Madhya Pradesh Foundation Day: मध्य प्रदेश का फाउंडेशन डे कल, तस्वीरों में जानिए कैसे हुई थी राज्य की स्थापना
मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर राज्य भर में कल सेलिब्रेशन होगा. 67 साल के हो रहे मध्य प्रदेश ने इस दौरान अपने विकास की नई गाथा लिखी है. दस प्रतिशत से अधिक की विकास दर और गेहूं के उत्पादन में देश भर में नंबर वन का तमगा हासिल मध्य प्रदेश को भारत का हृदय स्थल भी माना जाता है. हालांकि मध्य प्रदेश की राजधानी को लेकर भोपाल के साथ इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के बीच झगड़ा था लेकिन अंत में बाजी तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इच्छा पर भोपाल के हाथ लगी. 26 जनवरी,1950 को देश में संविधान लागू हुआ. इसके बाद साल 1951-1952 में देश में पहले आम चुनाव कराए गए, जिसके कारण संसद एवं विधान मंडल अस्तित्व में आये. प्रशासनिक दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया.
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View In Appसाल 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नया राज्य मध्य प्रदेश का उदय हुआ. प्रदेश का पुर्नगठन भाषाई आधार पर किया गया था. इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे, जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं. इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ. इसे पहले मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था. 1 नवंबर, 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी कर लिया गया. भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुन लिया गया. राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित कर दिया गया. मध्य प्रदेश के गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थी.आज मध्य प्रदेश में कुल 55 जिले और 10 संभाग हैं. राजधानी के लिए राज्य के कई बड़े शहरों में आपसी लड़ाई चल रही थी.
सबसे पहला नाम ग्वालियर और फिर इंदौर का गूंज रहा था. इसके साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम सुझाया था लेकिन भवन ज्यादा होने के कारण सरकारी कामकाज के लिए भोपाल को उपयुक्त माना गया. इसी वजह से भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के तौर पर चुना गया था. भोपाल के नवाब तो भारत से संबंध ही रखना नहीं चाहते थे. नवाब हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध करने लगे थे. देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भोपाल को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया. वहीं जबलपुर को सद्भावना के तौर पर हाईकोर्ट और बिजली बोर्ड के मुख्यालय की सौगात दी गई.
मध्य प्रदेश ने विकास और समृद्धि की एक लंबी यात्रा तय की है. इस यात्रा में हर वर्ग के नागरिकों का सहयोग और योगदान रहा है. विकास की इस यात्रा में नागरिकों ने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया और सरकार के सहयोग से नए रास्ते और नए विकल्प खोज लिए. प्रदेश का स्थापना दिवस यहां के लिए एक उत्सव है. नागरिक स्वस्थ रहें, खुशहाल रहें और हर मुसीबत से दूर रहें. मध्य प्रदेश आत्म-निर्भर बनते हुए आर्थिक समृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहा है. विकास के हर क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है. अर्थ-व्यवस्था में हर क्षेत्र और वर्ग की उत्साहपूर्वक भागीदारी हो रही है. यही कारण है कि कोविड-19 से उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों में भी मध्य प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था न सिर्फ स्थिर रही बल्कि और मजबूती से आगे बढ़ी. अभी समृद्धि का लंबा सफर तय करना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाएं, जिसमें हर वर्ग को विकास का लाभ मिल सके. मध्य प्रदेश इस उद्देश्य को पूरा करने में अपना योगदान देने के लिए निरंतर परिश्रम कर रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकास के हर क्षेत्र के लिए योजनाएं बनाई हैं. केंद्र सरकार की अनूठी योजनाएं, उदार वित्तीय सहयोग और प्रदेश की नवाचारी विकास रणनीतियां मिल कर एक नया मध्य प्रदेश बनाने में सहयोगी साबित हुई हैं. मध्य प्रदेश की आर्थिक गतिशीलता में अब कोई बाधा नहीं रहेगी. मध्य प्रदेश ने दूरदर्शी नीतियों से कोरोना संक्रमण जैसे कठिन समय में अपनी क्षमता साबित कर दी है, जिससे अर्थ-व्यवस्था मजबूती से खड़ी रही. प्रदेश ने वैश्विक स्तर से उपजी चुनौतियों का भी पूरी क्षमता से सामना किया. प्रदेश डिजिटल इकोनामी बनाने की राह पर चल पड़ा है. सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्रों में भी निवेश हो रहा है. एमएसएमई क्षेत्र में तेजी से स्टार्ट-अप बढ़ रहे हैं. सकल राज्य घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है. अर्थ-व्यवस्था का आकार कई गुना बढ़ चुका है और आने वाले वर्षों में विशाल रूप ले लेगा.
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