Maa Bamleshwari Temple: मां बम्लेश्वरी देवी देती हैं जीवनदान, मध्य प्रदेश के इस धाम के पीछे हैं छिपी है एक प्रेम कहानी
Maa Bamleshwari Devi Temple: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कई बेहद मान्यता वाले धार्मिक स्थल हैं. ऐसा ही एक माता का धाम है डोंगरगढ़ (Dongargarh) में बम्लेश्वरी माता मंदिर (Maa Bamleshwari Devi Temple), माता के इस धाम की श्रद्धालुओं में बहुत ज्यादा मान्यता है. करीब 2 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर पहाड़ की हरियाली के बीच ना सिर्फ श्रद्धालुओं में भक्ति का संचार करता है बल्कि आसपास का माहौल भी लुभाता है.
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View In Appमान्यता है कि माता बम्लेश्वरी 10 महाविद्याओं में से एक बगलामुखी देवी का ही स्वरूप हैं. मंदिर में पूरे साल श्रद्धालु आते रहते हैं लेकिन नवरात्र के दिनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां उमड़ती है. खास बात ये कि मंदिर तक पहुंचने के लिए एक हजार सीढ़ियां चढ़नी होती हैं. हालांकि जो लोग सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम नहीं हैं उनके लिए रोपवे की भी व्यवस्था है.
पौराणिक मान्यता है कि किसी वक्त में इस जगह को कामाख्या नगरी के नाम से पुकारा जाता था. उस वक्त के राजा मदनसेन के बेटे कामसेन ने एक नर्तकी कामकंदला और उसके साथी माधवानल को राजदरबार में खुश होकर अपने गले का हार दे दिया था. माधवानल ने ये हार कामकंदला को पहना दिया. इससे गुस्सा होकर कामसेन ने माधवानल को देश से बाहर निकालने का आदेश दे दिया.
इसके बाद माधवानल कामकंदला को मुक्त कराने की अपील लेकर राजा विक्रमादित्य के पास पहुंचे. इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने कामाख्य नगरी पर हमला बोल दिया और राज्य पर जीत भी हासिल कर ली. लेकिन इस दौरान कामकंदला को किसी ने माधवानल के युद्ध में मारे जाने की झूठी खबर दे दी.
जिसके बाद कामकंदला ने तालाब में कूदकर जान दे दी. दुख में माधवानल ने भी जान दे दी. इस बात से राजा विक्रमादित्य परेशान हो गए और मां बगलामुखी की आराधना शुरू कर दी. मां ने खुश होकर दर्शन दिए और दोनों को जीवनदान दिया. जिसके बाद से यहां मां बम्लेश्वरी के तौर पर आज तक पूजी जाती हैं.
अगर आप भी यहां दर्शन करना चाहते हैं तो आपको रायपुर एयरपोर्ट पहुंचकर सिर्फ 72 किलोमीटर का सफर करना होगा. इसके अलावा ये जगह रेलमार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा है.
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