Election Results 2024
(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jabalpur News: मध्य प्रदेश के इस गांव में 12 साल से है शराब पर बैन, पीने वालों को देना होता है 10 हजार का जुर्माना
Jabalpur News: भले ही आज बीजेपी नेता उमा भारती मध्यप्रदेश में शराबबन्दी की मांग कर रही है लेकिन जबलपुर में एक ऐसा आदिवासी गांव है. जहां 12 साल से शराबबंदी लागू है.गांव के लोगों ने एकता और अनुशासन की ऐसी मिसाल पेश की है कि गांव में अब कोई भी शराब पीकर या लेकर नहीं आता. आज हम आपको इसी गांव का रोचक कहानी बताने जा रहे हैं....
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appजबलपुर का एक आदिवासी बाहुल्य गांव इस मामले में अलहदा साबित हो रहा है.आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में रहने वाले लोगों ने बीते 12 सालों से शराब को नजदीक से देखा तक नहीं है. दरअसल 12 साल पहले गांव के लोगों ने शराबबंदी का संकल्प लिया और तब से आजतक इस गांव में ना तो शराब खरीदी गई, ना बेची गई और ना ही किसी ने इसे हाथ लगाया. यदि कोई शख्स बाहर से शराब लेकर या पीकर आए तो समझो उसकी खैर नहीं. ग्राम पंचायत द्वारा शराब के उपयोग पर सीधे 10 हजार रूपए का जुर्माना लगाया गया है.इसके लिए बकायदा प्रस्ताव पारित किया गया था यानि इस गांव में अपनी ही एक सरकार चलती है जो लोगों की जिंदगी को शराब जैसी बुराई से बचाकर रखे हुए है.
दरअसल जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बरगी विधानसभा के आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत देवरी नवीन के पंचों एवं महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आपसी सौहार्द्र से 12 वर्ष पूर्व एक ऐतिहासिक फैसला लिया था. ग्राम पंचायत द्वारा नशामुक्ति के लिए एक समिति का गठन करते हुए ग्राम पंचायत में शराब बंदी करने का निर्णय लिया गया और इस मामले को लेकर एक संकल्प पारित करते हुए गांव में बैठक कर इसको पूरा किया गया.गांव के मुखिया जय सिंह बरकड़े कहते है कि,शराब हर विवाद की जड़ है.शराब से अच्छे-अच्छे घर बर्बाद हुए और कई परिवार बिखर गए.यह नौबत कभी गांव में ना आए इसलिए गांव की पंचायत ने शराब बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के साथ पीने वाले व्यक्ति पर 10 हजार जुर्माना और गाली-गलौज करने वाले पर 5 हजार जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है.
गांव के मुखिया जय सिंह बरकड़े के मुताबिक ग्राम पंचायत देवरी नवीन के साथ तिन्हेटा और बाड़ीबारा गांव में शराब पीने वाले व्यक्ति पर जुर्माने लगाने का नियम है. यह सब वहां की महिलाओं के संकल्प से हुआ है.महिलाएं आगे आकर खुद शराब पीने वाले व्यक्ति का नाम बताती है. इसके साथ ही शराब पीने वाले व्यक्ति से जुर्माने के रूप में जो राशि मिलती है,वह गांव के विकास, गरीब बच्चों की शादी और शिक्षा जैसे कार्यों पर खर्च की जाती है.
गांव की महिला पंच झूना बाई मरकाम बताती है कि एक दौर था जब ग्राम पंचायत के हर मोहल्ले में जगह-जगह अनाधिकृत रूप से शराब बनाई जा रही थी और खुलेआम उसकी बिक्री होती थी.ग्राम पंचायत के युवा और बुजुर्ग शराब के आदी हो रहे थे और चारों ओर अशांति फैल रही थी.शराब की बिक्री के कारण गांव में महिलाओं तथा छोटे बच्चों पर विपरीत असर पड़ रहा था.
शराब बंदी का निर्णय लेने के बाद शुरूआती सालों में शराबियों को काफी परेशानी भी हुई क्योंकि शराब बेचने और पीने वाले को सबसे पहले समिति के सामने पेश किया जाता था.फिर समिति के सदस्य पूरी जानकारी के साथ ग्राम पंचायत में मामले को लाते थे.जहां ग्राम पंचायत द्वारा शराब पीने वालों ओर बेचने वाले दोनों पर जुर्माना लगाया जाता था. लेकिन बीते पांच सालों से गांव में शराब पीने, बेचने का एक भी मामला सामने नहीं आया और पूरा गांव अब शराब मुक्त हो चुका है.
गांव के सरपंच रामकुमार सैयाम बताते हैं कि गांव का एक युवक रोज शराब पीकर अपने घर आता था. इस बात से परेशान होकर उसकी पत्नी ने ही इसकी शिकायत गांव की पंचायत से की.जिसके बाद गांव की पंचायत ने अपना फैसला सुनाया और युवक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -