कार्तिक मास के दूसरे सोमवार पर महाकाल ने चंद्रमौलीश्वर के रूप में दिए दर्शन, जानिए धार्मिक महत्व
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर विराजित भगवान महाकाल की सावन और भादो के साथ-साथ कार्तिक और अगहन माह में भी सवारी निकलती है.
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View In Appमहाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि सवारी निकलने के पूर्व सोमवार सायं 04 बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभामण्डप में भगवान का विधिवत पूजन अर्चन किया गया.
पूजन शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा द्वारा किया गया. सवारी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, पालकी में विराजित भगवान को पुलिस के जवानों द्वारा सलामी दी गई.
तत्पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर अपनी प्रजा का हाल जानने भ्रमण पर निकले. कार्तिक माह की दूसरी सवारी विधिवत पूजन- अर्चन के बाद महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंची. जहां पर भगवान श्री महाकालेश्वर का मां क्षिप्रा के जल से अभिषेक किया गया.
पूजन- अभिषेक के पश्चात सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिेक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पहुची. गोपाल मंदिर पर परम्परानुसार पूजन किया गया.
जिसके पश्यात सवारी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए महाकालेश्वर मंदिर पहुंची. वैकुंठ चतुर्दशी शनिवार 14 नवम्बर 2024 को रात्रि 11 बजे हरिहर मिलन की सवारी निकाली जावेगी.
जो महाकालेश्वर मंदिर से गोपाल मंदिर जायेगी व पूजन पश्चात पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी.
इस दौरान महाकालेश्वर मंदिर और गोपाल मंदिर के पुजारी द्वारा विधि विधान के साथ शिव और विष्णु का पूजन किया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु को भगवान शिव सृष्टि का भार सौंप देते हैं.
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