In Photos: बारां में बाढ़ से स्थिति बनी भयावह, राहत और बचाव कार्य जारी, सामने आई ऐसी तस्वीरें

राजस्थान के बारां में तेज बारिश के कारण जिले में पार्वती, परवन और कालीसिंध नदियां उफान पर है. इन नदियों में ज्यादा पानी आने के कारण नदी किनारे बसे गांवों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं. बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. यहां कालीसिंध नदी से मिलने वाली सीसवाली खाडी नदी में भी उफान आ गया.
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इस वजह से निचली बस्तियां कालूपुरा, भैरूपुरा, मदारपुरा, गुलाबपुरा, हरिजन बस्ती, घांसभैरव मौहल्ला, रामदेव मौहल्ला, मुस्लिम बस्ती आदी बस्तियां जलमग्न हो गए. वहीं कई लोग मकानों में ही फंसे रहे. सैकडों लोगों के आशीयानें धराशायी हो गये. एसडीआरएफ की टीम के इन्चार्ज बद्रीलाल के नेतृत्व में सर्च आपरेशन कर 28 महिला. पुरूष और बच्चों सहित एक 32 दिन की नवजात को मां के साथ निकाल कर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया.

सीसवाली कस्बे की नदी में तीन दिन से लगातार पानी की आवक होने से लोग मकानों और अन्य जगहों पर फंसे रहे. गुलाबपुरा में नदी किनारे अपने खेत पर बने मन्दिर में एक महिला सहित तीन व्यक्ति 24 घण्टे से मन्दिर के ऊपर बने मन्दिर के शिखर पर बैठे रहे जिसे बुधवार को एसडीआरएफ की टीम द्वारा निकाला गया.
बारां जिला कलेक्टर नरेन्द्र गुप्ता, एसपी कल्याणमल मीणा सीसवाली कस्बे में पहुंच कर बाढग्रस्त बस्तियों में घुमकर हालातों का जायजा लिया. वहीं बाढग्रस्त लोगों के हालात जाने वहीं बाढग्रस्त लोगों के लिए बन रहे खाने के पेकेटों को पुलिस थाने पर बैठकर चखा उसकी गुणवत्ता जानी.
बारां जिले के अटरु क्षेत्र के ग्राम पंचायत अमलावदा हाली के गांव नीमथूर में परवन नदी में आई ऊफान के कारण गांव टापू बन गया और उसमें फंसे लोगों को सकुशल आर्मी के जवानों द्वारा रेस्क्यू कर बाहर निकाल लिया गया. परवन नदी में आई ऊफान के कारण शेरगढ़ बांध की सुरक्षा पाल टूट जाने के कारण कई गांवों में पानी घुस गया जिसके चलते छीपाबड़ौद तहसील क्षेत्र का गांव नीमथूर टापू बन गया.
छीपाबड़ौद तहसीलदार त्रिलोक चंद शर्मा द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि नीमथूर गांव में पानी भर जाने के कारण गांव टापू बन गया. जहां पहुंचकर सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला और कई लोगों को मंगलवार शाम को बाहर निकाल लिया गया. बाकी लोगों को बुधवार सुबह से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी कर सभी को सकुशल सेना के जवानों द्वारा बाहर निकाला गया.
बारां जिले की शरुआती सीमा पलायथा कालीसिंध नदी पर बनी पुलिया के पास की सेफ्टीवाल दीवार तेज बहाव के चलते ढह गयी लेकिन गनीमत यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से एक्शन लेते हुए मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया. यह पुलिया राजस्थान की लंबी पुलियाओं में गिनी जाती है जो कई राज्यो को जोड़ती है.
साथ ही बारां जिले को जोडने वाली कालीसिंध पुलिया पर से हजारों वाहन अन्य राज्यों में जाते हैं. इस समय कालीसिंध नदी उफान पर है जिसके चलते यह सेफ्टीवाल दीवार ढह गयी थी. इसके साथ ही मामले को लेकर दोनों ओर से पुलिया को वन वे कर दिया और पुलिया के एक ओर सिमलिया पुलिस और दूसरी ओर अंता पुलिस थाने का जाप्ता तैनात किया गया.
जिले के अंता में दूसरे दिन भी कालीसिंध नदी खतरे के निशान पर बह रही है और 50 साल बाद कालीसिंध नदी में इतने पानी की आवक हुई है. जिसके चलते नदी के तट वाले आधा दर्जन गांव टापू बन गए जिन पर प्रशासन नजर बनाए हुए हैं. वहीं रायपुरिया गांव से 322 लोगों को बाहर निकाल कर सुरक्षित जगह पर इंतजाम किए गए.
कालीसिंध में उफान के कारण अंता के पलायथा, लदवाड़ा, रायपुरिया, बालदड़ा, पाटुन्दा, हनोतीया सहित कई गांव कालीसिंध नदी के पानी के चपेट में आ चुके हैं. इसी के साथ नागदा बलदेवपुरा पेयजल परियोजना प्लांट भी पूरी तरह से डूब गया और क्षतिग्रस्त हो चुका है जिसके कारण कई दिनों तक लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध नही होगा.
कालीसिंध नदी में लगातार बढ़ रहा पानी अभी भी खतरा बना हुआ है और कालीसिंध नदी से 100 फीट ऊपर बना नागदा धाम भी पानी से तर हो गया. जिसको लेकर प्रसाशन लगातार मोनेटरिंग कर रहा है. शिवराज सिंह नागदा ने बताया कि ऐसा पानी लगभग सन 1972 मे आया था जिसको लगभग 50 वर्ष से भी ज्यादा समय हो चुका है.
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