के बाद करना का प्रसाद बनाने में व्यस्त रही.
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वहीं दूसरी तरफ घर के पुरुष छठ पूजा और पूजा की सामग्री लेने में व्यस्त दिखाई दिए प्रसाद के तौर पर महिलाओं ने गुड़ और गेहूं भी मिश्रित ठेकुआ के अलावा चावल के घूस्वा इत्यादि का प्रसाद मिट्टी का बने चूल्हे पर बनाया.
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आपको बता दें कि छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को छठ रखने वाले व्रत धारकों के घरों में खरना का आयोजन किया गया. दिनभर व्रत रखने के बाद इन लोगों ने शाम को गंगाजल से स्नान किया और भगवान सूर्य का ध्यान किया. इस दौरान छठ मैया का विधि विधान से पूजा भी किया गया. उसके बाद मिट्टी के बने चूल्हे पर पूर्ण स्वच्छता और पवित्रता के साथ अरवा चावल दूध और गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी का प्रसाद बनाकर सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित किया गया. इसके बाद इन लोगों ने इस प्रसाद को ग्रहण भी किया और इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास व्रत भी शुरू हो गया है. निर्जला उपवास व्रत का पारण 20 नवंबर को सुबह 6:42 पर उगते हुए सूरज के साथ होगा.
Published at : 19 Nov 2023 04:43 PM (IST)
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