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Chhindwara News: मां के साथ सब्जियां बेचकर चलाया घर,अब 12वीं में हासिल किए 92 प्रतिशत अंक, जानिए वर्षा के संघर्ष की कहानी

सब्जी बेचने वाली बच्ची ने किया स्कूल में टॉप

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Chhindwara News: हमने अक्सर सुना है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. लेकिन मध्य प्रदेश (MP) के छिंदवाड़ा जिले की वर्षा ने इस कहावत को सच करके दिखाया है. आज हम आपको वर्षा के संघर्ष और हौसले की वो कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर हर कोई भावुक हो जाएगा. सब्जी बेचकर मां के साथ घर चलाने में मदद करने वाली वर्षा ने अपनी जिंदगी में कई दुखों का सामना किया है. लेकिन इन दुखों को वर्षा ने कभी अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया और यही वजह है कि आज कड़ी मेहनत के दम पर बारहवीं के बोर्ड इम्तिहान में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. ऐसा करने उसने ना सिर्फ अपने परिवार बल्कि अपने स्कूल का भी नाम भी रोशन किया है.चलिए बताते हैं आपको वर्षा की सफलता की पूरी कहानी...
Chhindwara News: हमने अक्सर सुना है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. लेकिन मध्य प्रदेश (MP) के छिंदवाड़ा जिले की वर्षा ने इस कहावत को सच करके दिखाया है. आज हम आपको वर्षा के संघर्ष और हौसले की वो कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर हर कोई भावुक हो जाएगा. सब्जी बेचकर मां के साथ घर चलाने में मदद करने वाली वर्षा ने अपनी जिंदगी में कई दुखों का सामना किया है. लेकिन इन दुखों को वर्षा ने कभी अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया और यही वजह है कि आज कड़ी मेहनत के दम पर बारहवीं के बोर्ड इम्तिहान में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. ऐसा करने उसने ना सिर्फ अपने परिवार बल्कि अपने स्कूल का भी नाम भी रोशन किया है.चलिए बताते हैं आपको वर्षा की सफलता की पूरी कहानी...
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छिंदवाड़ा शहर के श्रीवास्तव कालोनी की छोटी सी गली में रहने वाली वर्षा साहू अपनी मां मुन्नी के साथ फुटपाथ पर बैठकर सब्जियां बेचती है और परिवार की जीविका चलाने में उनका हाथ बंटाती है. दरअसल वर्षा के पिता काम नहीं कर पाते है. इसलिए वो मां के साथ घर चलाने में पूरा सहयोग देती है. ऐसे हालात में पढ़ाई करना उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था.फिर भी वर्षा ने जीविका चलाने के साथ-साथ पढ़ाई भी की और परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अपनी पढ़ाई के प्रति ललक का लोहा मनवा लिया.
छिंदवाड़ा शहर के श्रीवास्तव कालोनी की छोटी सी गली में रहने वाली वर्षा साहू अपनी मां मुन्नी के साथ फुटपाथ पर बैठकर सब्जियां बेचती है और परिवार की जीविका चलाने में उनका हाथ बंटाती है. दरअसल वर्षा के पिता काम नहीं कर पाते है. इसलिए वो मां के साथ घर चलाने में पूरा सहयोग देती है. ऐसे हालात में पढ़ाई करना उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था.फिर भी वर्षा ने जीविका चलाने के साथ-साथ पढ़ाई भी की और परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अपनी पढ़ाई के प्रति ललक का लोहा मनवा लिया.
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दरअसल छिंदवाड़ा के विद्या निकेतन में पढ़ने वाली वर्षा ने कक्षा 12वीं में 92 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है. वर्षा की इस सफलता पर मां सहित स्कूल वालों को भी नाज है.
दरअसल छिंदवाड़ा के विद्या निकेतन में पढ़ने वाली वर्षा ने कक्षा 12वीं में 92 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है. वर्षा की इस सफलता पर मां सहित स्कूल वालों को भी नाज है.
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आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्षा साहू कोरोना काल में सब्जी की दुकान ना लगा पाने के कारण दो साल से स्कूल फीस तक नहीं दे पाई थी. वर्षा का परिवार पिछले दो सालो से कोरोना की वजह से व्यापार ठप्प होने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. अनलॉक के कुछ महीने बाद ही वर्षा की शादीशुदा बहन को ब्रेन ट्यूमर होने की वजह से इस परिवार के पास जो भी थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी,वो उसके इलाज में लगा दी गई. लेकिन कुछ दिन बाद बहन की मौत हो गई. मृत बहन एक छोटा बच्चा भी अपने पीछे छोड़ गई.उसकी भी सारी जिम्मेदारी वर्षा के परिवार पर ही है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्षा साहू कोरोना काल में सब्जी की दुकान ना लगा पाने के कारण दो साल से स्कूल फीस तक नहीं दे पाई थी. वर्षा का परिवार पिछले दो सालो से कोरोना की वजह से व्यापार ठप्प होने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. अनलॉक के कुछ महीने बाद ही वर्षा की शादीशुदा बहन को ब्रेन ट्यूमर होने की वजह से इस परिवार के पास जो भी थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी,वो उसके इलाज में लगा दी गई. लेकिन कुछ दिन बाद बहन की मौत हो गई. मृत बहन एक छोटा बच्चा भी अपने पीछे छोड़ गई.उसकी भी सारी जिम्मेदारी वर्षा के परिवार पर ही है.
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इन सब कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए वर्षा ने हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष करती रही.वर्षा प्रतिदिन मां के साथ सब्जी की दुकान में 6 घंटे सहयोग करती थी. इसके बाद 10 से 12 घंटे की अलग-अलग पालियों में पढ़ाई करती थी.कभी टाइम मैनेज नहीं होने पर वर्षा ने अपनी सब्जी की दुकान में बैठकर भी पढ़ाई जारी रखी लेकिन वो लक्ष्य से नहीं भटकी.लगातार दिक्कतों की वजह से वर्षा ने अपने स्कूल की 2 साल की कुल 28 हजार रूपए की फीस भी नहीं चुका पाई है.उसका कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने भी हमें भरपूर सहयोग किया है.
इन सब कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए वर्षा ने हार नहीं मानी और लगातार संघर्ष करती रही.वर्षा प्रतिदिन मां के साथ सब्जी की दुकान में 6 घंटे सहयोग करती थी. इसके बाद 10 से 12 घंटे की अलग-अलग पालियों में पढ़ाई करती थी.कभी टाइम मैनेज नहीं होने पर वर्षा ने अपनी सब्जी की दुकान में बैठकर भी पढ़ाई जारी रखी लेकिन वो लक्ष्य से नहीं भटकी.लगातार दिक्कतों की वजह से वर्षा ने अपने स्कूल की 2 साल की कुल 28 हजार रूपए की फीस भी नहीं चुका पाई है.उसका कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने भी हमें भरपूर सहयोग किया है.
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बेहद प्रतिभाशाली छात्रा वर्षा के घर में माता-पिता के अलावा छोटा भाई और बड़ी बहन का बेटा है. वर्षा की मां मुन्नी साहू ने बताया कि सब्जी की दुकान से हमारी आमदनी महीने में बमुश्किल 7 से 8 हजार की हो पाती है. आज इतनी महंगाई में इस आमदनी में घर चलाना बहुत मुश्किल है. महंगाई की वजह से बच्चो की पढ़ाई में काफी दिक्कत होती है.इसी वजह से हमने वर्षा की दो साल से फीस नहीं चुका पाए. छिंदवाड़ा जिले के टॉपर्स की लिस्ट में शामिल होने से महज कुछ नंबर से चूकी वर्षा को मलाल जरूर है लेकिन वर्षा का कहना है कि मैं यूपीएससी क्लियर कर आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं.
बेहद प्रतिभाशाली छात्रा वर्षा के घर में माता-पिता के अलावा छोटा भाई और बड़ी बहन का बेटा है. वर्षा की मां मुन्नी साहू ने बताया कि सब्जी की दुकान से हमारी आमदनी महीने में बमुश्किल 7 से 8 हजार की हो पाती है. आज इतनी महंगाई में इस आमदनी में घर चलाना बहुत मुश्किल है. महंगाई की वजह से बच्चो की पढ़ाई में काफी दिक्कत होती है.इसी वजह से हमने वर्षा की दो साल से फीस नहीं चुका पाए. छिंदवाड़ा जिले के टॉपर्स की लिस्ट में शामिल होने से महज कुछ नंबर से चूकी वर्षा को मलाल जरूर है लेकिन वर्षा का कहना है कि मैं यूपीएससी क्लियर कर आईएएस अधिकारी बनना चाहती हूं.

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