Holi 2024: जबलपुर के दिव्यांग बच्चों ने सीखा जीने का हुनर, होली के लिए तैयार किया इको फ्रेंडली गुलाल
कहते हैं कि मजबूत इच्छा शक्ति के आगे हर चुनौती नाकाम साबित होती है. इसे सच कर दिखाया है जबलपुर के उन बच्चों ने,जो मानसिक रूप से दिव्यांग है. इन्होंने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति और मेहनत के दम पर अपने हुनर को निखारा है.
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View In Appयह बच्चे हर पर्व पर अपनी रचनाशीलता का प्रदर्शन करते हैं. अभी रंगों के त्योहार होली पर्व के लिए दिव्यांग बच्चों ने फूलों से इको फ्रेंडली हर्बल गुलाल तैयार की है.
सबसे खास बात यह है कि इस हर्बल गुलाल को बनाने के लिए जबलपुर की विकलांग सेवा भारती संस्था के एक दर्जन दिव्यांग बच्चों ने अपना-अपना योगदान दिया है.
विकलांग सेवा भारतीय संस्था की प्रिंसिपल नीतू चौधरी के मुताबिक, बच्चे सबसे पहले मंदिरों में चढ़ाए जाने वाली फूल-मालाओं को एकत्रित करते हैं.फिर उन्हें धूप में सुखाकर पीसकर उसमें खाने वाला रंग मिलाकर सुगंधित गुलाल तैयार कर रहे हैं.
विकलांग सेवा भारती संस्था में 65 मानसिक दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन बच्चों की रुचि देखते हुए शिक्षकों ने इन्हें रंगोली,दिया, राखी, लिफाफ, ग्रीटिंग और हर्बल गुलाल बनाने की कला का प्रशिक्षण दिया है.
अब ये बच्चे स्वयं रुचि लेकर हर पर्व के अनुसार उपयोगी वस्तुयें बनाते हैं. दीवाली पर्व पर ये बच्चे पेंटिग कर आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड बनाते हैं. इनकी बनाई राखियां भी लोगों को काफी पसंद आती हैं.
इसके अलावा दिव्यांग बच्चे शादी-पार्टी में उपहार में देने के लिए आकर्षक पेंटिंग युक्त लिफाफे भी बनाते हैं. इस वक्त होली के लिए ये बच्चे हर्बल गुलाल बना रहे हैं.
इन्होंने मंदिरों से भगवान को अर्पित किए गुलाब और अन्य फूल एकत्र कर सुखाने के बाद उससे हर्बल गुलाल बनाया है. इस गुलाल को शहर के प्रबुद्धजन बहुत पसंद करते हैं.
दिव्यांग बच्चों की बनाई वस्तुओं की बिक्री के लिए अलग-अलग जगह स्टाल लगाया जाता हैं. अब तक कलेक्ट्रेट, हाईकोर्ट और जिला अदालत में उनके स्टाल लग चुके हैं.
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