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Punjab Election 2022: जानिए कौन हैं गुरु रविदास, जिनकी जयंती की वजह से पंजाब में आगे बढ़ी चुनाव की तारीख
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गुरु रविदास जयंती
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![Punjab Election 2022: पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव को फिलहाल एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है.बता दें कि अब ये चुनाव 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को होंगे. बता दें कि गुरु रविदास जयंती की वजह से पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से मतदान को एक हफ्ते के लिए टालने की अपील की थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस बात की घोषणा की है. चलिए बताते हैं आपको कि कौन है गुरु रविदास ....](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/e32a7ba64fc911e1ae5ac42b249d6589eb6c0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
Punjab Election 2022: पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव को फिलहाल एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है.बता दें कि अब ये चुनाव 14 फरवरी की जगह 20 फरवरी को होंगे. बता दें कि गुरु रविदास जयंती की वजह से पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से मतदान को एक हफ्ते के लिए टालने की अपील की थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस बात की घोषणा की है. चलिए बताते हैं आपको कि कौन है गुरु रविदास ....
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![गुरू रविदास का जन्म काशी में साल 1433 को हुआ था. उनके जन्म से जुड़ा एक दोहा काफी फेमस है, जोकि चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास है. रविदास जी के पिता रग्घु और माता का नाम घुरविनिया था. वहीं उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/637fb4a8de7e7c3a87e8146359ff97a1cb196.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गुरू रविदास का जन्म काशी में साल 1433 को हुआ था. उनके जन्म से जुड़ा एक दोहा काफी फेमस है, जोकि चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास है. रविदास जी के पिता रग्घु और माता का नाम घुरविनिया था. वहीं उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है.
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![बता दें कि रविदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रविदास जी जूते बनाने का काम किया करते थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/e32a7ba64fc911e1ae5ac42b249d65891e828.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बता दें कि रविदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रविदास जी जूते बनाने का काम किया करते थे.
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![फिर धर्म से जुड़ने के बाद संत रविदास जी ने कबीर साहेब जी के कहने पर स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बना लिया था, लेकिन रविदास जी के वास्तविक आध्यात्मिक गुरु कबीर साहेब जी ही थे. आपको बता दें कि सतगुरु रविदास जी हमारे देश के उन विशेष महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को आत्मज्ञान, एकता, भाईचारा पर जोर देने के लिए कहा था. इतना ही नहीं रविदास जी महिमा से प्रभावित होकर कई राजा और रानियां भी इनकी शरण में आकर भक्ति के रास्ते से जुड़े थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/e910c0dc50e424261e36f12012e9a1aada92d.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
फिर धर्म से जुड़ने के बाद संत रविदास जी ने कबीर साहेब जी के कहने पर स्वामी रामानंद जी को अपना गुरु बना लिया था, लेकिन रविदास जी के वास्तविक आध्यात्मिक गुरु कबीर साहेब जी ही थे. आपको बता दें कि सतगुरु रविदास जी हमारे देश के उन विशेष महापुरुषों में से एक हैं जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को आत्मज्ञान, एकता, भाईचारा पर जोर देने के लिए कहा था. इतना ही नहीं रविदास जी महिमा से प्रभावित होकर कई राजा और रानियां भी इनकी शरण में आकर भक्ति के रास्ते से जुड़े थे.
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![गुरु रविदास जी शुरू से बहुत शालीन व्यवहार के थे और लोगों की मदद करते थे. अक्सर वो लोगों को उपहार में जूते भी दिया करते थे. जो उनके माता-पिता की बिल्कुल पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने रविदास जी और उनकी पत्नी को अपने घर से निकाल दिया. फिर रविदास पड़ोस के ही एक घर में रहकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और बाकी खाली वक्त को वो ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/cb09bdeb6a817b71736ac0431b8bce0c765f0.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गुरु रविदास जी शुरू से बहुत शालीन व्यवहार के थे और लोगों की मदद करते थे. अक्सर वो लोगों को उपहार में जूते भी दिया करते थे. जो उनके माता-पिता की बिल्कुल पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने रविदास जी और उनकी पत्नी को अपने घर से निकाल दिया. फिर रविदास पड़ोस के ही एक घर में रहकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और बाकी खाली वक्त को वो ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे.
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![गुरु रविदास जयंती 16 फरवरी को है. पंजाब में गुरु रविदास के अनुयायियों की अच्छी खासी तादाद है. गुरु रविदास के अनुयायी उनके दर्शन करने के लिए लाखों की तादाद में बनारस जाते हैं. राजनीतिक दलों का मानना था कि रविदास जंयति की वजह से मतदान में लोगों की भागीदारी कम होगी. इसलिए पंजाब के सभी राजनीतिक दल चुनाव की तारीख को एक हफ्ता आगे बढ़ाने की अपील कर रहे थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/17/a30a3592e10c5509716d3efff481a0eb24938.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गुरु रविदास जयंती 16 फरवरी को है. पंजाब में गुरु रविदास के अनुयायियों की अच्छी खासी तादाद है. गुरु रविदास के अनुयायी उनके दर्शन करने के लिए लाखों की तादाद में बनारस जाते हैं. राजनीतिक दलों का मानना था कि रविदास जंयति की वजह से मतदान में लोगों की भागीदारी कम होगी. इसलिए पंजाब के सभी राजनीतिक दल चुनाव की तारीख को एक हफ्ता आगे बढ़ाने की अपील कर रहे थे.
Published at : 17 Jan 2022 04:04 PM (IST)
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