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MP News: जबलपुर है घूमने की लिए शानदार जगह, मन मोह लेगी भेड़ाघाट की खूबसूरती, देखें तस्वीरें

MP News: कचनार सिटी कि प्रसिद्धी यहां पर बहुत ऊंची शिव प्रीतिमा के कारण देश विदेश में है. यह मूर्ति 15 फरवरी 2006 में जन दर्शन और पूजा के लिए तैयार की गयी.

MP News: कचनार सिटी कि प्रसिद्धी यहां पर बहुत ऊंची शिव प्रीतिमा के कारण देश विदेश में है. यह मूर्ति 15 फरवरी 2006 में जन दर्शन और पूजा के लिए तैयार की गयी.

वन जीव (फोटो- अजय त्रिफाठी)

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क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां अगले हफ्ते से शुरू होने वाली है.इस दौरान अधिकांश घरों में घूमने फिरने का प्लान बनने लगा है.आज हम आपको मध्यप्रदेश के नैसर्गिक सुंदरता से लबरेज शहर जबलपुर की घूमने-फिरने वाली शानदार लोकेशन के बारे में बताने जा रहे है,जिन्हें देखकर आपकी छुट्टियां यादगार बन जाएंगी.
क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां अगले हफ्ते से शुरू होने वाली है.इस दौरान अधिकांश घरों में घूमने फिरने का प्लान बनने लगा है.आज हम आपको मध्यप्रदेश के नैसर्गिक सुंदरता से लबरेज शहर जबलपुर की घूमने-फिरने वाली शानदार लोकेशन के बारे में बताने जा रहे है,जिन्हें देखकर आपकी छुट्टियां यादगार बन जाएंगी.
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मदन महल किला- जबलपुर में मदन महल किला उन शासकों के जीवन की गवाही के रूप में खड़ा है, जिन्होंने 15 वीं शताब्दी ईस्वी में यहां पर शासन किया था. शहर से कुछ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित मदन महल किला राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया था.किले का संबंध राजा की माता रानी दुर्गावती से भी है,जो उस समय के एक बहादुर गोंड शासक थी.यह किला रानी दुर्गावती की आभा और उनके पूर्ण सुसज्जित प्रशासन तथा सेना के बारे में बताता है. मदन महल किला निश्चित रूप से भारत के प्राचीन प्राचीन स्मारकों में से एक है और जबलपुर की यात्रा पर अत्यधिक अनुशंसित है.
मदन महल किला- जबलपुर में मदन महल किला उन शासकों के जीवन की गवाही के रूप में खड़ा है, जिन्होंने 15 वीं शताब्दी ईस्वी में यहां पर शासन किया था. शहर से कुछ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित मदन महल किला राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया था.किले का संबंध राजा की माता रानी दुर्गावती से भी है,जो उस समय के एक बहादुर गोंड शासक थी.यह किला रानी दुर्गावती की आभा और उनके पूर्ण सुसज्जित प्रशासन तथा सेना के बारे में बताता है. मदन महल किला निश्चित रूप से भारत के प्राचीन प्राचीन स्मारकों में से एक है और जबलपुर की यात्रा पर अत्यधिक अनुशंसित है.
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प्रकृति का चमत्कार-बैलेंसिंग रॉक - जबलपुर प्राकृतिक चमत्कार 'बैलेंसिंग रॉक' के लिए प्रसिद्ध है.यह पर्यटक स्थल मदन महल किले के पास स्थित है.बैलेंसिंग रॉक विस्फोटित ज्वालामुखी रॉक संरचनाओं का उदाहरण है.यहाँ बड़ी से चट्टान केवल थोड़ा सा स्पर्श करके विशाल आधार चट्टान पर संतुलन बनाती है.फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि 6.5 की तीव्रता के भूकंप में भी बैलेंसिंग रॉक बच गया.कहा जाता है कि इस चट्टान के संतुलन को बिगाड़ना असंभव है.
प्रकृति का चमत्कार-बैलेंसिंग रॉक - जबलपुर प्राकृतिक चमत्कार 'बैलेंसिंग रॉक' के लिए प्रसिद्ध है.यह पर्यटक स्थल मदन महल किले के पास स्थित है.बैलेंसिंग रॉक विस्फोटित ज्वालामुखी रॉक संरचनाओं का उदाहरण है.यहाँ बड़ी से चट्टान केवल थोड़ा सा स्पर्श करके विशाल आधार चट्टान पर संतुलन बनाती है.फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि 6.5 की तीव्रता के भूकंप में भी बैलेंसिंग रॉक बच गया.कहा जाता है कि इस चट्टान के संतुलन को बिगाड़ना असंभव है.
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कचनार के 75 फ़ीट के शिव- कचनार सिटी कि प्रसिद्धी यहाँ पर बहुत ऊँची शिव प्रीतिमा के कारण देश विदेश में है.यह मूर्ति 15 फ़रवरी 2006 में जन दर्शन व पूजा के लिए तैयार की गयी. इस मूर्ति कि ऊंचाई 75 फीट और व्यास 23 मीटर है.यह एक गुफा के उपर स्थापित है.इस गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग है जो कि देश के भिन्न-भिन्न शिव धार्मिक स्थल से लायें गए हैं.
कचनार के 75 फ़ीट के शिव- कचनार सिटी कि प्रसिद्धी यहाँ पर बहुत ऊँची शिव प्रीतिमा के कारण देश विदेश में है.यह मूर्ति 15 फ़रवरी 2006 में जन दर्शन व पूजा के लिए तैयार की गयी. इस मूर्ति कि ऊंचाई 75 फीट और व्यास 23 मीटर है.यह एक गुफा के उपर स्थापित है.इस गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग है जो कि देश के भिन्न-भिन्न शिव धार्मिक स्थल से लायें गए हैं.
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बरगी डेम में समुद्र से नजारा- जबलपुर का बरगी डेम नर्मदा नदी का सबसे महत्वपूर्ण डेम है.इस डेम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है.इसमें समुद्र से नजारा दिखता है.बरगी डाइवर्शन प्रोजेक्ट और रानी अवंतीबाई लोधी सागर प्रोजेक्ट इस डेम पर विकसित की गई दो महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है.समय के साथ बरगी डेम जबलपुर के एक महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है.मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में काफी पहल की है.सरकार ने यहां एक रिसॉर्ट भी खोला है, जिसके आगे का हिस्सा डेम की ओर है.इस रिसॉर्ट से डेम और जलाशय का असाधारण नजारा देखने को मिलता है. यहां बोट राइड, फिशिंग, वाटर स्कूटर आदि की सुविधा भी है, जिससे बरगी डेम की यात्रा और भी मनोरंजक बन जाती है. इतना ही नहीं, डेम के आसपास के क्षेत्रों में मैना, तोता, सारस, कबूतर और स्थानीय काली गौरेया सहित अनेक पक्षियों को भी देखा जा सकता है.
बरगी डेम में समुद्र से नजारा- जबलपुर का बरगी डेम नर्मदा नदी का सबसे महत्वपूर्ण डेम है.इस डेम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है.इसमें समुद्र से नजारा दिखता है.बरगी डाइवर्शन प्रोजेक्ट और रानी अवंतीबाई लोधी सागर प्रोजेक्ट इस डेम पर विकसित की गई दो महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है.समय के साथ बरगी डेम जबलपुर के एक महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित हुआ है.मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में काफी पहल की है.सरकार ने यहां एक रिसॉर्ट भी खोला है, जिसके आगे का हिस्सा डेम की ओर है.इस रिसॉर्ट से डेम और जलाशय का असाधारण नजारा देखने को मिलता है. यहां बोट राइड, फिशिंग, वाटर स्कूटर आदि की सुविधा भी है, जिससे बरगी डेम की यात्रा और भी मनोरंजक बन जाती है. इतना ही नहीं, डेम के आसपास के क्षेत्रों में मैना, तोता, सारस, कबूतर और स्थानीय काली गौरेया सहित अनेक पक्षियों को भी देखा जा सकता है.
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भेडाघाट की मन मोहिनी खूबसूरती  जबलपुर का जिक्र हो तो सबसे पहले भेडाघाट की ही चर्चा होती है.भेड़ाघाट स्थित संगमरमरी चट्टानें अन्य किसी भी पर्यटन स्थलों में सर्वाधिक घूमी जाने वाली जगह है.यह कहना गलत नहीं होगा कि जबलपुर और संगमरमरी चट्टान एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं.यहां संगमरमरी चट्टान नर्मदा नदी के दोनों ओर करीब 100 फीट ऊंची है. भेड़ाघाट का शांत और निर्मल जल सबका मन मोह लेता है.जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टान पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है.भेड़ाघाट और यहां की संगमरमर की चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम पर होती है,जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है.इस माहौल में अगर आप बोट राइड करेंगें तो इस अनुभव को जीवन भर नहीं भूल पाएंगे.
भेडाघाट की मन मोहिनी खूबसूरती जबलपुर का जिक्र हो तो सबसे पहले भेडाघाट की ही चर्चा होती है.भेड़ाघाट स्थित संगमरमरी चट्टानें अन्य किसी भी पर्यटन स्थलों में सर्वाधिक घूमी जाने वाली जगह है.यह कहना गलत नहीं होगा कि जबलपुर और संगमरमरी चट्टान एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं.यहां संगमरमरी चट्टान नर्मदा नदी के दोनों ओर करीब 100 फीट ऊंची है. भेड़ाघाट का शांत और निर्मल जल सबका मन मोह लेता है.जब सूरज की रोशनी सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टान पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है.भेड़ाघाट और यहां की संगमरमर की चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम पर होती है,जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है.इस माहौल में अगर आप बोट राइड करेंगें तो इस अनुभव को जीवन भर नहीं भूल पाएंगे.
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चौसठ योगिनी मंदिर- जबलपुर शहर से 20 किमी दूर अपनी दूधिया संगमरमर चट्टानों के लिए विश्व प्रसिद्ध भेडाघाट पर्यटन स्थल में चौसठ योगिनी का मंदिर उसी इतिहास का साक्षी है.हालांकि मुगल आक्रांता औरंगजेब ने यहां की सभी योगिनियों को खंडित कर दिया था.लेकिन आज भी इस मंदिर का ढांचा बेहद मजबूत है और बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने आते है.एएसआई ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है.
चौसठ योगिनी मंदिर- जबलपुर शहर से 20 किमी दूर अपनी दूधिया संगमरमर चट्टानों के लिए विश्व प्रसिद्ध भेडाघाट पर्यटन स्थल में चौसठ योगिनी का मंदिर उसी इतिहास का साक्षी है.हालांकि मुगल आक्रांता औरंगजेब ने यहां की सभी योगिनियों को खंडित कर दिया था.लेकिन आज भी इस मंदिर का ढांचा बेहद मजबूत है और बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने आते है.एएसआई ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है.
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नियाग्रा की टक्कर का है धुआंधार-  भेडाघाट में ही नियाग्रा की टक्कर का धुआंधार जलप्रपात भी है.10 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाले इस प्रपात की छटा अनुपम है.इसकी उत्पत्ति नर्मदा नदी से होती है.यह सुरम्य प्रपात प्रसिद्ध संगमरमर की चट्टानों से निकलता है.यहां पानी जब बड़ी धारा के साथ गिरता है तो उसके गिरने की आवाज काफी दूर से सुनाई देती है.इस जल प्रपात में पानी गिरने से उस स्थान पर कुहासा या धुंआ सा बन जाता है. इसलिए इसे धुआंधार जलप्रपात कहा जाता है.सुंदरता के लिहाज से धुआंधार जलप्रपात एक असाधारण स्थल है, जिससे देखने पूरे साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं.यह जगह दोस्तों और परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए भी काफी आदर्श है.जलप्रपात के सामने काफी बड़ा खुला स्थान है. जबलपुर शहर से 25 किमी दूर स्थित यह जलप्रापत अपनी मनमोहक सुंदरता के कारण एक चर्चित पर्यटन स्थल है.
नियाग्रा की टक्कर का है धुआंधार- भेडाघाट में ही नियाग्रा की टक्कर का धुआंधार जलप्रपात भी है.10 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाले इस प्रपात की छटा अनुपम है.इसकी उत्पत्ति नर्मदा नदी से होती है.यह सुरम्य प्रपात प्रसिद्ध संगमरमर की चट्टानों से निकलता है.यहां पानी जब बड़ी धारा के साथ गिरता है तो उसके गिरने की आवाज काफी दूर से सुनाई देती है.इस जल प्रपात में पानी गिरने से उस स्थान पर कुहासा या धुंआ सा बन जाता है. इसलिए इसे धुआंधार जलप्रपात कहा जाता है.सुंदरता के लिहाज से धुआंधार जलप्रपात एक असाधारण स्थल है, जिससे देखने पूरे साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं.यह जगह दोस्तों और परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए भी काफी आदर्श है.जलप्रपात के सामने काफी बड़ा खुला स्थान है. जबलपुर शहर से 25 किमी दूर स्थित यह जलप्रापत अपनी मनमोहक सुंदरता के कारण एक चर्चित पर्यटन स्थल है.
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दुमना नेचर रिजर्व पार्क- डुमना नेचर रिज़र्व पार्क जबलपुर जिले में स्थित जनता के लिए खुला एक इकोटूरिज्म साइट है. इसमें 1058 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बांध, वन और वन्यजीव शामिल हैं.चीतल, जंगली सूअर, साही, सियार और कई प्रजातियों के पक्षी सहित जंगली जानवर पार्क में रहते हैं.पार्क के भीतर और आसपास तेंदुओं की साइटिंग की भी होती है.यहां बच्चों के पार्क और एक रेस्तरां उपलब्ध हैं.पास के खंदारी डैम में एक लटकता हुआ पुल, टेंट प्लेटफॉर्म, रेस्ट हाउस, फिशिंग प्लेटफॉर्म और बोटिंग अन्य आकर्षण हैं.मगरमच्छों की उपस्थिति के कारण स्नान या तैराकी सहित पानी में गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं.
दुमना नेचर रिजर्व पार्क- डुमना नेचर रिज़र्व पार्क जबलपुर जिले में स्थित जनता के लिए खुला एक इकोटूरिज्म साइट है. इसमें 1058 हेक्टेयर क्षेत्र में एक बांध, वन और वन्यजीव शामिल हैं.चीतल, जंगली सूअर, साही, सियार और कई प्रजातियों के पक्षी सहित जंगली जानवर पार्क में रहते हैं.पार्क के भीतर और आसपास तेंदुओं की साइटिंग की भी होती है.यहां बच्चों के पार्क और एक रेस्तरां उपलब्ध हैं.पास के खंदारी डैम में एक लटकता हुआ पुल, टेंट प्लेटफॉर्म, रेस्ट हाउस, फिशिंग प्लेटफॉर्म और बोटिंग अन्य आकर्षण हैं.मगरमच्छों की उपस्थिति के कारण स्नान या तैराकी सहित पानी में गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं.

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