In Pics: होली पर सिंधी मिठाइयों से गुलजार हुआ बाजार, सिर चढ़कर बोल रहा है घियर-मीठा समोसा और कचौड़ी का जादू
दरअसल, देश में होली के त्यौहार की धूम हर तरफ दिखाई दे रही है. त्यौहार की चमक फिकी न पड़े इसके लिए मिठाई भी जमकर खरीदी रही है. वहीं, अखंड भारत के सिंध प्रांत की मिठाइयों की खुशबू आज भी सिंधी समाज में स्नेह का प्रतीक है. होली पर सिंधी परिवारों में घियर, मीठा समोसा और मीठी कचौड़ी रिश्तेदारों में बांटने का चलन है. यही वजह है की सिंधी कॉलोनियों में होली के पर्व से 12 दिन पहले ही घियर, मीठा समोसा और कचोरी बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. इसके साथ ही मिठाइयों के बाजार भी गुलज़ार हो जाता है. यह सिलसिला होली के 10 दिन बाद तक चलता रहता है.
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View In Appसनातन धर्म में इस होली के पर्व में जितना ही महत्व रंग और गुलाल का है, उतना ही महत्त्व मिठाई का भी माना जाता है. रंगों और पिचकारियों के साथ होली के त्यौहार के मद्देनजर विशेष रूप से खाई जाने वाली सिन्धी मिठाइयों के भी बाजार सज गए हैं. जहां करीब पांच तरह के मीठे समोसे, कचोरी, जलेबी और अन्य मिठाइयां बनाई जाती है. वहीं, इन मिठाइयों में सिन्धी की जलेबी विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इस जलेबी की खासियत यह है की इसे आम जलेबी की तरह ही चाशनी में सराबोर किया जाता है. लेकिन खाने में इसका स्वाद खट्टा–मीठा होता है. जिसे घीयर के नाम से जाना जाता है. इस विशेष जलेबी के साथ ही दुकानों पर मशहूर कराची के हलवे से बने समोसे और कचोरी भी इस त्यौहार में अपनी मिठास घोलने को तैयार है. सालों से पारंपरिक घियर और फैनी की मांग भी इन मिठाइयों के साथ बढ़ने लगी है.
मिठाई दुकानदार अजय सोलंकी ने बताया की उनके द्वारा करीब 12 से 15 साल हो चुके है मिठाईयां बेचते हुए. इस बार भी हमारे द्वारा मिठाईयां बनाकर बेची जा रही है. हमारा परिवार होली के त्यौहार पर दुकान सालो से लगाते आ रहा है.पिछले सालो की तरह इस साल भी इन मिठाइयों की मांग बनी हुई है. यह सभी मिठाई सिर्फ विशेष तौर पर होली के त्यौहार के लिए बनाई जाती है. घियर और मीठा समोसा का होली पर विशेष महत्व ज्यादा होता है. क्योंकि सिंधी समाज की प्रमुख मिठाई है.
मिठाई खरीदार सोनिया परियानी का कहना है की यह सिंधी समाज का स्पेशल फूड है. इसलिए हमने इसे खरीदा है. होली के अवसर पर पूजा में भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, एक और मिठाई खरीदार राखी ने बताया कि हमने विशेष जलेबी ली है. उन्होंने कहा कि जो समोसे मार्केट में मसाले में बने मिलते है, वे यहां पर मीठे मावे से बने हुए है. इसलिए इसे सिंधी समाज का स्पेशल फूड माना जाता है.
गौरतलब है की सिंधी समाज का होली के दिन सामूहिक होली मिलन कार्यक्रम होता है. जिसमे घियर खिलाकर गुलाल का टीका सूतक वाले परिवार के लोगों को लगाया जाता है. जिसकी मान्यता है की इससे मृतक के परिवार का सूतक समाप्त हो जाता है. परिवार के लोग इस दिन के बाद से शुभ कार्य करते हैं. वही इस पर्व पर अपने घर पर आने वाली बहन बेटियों को यह मिठाई दी जाती है. ये मिठाई होली के बाद भी पंचमी तक बाजार में उपलब्ध रहती है. लेकिन इसके बाद अगर आपको ये मिठाई चाहिए तो आपको होली तक का इंतजार करना होगा.
इंदौर में पिछले 70 सालों से घियर और मीठा समोसा होली के त्यौहार पर सिंधी समाज के हर घर में मिलता है. जिसे पूजा में भी रखा जाता है. अजय सोलंकी ने बताया घियर को मैदा का घोल बनाकर पहले एक दिन रखा जाता है. जिसके बाद डालडा घी में जलेबी की तरह बनाया जाता है. फिर मिठास लाने के लिए उसे चाशनी में डाला जाता है. इसी तरह मीठा समोसा के भीतर घी, चीनी और कॉर्न फ्लोर से बने कराची हलवे को भरा जाता है. पर्व के दिन में 10 क्विंटल घीहर और मीठा समोसा की खपत हो जाती है. इस विशेष जलेबी यानी घियर मिठाई करीब आठ दिन तक खराब नहीं होती है.
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