In Pics: उदयपुर का 450 साल पुराना मंदिर, जहां से 360° में दिखता है पूरा मेवाड़, स्थापना के पीछे रोचक इतिहास
बीकानेर के देशनोक सरहद पर स्थित करणी माता मंदिर का इतिहास रोचक है. लेकिन क्या आप जानते हैं उदयपुर में भी करणी माता का मंदिर है? मेवाड़ के महाराणा ने बीकानेर से जोत लाकर उदयपुर में करणी माता मंदिर की स्थापना की थी. खास बात है कि शहर के बीच माछला मगरा पहाड़ी पर स्थित है. यही एक मात्र ऐसी जगह है जहां से 360° में पूरा मेवाड़ दिखाई देता है.
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View In Appकरणी माता मंदिर के पंडित गगन कुमावत का कहना है कि मेवाड़ के महाराणा कर्ण सिंह का विवाह बिकानेर राजघराने में हुआ तब मां करणी मेवाड़ छाबड़े पधारी थीं. 1621-1628 में महाराणा करण सिंह के शासन में मराठों की तरफ से हमले का डर बना रहता था. ऐसे में महाराणा के मंत्री अमरचन्द्र बड़वा ने एकलिगगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाकर उदयपुर शहर कोट बनवाया.
उस समय करणी मां के मंदिर की इसी विश्वास के साथ स्थापना की गई कि बीकानेर और जोधपुर की तरह मां करणी की कृपा से मेवाड़ भी सुरक्षित रहेगा. इसके लिए बीकानेर से जोत लाई गई थी. दयामयी मां करणी ने मरूधर की तरह मेवाड़ पर भी कृपा रखी और मेवाड़ क्षेत्र को आक्रमणकारियों से सुरक्षित रखा. उदयपुर के मंदिर में भी काबा (सफेद चूहे) को करणी मां का वंशज कहा जाता है और चारण समाज की कुल देवी है.
इतिहास मां करणी पर लिखी पुस्तक से लिया गया है. करणी माता का मंदिर भी भौगोलिक स्थिति के कारण एकाकी हो गया था. घने जंगलों से मंदिर वीरान हो गया था. लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदल गयी. सुबह सैर को आनेवालों ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. प्राचीन प्रतिमा को मौके पर रहने दिया गया और 1996 में दूसरी प्रतिमा की स्थापना की गई. मंदिर बनाने में पहाड़ पर बगैर सीढ़ियों के चढ़कर पानी, सीमेन्ट, ईंट ले जाना आसान नहीं होते हुए भी भक्तों ने बढ़चढ़कर मुश्किल काम को सरल कर दिखाया.
तलाई के पास माछला मगरा (पहाड़ी) पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए 375 सीढ़ियां हैं. सीढ़ियों के अलावा रोप वे की भी व्यवस्था की गई है. रोप वे से जाने पर शहर, जंगल, झीलों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. वन विभाग की तरफ से पहाड़ी पर नगर वन बनाया जा रहा है. लोगों के लिए शुद्ध ऑक्सीजन लेने की व्यवस्था की जा रही है.
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