In Pics: बारिश के बाद भरतपुर में लौटा सुकून, किसानों के चेहरे पर आई रौनक, देखें शानदार तस्वीरें
राजस्थान भरतपुर जिले में 20 सितंबर मंगलवार को अच्छी बरसात हुई. भरतपुर के डीग और कामां कस्बे में लगभग 3 इंच बरसात से किसानों के चेहरे पर रौनक आ गई. भरतपुर जिले में किसानों के पास खेती करने के लिए सिंचाई का कोई साधन नहीं है. इस वजह अच्छी बारिश उनके लिये वरदान साबित हो रही है.
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View In Appराजस्थान के कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गये. बरसात से भारी नुक्सान हुआ है लेकिन भरतपुर जिले में इस बार औसत से कम बरसात हुई. यही कारण है कि भरतपुर के सभी बांध और तालाब आज भी बरसात का इन्तजार कर रहे हैं. मौसम विभाग का तीन दिन से भरतपुर जिले में बारिश को लेकर अलर्ट था लेकिन मौसम विभाग के अलर्ट के बाद हल्की बरसात कहीं-कहीं पर हुई, जिससे तापमान में गिरावट आई. बादल छाने से और बूंदाबांदी होने से मौसम खुशनुमा हो गया.
किसान बरसात पर निर्भर रहता है. बरसात हो जाये तो किसान की फसल होती है अगर बरसात ना हो तो किसान का खेत बंजर रहता. भरतपुर जिले में जमीनी पानी खारा होने की वजह से सिंचाई के काम में नहीं ले सकते. यहां और कहीं से पानी की आवक नहीं है. पहले किसानों को बांध बरैठा, रूपारेल नदी, गम्भीरी नदी और बाणगंगा नदी से सिंचाई के लिए पानी मिल जाता था लेकिन अब जगह-जगह डेम बन गए हैं. डेम के बनने से पानी को पीछे ही रोक लिया जाता है.
मौसम विभाग का अलर्ट है कि 21 और 22 तारीख को बरसात होने का भरतपुर में सूर्य भगवान लुकाछिपी का खेल खेल रहे हैं. कभी धुप निकल जाती है तो कभी बादल छा जाते हैं. लोगों को मौसम विभाग के अलर्ट से उम्मीद जगी है. आज 21 सितंबर बुधवार को भी दिन में कई बार बूंदाबांदी हुई और मौसम सुहाना हुआ है.
भरतपुर में लोगों ने रात में एसी और कूलर चलाना बंद कर दिया है. तापमान में काफी गिरावट हुई है. घर के पंखे और कूलर भी ठण्डी हवा देने लगे हैं. रात को पंखे में भी ठण्ड का एहसास होने लगता है. आज 21 सितंबर को भी भरतपुर जिले के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां बरसात बहुत कम हुई. भरतपुर तहसील में बरसात कम होने से किसान चिन्तित हैं. अब कुछ दिनों के बाद रवि की फसल की बुवाई शुरू होने वाली है, अगर बरसात नहीं हुई तो किसानों के खेत बंजर रह जायेंगे.
भरतपुर की शान केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी की कमी है. जिले के लोगों को सप्लाई होने वाले चम्बल के पानी को जनता में सप्लाई ना करके केवलादेव को पानी दिया जा रहा है. आज भी शहर में चम्बल के पानी सप्लाई नहीं कीये गये. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी होगा तभी प्रवासी पक्षी वहां अपना डेरा डालेंगे. प्रवासी पक्षी होंगे तो पर्यटक भी उन्हें निहारने पहुंचेंगे जिससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. बादल छाने और बूंदाबांदी होने से मौसम सुहाना हो गया है. लोगों को रात के समय ठण्ड का एहसास होने लगा है. अब बरसात होने से घर के पंखे और कूलर भी ठण्डी हवा देने लगे. बरसात होने से इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी काफी राहत मिली है.
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