Independence Day Special: जब अंग्रेजी जनरल ने निहत्थे मासूमों पर बरसाईं थी ताबड़तोड़ गोलियां, देश नहीं भूल सकता जलियांवाला बाग का हत्याकांड
Jallianwala Bagh Story: देश आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के मौके पर हम आपको आजादी के नायकों से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं. आज आपको बताएंगे आजादी के आंदोलन से जुड़ी एक ऐसी बड़ी घटना के बारे में जिसने देश के लोगों के खून में उबाल ला दिया था और ये घटना भारत में अंग्रेजी हुकुमत के खात्मे की शुरुआत मानी जाती है. बात कर रहे हैं अमृतसर (Amritsar) के जलियावांला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh) की. इस घटना के बारे में सुनकर आज भी ना सिर्फ लोगों की रूह कांप जाती है बल्कि आंखों से आंसू गिर पड़ते हैं.
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View In Appक्या था जलियावांला बाग हत्याकांड ? - पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को एक सभा का आयोजन किया गया था. ये जनसभा अंग्रेजों की कठोर नीतियों, रोलेट एक्ट और सत्यपाल और सैफुद्दीन को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में आयोजित की गई थी.
इससे पहले अंग्रेजों ने शहर में कर्फ्यू का ऐलान किया था. लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग इस जनसभा में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. हालांकि इस दिन बैसाखी के मेले की वजह से भी काफी लोग जलियावांला बाग पहुंचे थे.
इस भीड़ में युवा, बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं समेत हजारों लोग मौजूद थे. सभा में इतनी बड़ी संख्या में भीड़ देखकर अंग्रेज अफसर बौखला गए और भीड़ को संभालने पहुंचे जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने अपने 90 सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे दिया. बिना किसी चेतावनी के भीड़ पर फायरिंग कर दी गई.
10 मिनट के अंदर साढ़े सोलह सौ राउंड फायर किए गए. लोग ना सिर्फ फायरिंग में मारे गए बल्कि गोलियों से बचने की कोशिश में बहुत से लोग परिसर में मौजूद कुएं में भी कूद गए. इसके बाद कुआं लाशों से भर गया.
माना जाता है कि इस घटना में एक हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए थे. लेकिन सरकारी आंकड़ों में 484 शहीदों की सूची है. इस घटना में घायल होने वालों की संख्या भी दो हजार के पार है.
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