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Mahakal Mandir: शाही ठाट-बाट के साथ निकली बाबा महाकाल की सवारी, अलग-अलग रूपों में जाना प्रजा का हाल
Mahakal ki Sawari Ujjain: भगवान महाकाल भादो पक्ष के पहले सोमवार को प्रजा का हाल जानने के लिए शहर के भ्रमण पर निकले. इस दौरान राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की.

भादो पक्ष का पहले सोमवार का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सिर्फ सावन माह ही नहीं बल्कि भादो का महीना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अच्छा माना जाता है. आज पहले सोमवार को उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी निकली.
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भादो पक्ष के पहले सोमवार को बाबा महाकाल की छठी सवारी पूरे प्रोटोकॉल और धूमधाम के साथ निकलीं. इस दौरान कृष्ण जन्माष्टमी और बाबा महाकाल की सवारी के सुयोग पर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह और आस्था दिखाई दी.
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राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन पहुंचकर बाबा महाकाल के दर्शन पूजन कर आशीर्वाद लिया. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बाबा महाकाल की सवारी में भी शामिल हुए.
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केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास उईके, सावित्री ठाकुर और उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवालभी सवारी में शामिल हुए. पूजन- अर्चन शासकीय पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के जरिये संपन्न कराया गया.
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सबसे पहले भगवान श्री महाकालेश्वर का षोड़शोपचार से पूजन- अर्चन किया गया. महाकालेश्वर भगवान षष्ठम सवारी पालकी में चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश का रुप में भ्रमण पर निकले.
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इसके अलावा डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद और रथ पर घटाटोप विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलें. मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के जरिये पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी गई.
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इंदौर और उज्जैन में लगातार हो रही बारिश की वजह से शिप्रा नदी उफान पर है. ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन ने काफी इंतजार किया मगर घाटों से पानी नहीं उतर पाया.
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इसी वजह से सोमवार (26 अगस्त) को पालकी रामघाट के उस स्थान तक नहीं पहुंच पाई जहां पर हर बार पालकी का पूजन कर भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक होता है.
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हालांकि शिप्रा के घाट पर पालकी का पूजन किया गया और भगवान महाकाल का शिप्रा के जल से अभिषेक किया गया. बाबा महाकाल की सवारी जैसे ही गोपाल मंदिर पहुंची, वहां हरि हर मिलन का अद्भुत नजारा दिखाई दिया.
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श्रद्धालुओं के जरिये पुष्प वर्षा कर बाबा की पालकी का स्वागत किया गया और भव्य रूप में आरती का गायन हुआ. सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर पहुंची.
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इसके बाद बाबा महाकाल की पालकी सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई दोबारा महाकालेश्वर मंदिर पहुंची.
Published at : 26 Aug 2024 11:25 PM (IST)
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
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