Mahakal Temple: चंद्रमौलीश्वर रूप में भ्रमण पर निकले बाबा महाकालेश्वर, तस्वीरों में देखें महाकाल की शाही सवारी
भगवान महाकाल की मार्गशीर्ष माह की पहली सवारी लाव लश्कर के साथ निकली. भगवान महाकाल ने चंद्रमौलीश्वर रूप में भक्तों को दर्शन दिया. भगवान महाकाल की सवारी से पूरी अवंतिका नगरी शिवमय हो गई.
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View In Appअगहन माह में निकलने वाली सवारी का महत्व सावन और भादो से कम नहीं है. सवारी निकलने के पहले महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित सभामंडप में मुख्य पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा द्वारा भगवान महाकालेश्वर के चन्द्रमौलीश्वर स्वरूप का विधिवत पूजा-अर्चना किया गया.
महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि सवारी निकलने से पहले पूजा-अर्चना किया गया. पूजन के बाद भगवान चन्द्रमौलीश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर प्रजा का हॉल जानने नगर भ्रमण पर निकलें.
सवारी में आगे तोपची, कडाबीन, पुलिस बैंड घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान नगर वासियों को बाबा के आगमन की सूचना देते चल रहे थे. पालकी को मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गई.
इसके बाद सवारी महाकालेश्वर मंदिर से महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची. रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से भगवान चन्द्रमौलीश्वर जी के अभिषेक के बाद आरती की गई.
मार्गशीर्ष माह (अगहन) की दूसरी और अंतिम सवारी शाही सवारी के रूप में 25 नवंबर 2024 को निकाली जाएगी. महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि रामघाट पर आरती के बाद सवारी गणगौर दरवाजा, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पहुंची.
गोपाल मंदिर पर पालकी में विराजमान चंद्रमौलीश्वर भगवान के परम्परागत पूजन के बाद सवारी पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए फिर से महाकालेश्वर मंदिर पहुंची, जहां महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में पूजन-आरती के बाद सवारी का विश्राम हुआ.
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