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In Pics: भोपाल के आस-पास इन धार्मिक स्थलों पर उमड़ेगी सैलानियों की भीड़, नए साल का भगवान के आर्शीवाद से करेंगे आगाज

Bhopal News: भोपाल सहित आसपास करीब 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. जबकि भोपाल शहर में भी चार से पांच स्पॉट है जहां से भोपालवासी नववर्ष का आगाज करेंगे.

Bhopal News: भोपाल सहित आसपास करीब 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. जबकि भोपाल शहर में भी चार से पांच स्पॉट है जहां से भोपालवासी नववर्ष का आगाज करेंगे.

(भोपाल में इन जगहों पर मनाएं न्यू ईयर 2023, फोटो- नितिन ठाकुर)

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Madhya Pradesh News: सोमवार से शुरु हो रहे 2023 नववर्ष का आगाज प्रदेशवासी धार्मिक स्थलों से करेंगे. राजधानी भोपाल से 30 से 40 किलोमीटर के दायरे में प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर, भोजपुर के शिव मंदिर तो सलकनपुर विजयासन धाम सहित अनेक प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालु पहुंचकर दर्शनों का लाभ लेकर नववर्ष का आगाज करेंगे. कोरोना महामारी के कारण बीते दो साल से फीका पड़ रहा नए साल का जश्न इस बार राजधानी भोपाल में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा. साल 2023 के वेलकम के लिए झीलों की नगरी राजधानी भोपाल पूरी तरह तैयार है. राजधानी भोपाल के मनोरम दृश्य सैलानियों को खासा लुभाएंगे. नए साल के उत्साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी भोपाल सहित आसपास के टूरिस्ट पैलेस होटल पूरी तरह से बुक हो गए हैं.
Madhya Pradesh News: सोमवार से शुरु हो रहे 2023 नववर्ष का आगाज प्रदेशवासी धार्मिक स्थलों से करेंगे. राजधानी भोपाल से 30 से 40 किलोमीटर के दायरे में प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर, भोजपुर के शिव मंदिर तो सलकनपुर विजयासन धाम सहित अनेक प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालु पहुंचकर दर्शनों का लाभ लेकर नववर्ष का आगाज करेंगे. कोरोना महामारी के कारण बीते दो साल से फीका पड़ रहा नए साल का जश्न इस बार राजधानी भोपाल में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा. साल 2023 के वेलकम के लिए झीलों की नगरी राजधानी भोपाल पूरी तरह तैयार है. राजधानी भोपाल के मनोरम दृश्य सैलानियों को खासा लुभाएंगे. नए साल के उत्साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी भोपाल सहित आसपास के टूरिस्ट पैलेस होटल पूरी तरह से बुक हो गए हैं.
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बता दें कि राजधानी भोपाल सहित आसपास करीब 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. जबकि भोपाल शहर में भी चार से पांच स्पॉट है जहां से भोपालवासी नववर्ष का आगाज करेंगे. राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीहोर जिला मुख्यालय पर भी नए साल के मौके पर बड़ी संख्या में भोपालवासी पहुंचेंगे. यहां भगवान चिंतामन गणेश के दर्शनों से नववर्ष का आगाज करेंगे. इसी तरह भोपाल से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सलकनपुर देवीधाम पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला कल सुबह से ही शुरु हो जाएगा. जबकि भोपाल से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भोजपुर में स्थित भगवान शिव के दर्शनों के लिए भी श्रद्धालुओं का तांता उमड़ेगा.
बता दें कि राजधानी भोपाल सहित आसपास करीब 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं. जबकि भोपाल शहर में भी चार से पांच स्पॉट है जहां से भोपालवासी नववर्ष का आगाज करेंगे. राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीहोर जिला मुख्यालय पर भी नए साल के मौके पर बड़ी संख्या में भोपालवासी पहुंचेंगे. यहां भगवान चिंतामन गणेश के दर्शनों से नववर्ष का आगाज करेंगे. इसी तरह भोपाल से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सलकनपुर देवीधाम पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला कल सुबह से ही शुरु हो जाएगा. जबकि भोपाल से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भोजपुर में स्थित भगवान शिव के दर्शनों के लिए भी श्रद्धालुओं का तांता उमड़ेगा.
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साल 2023 का जश्न मनाने वाले सैलानी वनविहार जाने से भी अपने आपको नहीं रोक पाएंगे. वन विहार में बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घडिय़ाल, कछुआ सहित विभिन्न प्रकार के सांप हैं. वन विहार में प्रतिदिन बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. सुबह सात से रात रात बजे तक यहां घूमने के लिए लोग आते हैं, लेकिन नए साल पर यहां सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है. वहीं आने वाला साल 2023 हर व्यक्ति के लिए उत्साह भरा हो इसलिए हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ घूमने जाएंगे. लोग अपने परिवार के साथ भोपाल के बिड़ला मंदिर भी जरुर जाएंगे. संग्रहालय बिड़ला मंदिर परिसर का एक हिस्सा है जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर स्थापित है.
साल 2023 का जश्न मनाने वाले सैलानी वनविहार जाने से भी अपने आपको नहीं रोक पाएंगे. वन विहार में बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घडिय़ाल, कछुआ सहित विभिन्न प्रकार के सांप हैं. वन विहार में प्रतिदिन बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. सुबह सात से रात रात बजे तक यहां घूमने के लिए लोग आते हैं, लेकिन नए साल पर यहां सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है. वहीं आने वाला साल 2023 हर व्यक्ति के लिए उत्साह भरा हो इसलिए हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ घूमने जाएंगे. लोग अपने परिवार के साथ भोपाल के बिड़ला मंदिर भी जरुर जाएंगे. संग्रहालय बिड़ला मंदिर परिसर का एक हिस्सा है जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र मंदिर स्थापित है.
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राजधानी भोपाल में स्थित जनजातीय संग्रहालय भी लोगों की पहली पसंद है. हालांकि, इस संग्रहालय को युवा पीढ़ी से ज्यादा 40 से 60 साल के लोग पसंद करते हैं. इस संग्रहालय का प्रतीक चिन्ह बिरछा है. संग्रहालय में अलग-अलग छह कला दीर्घाएं बनी है, जहां जनजातीय जीवन शैली के अलग-अलग हिस्सों को चित्रों और वस्तुओं के माध्यम से दर्शाया गया है. जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश की बैगा, सहरिया, गोंड, भील, कोरकू, कोल और भारिया जनजातियों की झलकियां देखने को मिलती है. भोपाल शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी कई मनोहर दृश्य है. इनमें हम भीमबेटका की बात करें तो यह लगभग 30 हजार साल पुरानी है. भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है. इस स्मारक को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है.
राजधानी भोपाल में स्थित जनजातीय संग्रहालय भी लोगों की पहली पसंद है. हालांकि, इस संग्रहालय को युवा पीढ़ी से ज्यादा 40 से 60 साल के लोग पसंद करते हैं. इस संग्रहालय का प्रतीक चिन्ह बिरछा है. संग्रहालय में अलग-अलग छह कला दीर्घाएं बनी है, जहां जनजातीय जीवन शैली के अलग-अलग हिस्सों को चित्रों और वस्तुओं के माध्यम से दर्शाया गया है. जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश की बैगा, सहरिया, गोंड, भील, कोरकू, कोल और भारिया जनजातियों की झलकियां देखने को मिलती है. भोपाल शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी कई मनोहर दृश्य है. इनमें हम भीमबेटका की बात करें तो यह लगभग 30 हजार साल पुरानी है. भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है. इस स्मारक को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है.
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माना जाता है यह स्थान महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है. इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा है. भीमबेटका की गुफाओं को घूमने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. यहां भारतीयों के लिए इंट्री फीस दस रुपये, जबकि विदेशी मेहमानों से 100 रुपये लिए जाते हैं. सुबह सात से शाम छह बजे तक यहां पर्यटक आते हैं. वहीं भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्तूप स्थित है. गुंबद के आकार का यह स्मारक 120 फीट चौड़ा और 54 फीट ऊंचा है. राजधानी भोपाल के नजदीक सांची स्तूप को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में यहां सैलानी आएंगे. सांची सहित आसपास के क्षेत्रों में होटल अभी से फुल हैं.
माना जाता है यह स्थान महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है. इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा है. भीमबेटका की गुफाओं को घूमने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. यहां भारतीयों के लिए इंट्री फीस दस रुपये, जबकि विदेशी मेहमानों से 100 रुपये लिए जाते हैं. सुबह सात से शाम छह बजे तक यहां पर्यटक आते हैं. वहीं भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्तूप स्थित है. गुंबद के आकार का यह स्मारक 120 फीट चौड़ा और 54 फीट ऊंचा है. राजधानी भोपाल के नजदीक सांची स्तूप को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में यहां सैलानी आएंगे. सांची सहित आसपास के क्षेत्रों में होटल अभी से फुल हैं.

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