In Pics: सावन-भादों की तरह कार्तिक मास में भी नगर भ्रमण पर निकले महाकाल, भक्तों ने किया जोरदार स्वागत, देखें तस्वीरें
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की सवारी सावन और भादो के साथ कार्तिक और अगहन मास में भी निकलती है. कार्तिक मास के दूसरे सोमवार यानी 28 नवंबर को भगवान महाकाल की सवारी शाही ठाठ-बाट के साथ निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में शिव भक्तों ने हिस्सा लिया.
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View In Appभगवान महाकाल का पूरे मार्ग में श्रद्धालुओं द्वारा जोरदार स्वागत भी किया गया. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक मास के दूसरे सोमवार भगवान महाकाल का विधि विधान के साथ पूजन किया गया. इसके बाद भगवान महाकाल की सवारी निकली.
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि, सावन और भादो की तरह कार्तिक और अगहन में निकलने वाली सवारी में भी उसी प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है. भगवान महाकाल को मुख्य द्वार पर गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, जिसके बाद सवारी रामघाट पर पहुंचती है, जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक होता है.
इसके बाद रामघाट पर पूजा अर्चना के बाद सवारी एक बार फिर विभिन्न मार्गो से होती हुई महाकालेश्वर मंदिर पहुंचती है. भगवान महाकाल की सवारी जब तक मंदिर नहीं पहुंचती है, तब तक मंदिर में होने वाली पूजा और आरती को रोक दिया जाता है.
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि जिस प्रकार सावन और भादो माह में भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में दर्शन देते हैं. इस तरह की परंपरा कार्तिक और अगहन मास में भी निभाई जाती है.
कार्तिक मास के दूसरे और अंतिम सोमवार भगवान महाकाल मन महेश के रूप में दर्शन दिए. अब अगहन मास में दो सवारी निकाली जाएगी. कार्तिक और अगहन मास में कुल चार सवारी निकलेगी.
भगवान महाकाल के मन महेश के रूप में दर्शन करने से मन शांत होता है और सारी मनोकामना पूरी होती है. कार्तिक पूर्णिमा होने की वजह से दूसरी सवारी में भी श्रद्धालुओं की संख्या अधिक देखने को मिली.
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