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In Pics: ठाकरे फैमिली के फायरब्रांड चाचा-भतीजा Raj Thackeray-Bal Thackeray, जानिए क्यों हैं दोनों एक जैसे ?

राज ठाकरे-बाल ठाकरे

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Raj Thackeray-Bal Thackeray: बाल ठाकरे (Bal Thackeray) महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासी पन्नों पर लिखा वो नाम हैं जिसकी पहचान सिर्फ देश ही नहीं दुनिया तक में मशहूर है. राजनीतिक गलियारों के किस्सों को तो अमूमन हर कोई कम या ज्यादा जानता ही है लेकिन ठाकरे परिवार में सत्ता के लालच, पुत्रमोह और धोखे की एक ऐसी कहानी भी है जो ज्यादा लोगों को नहीं पता. आज बात बाल ठाकरे और उनके भतीजे राज ठाकरे की. दोनों की शख्सियतों में कई चीजें ऐसी हैं कि फर्क करना मुश्किल है कि आखिर दोनों अलग हैं या फिर एक ही इंसान हैं. बाल ठाकरे से राजनीति का ककहरा सीख उनकी ही दिखाई राह पर उनके ही अंदाज में बढ़ने वाले राज ठाकरे एक वक्त बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे थे लेकिन सीनियर ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की एंट्री के बाद सबकुछ बदल गया. आज बात करेंगे महाराष्ट्र इन दो फायरब्रांड नेताओं बाल ठाकरे और राज ठाकरे की.
Raj Thackeray-Bal Thackeray: बाल ठाकरे (Bal Thackeray) महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासी पन्नों पर लिखा वो नाम हैं जिसकी पहचान सिर्फ देश ही नहीं दुनिया तक में मशहूर है. राजनीतिक गलियारों के किस्सों को तो अमूमन हर कोई कम या ज्यादा जानता ही है लेकिन ठाकरे परिवार में सत्ता के लालच, पुत्रमोह और धोखे की एक ऐसी कहानी भी है जो ज्यादा लोगों को नहीं पता. आज बात बाल ठाकरे और उनके भतीजे राज ठाकरे की. दोनों की शख्सियतों में कई चीजें ऐसी हैं कि फर्क करना मुश्किल है कि आखिर दोनों अलग हैं या फिर एक ही इंसान हैं. बाल ठाकरे से राजनीति का ककहरा सीख उनकी ही दिखाई राह पर उनके ही अंदाज में बढ़ने वाले राज ठाकरे एक वक्त बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे थे लेकिन सीनियर ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे की एंट्री के बाद सबकुछ बदल गया. आज बात करेंगे महाराष्ट्र इन दो फायरब्रांड नेताओं बाल ठाकरे और राज ठाकरे की.
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बाल ठाकरे-राज ठाकरे में क्या है समानता ? - बाल ठाकरे अपने तीखे बयानों, इलीट लाइफ स्टाइल और मुखर अंदाज के लिए जाने जाते रहे. जीवनभर उन्होंने कोई समझौता नहीं किया और जो कुछ भी किया वो डंके की चोट पर किया. उनके बयानों को भड़काऊ कहा जाता रहा. कई बार मुश्किलों में पड़े लेकिन तेवर और अंदाज नहीं बदला.
बाल ठाकरे-राज ठाकरे में क्या है समानता ? - बाल ठाकरे अपने तीखे बयानों, इलीट लाइफ स्टाइल और मुखर अंदाज के लिए जाने जाते रहे. जीवनभर उन्होंने कोई समझौता नहीं किया और जो कुछ भी किया वो डंके की चोट पर किया. उनके बयानों को भड़काऊ कहा जाता रहा. कई बार मुश्किलों में पड़े लेकिन तेवर और अंदाज नहीं बदला.
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उधर राज ठाकरे की बात करें तो चाचा से सियासत की एबीसीडी सीखने वाले राज का भी अंदाज कुछ ऐसा ही बोल्ड और बागी दिखता है. चाचा से झटका खाने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में नए दल का गठन किया. उन्होंने अपनी पार्टी को नाम दिया मनसे यानि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना. मराठी भाष और मराठा मानुष को प्राथमिकता की मांग के साथ आंदोलन शुरू किया. अंग्रेजी और हिंदी में लिखे बोर्ड काले करना.
उधर राज ठाकरे की बात करें तो चाचा से सियासत की एबीसीडी सीखने वाले राज का भी अंदाज कुछ ऐसा ही बोल्ड और बागी दिखता है. चाचा से झटका खाने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में नए दल का गठन किया. उन्होंने अपनी पार्टी को नाम दिया मनसे यानि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना. मराठी भाष और मराठा मानुष को प्राथमिकता की मांग के साथ आंदोलन शुरू किया. अंग्रेजी और हिंदी में लिखे बोर्ड काले करना.
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उत्तर भारतीयों को लेकर दिए भड़काऊ बयान और मनसे कार्यकर्ताओं के बवाल से पैदा हुए विवाद से राज ठाकरे को निगेटिव ही सही लेकिन अच्छी खासी पॉपुलैरिटी जरूर दी. सियासी समानताओं के अलावा पर्सनल लाइफ में भी उनपर चाचा बाल ठाकरे की छाप दिखाई देती है. राज ठाकरे भी चाचा की ही तरह एक अच्छे कार्टूनिस्ट रहे हैं. उन्होंने बाल ठाकरे की पत्रिका मार्मिक में कार्टूनिस्ट के तौर पर काफी वक्त तक काम भी किया था.
उत्तर भारतीयों को लेकर दिए भड़काऊ बयान और मनसे कार्यकर्ताओं के बवाल से पैदा हुए विवाद से राज ठाकरे को निगेटिव ही सही लेकिन अच्छी खासी पॉपुलैरिटी जरूर दी. सियासी समानताओं के अलावा पर्सनल लाइफ में भी उनपर चाचा बाल ठाकरे की छाप दिखाई देती है. राज ठाकरे भी चाचा की ही तरह एक अच्छे कार्टूनिस्ट रहे हैं. उन्होंने बाल ठाकरे की पत्रिका मार्मिक में कार्टूनिस्ट के तौर पर काफी वक्त तक काम भी किया था.
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अब बात दोनों के फर्क की –  बाल ठाकरे का जीवन शिवसेना से शुरू हुआ और उसी में अंतिम समय तक रहा, राज शिवसेना से राजनीतिक जीवन शुरू तो किया लेकिन 2006 में अपनी पार्टी बना ली.  राज ठाकरे ने भी बाल ठाकरे की तरह 2015 में मराठा नाम से अखबार शुरू किया, जो शिवसेना की तरह मनसे का मुखपत्र था, हालांकि, ये ज्‍यादा समय तक चल नहीं पाया. बाल ठाकरे हमेशा समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ नजर आए, लेकिन राज ठाकरे कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस और कभी एनसीपी के पक्ष में प्रचार करते नजर आए.
अब बात दोनों के फर्क की – बाल ठाकरे का जीवन शिवसेना से शुरू हुआ और उसी में अंतिम समय तक रहा, राज शिवसेना से राजनीतिक जीवन शुरू तो किया लेकिन 2006 में अपनी पार्टी बना ली. राज ठाकरे ने भी बाल ठाकरे की तरह 2015 में मराठा नाम से अखबार शुरू किया, जो शिवसेना की तरह मनसे का मुखपत्र था, हालांकि, ये ज्‍यादा समय तक चल नहीं पाया. बाल ठाकरे हमेशा समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ नजर आए, लेकिन राज ठाकरे कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस और कभी एनसीपी के पक्ष में प्रचार करते नजर आए.
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बाल ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों से भी आसानी से मिलते और उनकी समस्‍याएं या सुझाव सुनते थे, इस मामले में राज ठाकरे को बाल ठाकरे से अलग बताए जाते हैं. बाल ठाकरे हमेशा से राजनीति में सक्रिय रहते थे, राज ठाकरे के बारे में कहा जाता है कि चुनाव आने के दौरान सक्रिय होते हैं
बाल ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों से भी आसानी से मिलते और उनकी समस्‍याएं या सुझाव सुनते थे, इस मामले में राज ठाकरे को बाल ठाकरे से अलग बताए जाते हैं. बाल ठाकरे हमेशा से राजनीति में सक्रिय रहते थे, राज ठाकरे के बारे में कहा जाता है कि चुनाव आने के दौरान सक्रिय होते हैं
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बाल ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों से भी आसानी से मिलते और उनकी समस्‍याएं या सुझाव सुनते थे, इस मामले में राज ठाकरे को बाल ठाकरे से अलग बताए जाते हैं. बाल ठाकरे हमेशा से राजनीति में सक्रिय रहते थे, राज ठाकरे के बारे में कहा जाता है कि चुनाव आने के दौरान सक्रिय होते हैं
बाल ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों से भी आसानी से मिलते और उनकी समस्‍याएं या सुझाव सुनते थे, इस मामले में राज ठाकरे को बाल ठाकरे से अलग बताए जाते हैं. बाल ठाकरे हमेशा से राजनीति में सक्रिय रहते थे, राज ठाकरे के बारे में कहा जाता है कि चुनाव आने के दौरान सक्रिय होते हैं

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