In Pics: इन 14 खूबसूरत महलों को देखे बिना अधूरी है मध्यप्रदेश की सैर, देखें अनोखी तस्वीरें
यदि आप मध्यप्रदेश घूमने का प्लान कर रहे है तो यहां के ऐतिहासिक महल और किलों को अपने टूर शेड्यूल में जरूर रखियेगा. इन महलों और किलों की खूबसूरती और वास्तुकला आपका मन मोह लेगी. यहां हम आपको इन ऐतिहासिक महलों और किलों की विस्तार से जानकारी दे रहे है.
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View In Appयह महल ग्वालियर में स्थित है.इसका निर्माण राजा मानसिंह तोमर ने अपनी गुजरी रानी मृगनयनी के लिए करवाया था.मृगनयनी का मूल नाम निन्नी था. अब इस महल को एक संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया है और यहां पर कई सारी दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहर संरक्षित की जाती हैं.इसमें शालभंजिका प्रतिमाएं और बाघ की चित्रकारी की अनुकृतियां शामिल है.
यह महल ग्वालियर में स्थित है जो कि अपनी ऐतिहासिकता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है.यह महल मराठा सिंधिया वंश से तालुकात रखता है और वर्तमान समय में महल का कुछ हिस्सा जीवाजी राव सिंधिया संग्रहालय में मिला दिया गया है.जय विलास महल वर्ष 1874 में बनकर तैयार हुआ था और इस महल के वास्तुकार लेफ्टिनेंट कर्नल सर्वाइकल फिलोस थे.
मान मंदिर महल भी ग्वालियर में स्थित है.यह ग्वालियर के किले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है.इस महल को पेंटेड हाउस के नाम से भी जाना जाता है जिसमें फूलों,पक्षियों,जानवरों एवं मनुष्य के रंग-बिरंगे चित्र बने हुए हैं.इस महल का निर्माण भी राजा मानसिंह द्वारा वर्ष 1486 से लेकर 1517 के बीच में कराया गया था.इस महल के तयखानों में एक कैद खाना बना हुआ है.
धार जिले का यह प्राचीन महल जिसे ‘जल महल’ के नाम से जाना जाता है.यह महू-नीमच रोड पर धार जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी उत्तर-पूर्व में सादलपुर ग्राम में स्थित है.यह महल माण्डव के सुल्तान नासिर-उद-दीन खिलजी (1500-1512 ई.) से सम्बद्ध है.महल के एक स्तम्भ पर अंकित लेख अनुसार 1589 ई. में अकबर के दक्कन प्रस्थान के दौरान यहाँ ठहरने का उल्लेख मिलता है.यहां जैन एवं वैष्णव मंदिरों तथा बावड़ियों के भी साक्ष्य मिलते हैं.
राजा हृदय शाह ने मंडला से 17 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच सुरम्य वातावरण और पवित्र नर्मदा नदी के किनारे रामनगर में अपनी राजधानी बनाई थी.रामनगर में राजा हृदय शाह ने कई महल और मंदिर बनवाये जिनमें से अधिकांश इमारतें आज भी सुरक्षित हैं,जिनमे प्रमुख है सन 1667 में बना मोती महल.रामनगर कई गोंड राजओं की राजधानी रहा है.ये सभी इमारतें समय के साथ-साथ नष्ट होने लगी थीं परन्तु अब पुरातत्व विभाग द्वारा इन्हें बचाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं. पुरातत्व विभाग द्वारा इन्हें संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है.मोती महल में पांच मंजिला इमारत है लेकिन यह कहा जाता है कि दो मंजिल नीचे जमीन पर दबी हुई है और तीन मंजिल है अभी भी ऊपर हैं, जहां पर दूर-दूर से पर्यटक और आसपास के लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं.
यह महल भी मंडला जिले में रामनगर के समीप है.मोती महल से डेढ़ मील की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है इस महल को बघेलन महल के नाम से भी जाना जाता है.रानी महल को भारत शासन द्वारा सुरक्षित घोषित किया गया है.
इस महल को रजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है और यह इंदौर के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक है.इस महल का निर्माण अहिल्याबाई ने करवाया था. यह महल पूरी तरह से लकड़ी और पत्थर से बनाया गया है.इस महल का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था.
टीकमगढ़ जिले में यह ओरछा के किले में बना एक आलीशान महल है जो कि मुख्य रूप से राजा के लिए अलग से बनाया गया था.इस महल के बाहरी स्तर पर पूरा परिसर लाटों से सजा है जबकि अंदर सज्जा में सर्वश्रेष्ठ चित्रों की भव्यता है.
यह महल मांडू में स्थित है यह महल खूबसूरत दिखने वाले दो तालाब के बीच बनवाया गया था जिससे कि यह जहाज की तरह दिखाई दे.इस महल का निर्माण वर्ष 1469 से 1500 के बीच में खिलजी राजवंश के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी द्वारा करवाया गया था.इस महल के लिए अफगानिस्तान के आर्किटेक्चर की नियुक्ति की गई थी.
सतखंडा महल मध्य प्रदेश के दतिया जिले में है.इसका निर्माण सन 1614 ईस्वी में राजा वीर सिंह जूदेव बुंदेला करवाया था.इस महल का निर्माण पत्थर और ईटों के द्वारा ही किया गया है और यह 7 मंजिला महल है.इसमें किसी भी तरह के लकड़ी और लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है.सतखंडा महल को पुरानी महल,हवा महल और कीर्ति महल के रूप में भी जाना जाता है.यह सात मंजिला महल बुंदेली वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है.किवदंती के अनुसार इस महल में भूमि के नीचे 2 मंजिलें हैं. पूरा महल नौ खंडों का है.सात खंड भूमि के ऊपर और 2 खंड भूमि के नीचे हैं महल के भूतल से नीचे की मंजिलों में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है किंतु नीचे जाने का रास्ता अब बंद कर दिया गया है.
हिंडोला महल का मतलब होता है झूलती हुई जगह.यह महल पुराने समय के राज्यों और शासन की भव्यता का प्रतीक है.हिंडोला महल मांडू की शाही इमारतों में से एक है और इस महल का निर्माण होशंग शाह के शासनकाल में किया गया था.इस महल की बाहरी दीवार 77 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं,जिसके कारण इस महल को हिंडोला महल कहा जाता है.
मांडू में रूपमती महल से थोड़ा नीचे की ओर बाज बहादुर महल स्थित है.यह कहा जाता है कि रूपमती महल का मंडप बाज बहादुर महल से देखने पर बहुत ही सुंदर लगता है.यह महल मांडू में स्थित है और यह सोलवीं सदी का महल है जिसमें एक बड़ा सा आंगन, बड़ा सा हॉल और एक छत शामिल है.यह महल रूपमती और बाज बहादुर के बीच की प्रेम प्रसंग के दूसरे पहलू को दिखाता है.
अशर्फी महल मांडू का एक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है.यह भी एक सुंदर महल हुआ करता था.मगर अब यह पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है और इस महल के अंदर महमूद खिलजी की कब्र देखने के लिए मिलती है.यहां पर महल के टूटे हुए अंश देखने के लिए मिल जाते हैं.अशर्फी महल का, जो प्रवेश द्वार संगमरमर का बना हुआ है और बहुत ही जबरदस्त लगता है. अशर्फी महल जामा मस्जिद के ठीक सामने बना हुआ है.इस महल का निर्माण महमूद खिलजी ने मदरसे के लिए करवाया था.यह महल जामा मस्जिद के सामने स्थित है.इस महल को मध्य प्रदेश के सिटी ऑफ जॉय कहा जाता है.
मदन महल जबलपुर में स्थित है.सुंदर जंगल और पहाड़ों के बीच यह एक दर्शनीय महल है. इस महल का निर्माण 1200 ईसवी में गोंड राजा मदन शाह ने कराया था. -------------
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