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IN PICS: महमूद गजनवी को हराने के बाद बनाया गया था कंदरिया महादेव मंदिर, जानें एक हजार साल पुराना अद्भुत इतिहास
Karandiya Mahadev Mandir: खजुराहो के पुरातात्विक विरासत और स्थापत्य कला को देखने के लिए पूरे देश से लोग जाते हैं. खजुराहों में कंदरिया महादेव मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. आप भी देखें तस्वीरें

(खजुराहों का कंदरिया महादेव मंदिर)
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
मध्य प्रदेश का खजुराहो भारत की महान पुरातात्विक विरासत और स्थापत्य कला का केंद्र है. यहां के हजार साल से भी ज्यादा पुराने मंदिरों और उनकी कारीगरी को देखने पूरी दुनिया से पर्यटक आते है. इस समय खजुराहो में फिलहाल 25 मंदिर बचे हैं, लेकिन उनमें कंदरिया महादेव मंदिर का मंदिर अनूठा और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. इस मंदिर से जुड़ी कहानी भी बेहद रोचक है. कहते है कि महमूद गजनवी को पराजित करने के बाद महादेव के उपासक चंदेल राजा ने यह मंदिर बनवाया था. इस मंदिर की कारीगरी पर्यटकों का मन मोह लेती है.
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
ट्रेवल मैनेजर अजय कश्यप के मुताबिक आज से तकरीबन हजार साल पहले खजुराहो चंदेल राजवंश की राजधानी हुआ करती थी. यहां के अधिकतर मंदिरों को चंदेल शासकों ने ही बनवाया था. वहां के प्रमुख मंदिरों में से एक कंदरिया महादेव मंदिर को गंडदेव के पुत्र सम्राट विद्याधर ने बनवाया था.
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
माना जाता है कि यह मंदिर ईस्वी सन् 1025 से 1050 के बीच में बना है. मान्यता है कि इस मंदिर को विद्याधर ने महमूद गजनवी को परास्त करने के बाद बनवाया था. वह शिव भक्त थे और उनका मानना था कि शिव की कृपा से ही उन्होंने महमूद गजनी को परास्त किया है. इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.
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
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह का एक प्रमुख मंदिर है. यह इस समूह के सभी मंदिरों में से सबसे बड़ा और मंदिर है. मंदिर शिव भगवान को समर्पित है, जिसके गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है. यह शिवलिंग श्वेत संगमरमर से बना है. मंदिर की दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई है. इस मंदिर को सामने से देखने से ऐसा लगता है, कि जैसे हम किसी गुफा में प्रवेश कर रहे हैं. गुफा को कंदरा भी कहते हैं, इसलिए इसका नाम कंदरिया महादेव मंदिर पड़ा. जिसका मतलब कंदरा में रहने वाले शिव है.
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
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है. यह मंदिर संधार शैली और सप्त रथ शैली में बना है. यह खजुराहो का सबसे विकसित मंदिर भी है. इस मंदिर में अर्ध मंडप, मंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं. गर्भ गृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी बना है.यह मंदिर अति विकसित शैली संयुक्त मध्य भारत में बना अपनी तरह का शानदार मंदिर है. मंदिर ऊंची जगह पर निर्मित है. जिसमें दो तोरण देखने के लिए मिलते हैं. ये मुख्य प्रवेश द्वार और मंडप पर लगे हैं. मंदिर की दीवारों पर भी कारीगरी की गई है. मंदिर में एक सुंदर शिखर भी देखने को मिलता है.
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
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है. यह मंदिर संधार शैली और सप्त रथ शैली में बना है. यह खजुराहो का सबसे विकसित मंदिर भी है. इस मंदिर में अर्ध मंडप, मंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं. गर्भ गृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी बना है.यह मंदिर अति विकसित शैली संयुक्त मध्य भारत में बना अपनी तरह का शानदार मंदिर है. मंदिर ऊंची जगह पर निर्मित है. जिसमें दो तोरण देखने के लिए मिलते हैं. ये मुख्य प्रवेश द्वार और मंडप पर लगे हैं. मंदिर की दीवारों पर भी कारीगरी की गई है. मंदिर में एक सुंदर शिखर भी देखने को मिलता है.
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
कंदरिया महादेव मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति बनी हुई है. उसके बाद सुंदरियों और देवदासियों की प्रतिमाएं बनी हैं. इसमें सुंदरियों की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में बनी हैं. यहां अनेक कामुक प्रतिमाएं भी दिख जाती हैं. इस तरह की प्रतिमाएं भी 3 पंक्तियों में बनाई गई है. इनके अलावा यहां नागकन्या की मूर्तियां भी हैं जो दीवार के कोने में हाथ जोड़कर खड़ी हुई हैं. साथ ही चंदेल राजवंश का चिन्ह भी यहां की दीवारों पर उकेरे गए हैं. खंभों के ऊपर भी सुंदर नक्काशी की गई है. गर्भगृह जहां शिवलिंग स्थापित है.
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मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है. जो बहुत ही खूबसूरत है. मंदिर में कोने में आले बनाए गए हैं, जिनमें देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाई गई हैं. इनमें से बहुत-सी प्रतिमाएं खंडित अवस्था में यहां मौजूद हैं. गर्भगृह में परिक्रमा करने के लिए परिक्रमा पथ बनाया गया है. यह पथ बाहर के मंदिर और गर्भगृह को अलग करता है. इस पथ में भी बहुत सारी मूर्तियां देखने को मिलती हैं, जो बहुत ही आकर्षक हैं. मंदिर के अंदर घूमने के बाद मंदिर के बाहर आकर वहां बनी मूर्ति कला को देखना भी मोहित कर लेता है.
Published at : 15 Nov 2022 10:57 AM (IST)
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
Opinion