In Pics: सीएम डॉ मोहन यादव को अब उज्जैन में मिला कुलपति का ये बंगला, जानिए इसकी खासियत
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का दफ्तर उज्जैन के कुलपति निवास से भी संचालित होगा. यह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का उज्जैन में नया ठिकाना होगा.
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View In Appउज्जैन स्थित कुलपति निवास के इस बंगले को साढ़े तीन दशक पहले तैयार किया गया था. बंगले में कुल आठ कमरे और एक बड़ा हाल है. इसके अलावा सर्व सुविधायुक्त बंगले में सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव पूर्व में उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव के बंगले में शिफ्ट होने वाले थे. इस बंगले को पूरी तरह तैयार भी कर लिया गया था, इसी बीच सुरक्षा की दृष्टि से कुल सचिव का बंगला सभी मानक बिंदुओं पर खरा साबित नहीं हो रहा था.
इसी के चलते फिर दफ्तर और निवास के लिए बंगला ढूंढने की जद्दोजहद शुरू हुई. वहीं अब तलाश के बाद कुलसचिव की जगह कुलपति का बंगला फाइनल किया गया. उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अखिलेश पांडेय के बंगले में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का नया ठिकाना रहेगा. इसी बंगले से वे दफ्तर भी संचालित करेंगे.
कुलपति के बंगले पर पिछले 12 सालों से काम कर रहे अनिल मालवीय ने बताया कि वह यहां पर माली का काम करते हैं. बंगले के आसपास पूरे परिसर में अच्छी गार्डनिंग की गई है. उन्होंने कहा कि बंगला खाली हो रहा है. अब कुलसचिव के बंगले में कुलपति निवास करेंगे. इन पेड़ पौधों को बड़ी मशक्कत के बाद तैयार किया गया था.
कुलपति के बंगले में काम करने वाले अनिल मालवीय ने आगे बताया कि उन्हें थोड़ा दुख जरूर हो रहा है, मगर इस बात की खुशी है कि यह बंगला मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को अलॉट हो रहा है. इसी प्रकार की प्रतिक्रिया कुलपति के वाहन चालक संजय शर्मा ने भी दी. उन्होंने भी कहा कि दुख तो होता है, मगर मुख्यमंत्री के आने की खुशी भी है.
पहले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव कुलसचिव के बंगले में शिफ्ट होने वाले थे, लेकिन अब कुलपति के बंगले में उनके शिफ्ट होने की तैयारी चल रही है. अभी कुलपति का सामान कुलसचिव के बंगले में भेजा जा रहा है.
कुलपति और कुलसचिव के वर्तमान बंगले में काफी अंतर है. कुलसचिव का जो बंगला है उसमें केवल चार कमरे हैं जबकि कुलपति के बंगले में आठ कमरे हैं. इनमें दो गेस्ट रूम भी है. इसके अलावा पूरा परिसर 4 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है.
कुलपति और कुल सचिव के बंगले में एक सबसे महत्वपूर्ण अंतर सुरक्षा की दृष्टि से भी देखा जा रहा है. कुलसचिव के बंगले की बाउंड्री वाल काफी नीची है और आसपास पूरा इलाका खुला है, जबकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का यहां पर कारकेट खड़ा होना भी मुश्किल है.
इसी प्रकार यदि कुलपति का बंगला देखा जाए तो वह सुरक्षा की दृष्टि से चारों तरफ ऊंची बाउंड्री वाल है. इतना ही नहीं पूरा एरिया दो बाउंड्री वालों के जरिए कवर्ड किया गया है. इसके अतिरिक्त क्षेत्रफल की दृष्टि से भी बंगला दोगुना बड़ा है. यहां पर कारकेट खड़ी करने की भी पर्याप्त व्यवस्था है.
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