गंगा दशहरा पर भरतपुर के श्रीबांके बिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़, पतंगों की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
बांके बिहारी जी मंदिर की प्रतिमा लगभग 600 वर्ष पुरानी बताई जाती है. इस प्रतिमा के भरतपुर में स्थापित होने का इतिहास भी काफी दिलचस्प है.
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View In Appगंगा दशहरा पर्व पर श्री बांके बिहारी जी मंदिर में महिलाएं ढोलक की थाप पर भजन के साथ नृत्य करती दिखाई दी.
बांके बिहारी जी मंदिर के स्थापना को लेकर बताया जाता है कि नागा बाबा कल्याणगिरी चिन्तामणि यमुना नदी में स्नान कर रहे थे तो स्नान करते समय यह प्रतिमा उनकी गोदी में आ गई.
उसके बाद नागा बाबा प्रतिमा को बैलगाड़ी में रखकर वृंदावन से चल पड़े. उस बैलगाड़ी का पहिए चलते-चलते भरतपुर में जिस स्थान पर रूके वहां बांके बिहारी जी मंदिर की स्थापना कर दी गई. तभी से बांके बिहारी भरतपुरवासियों के इष्टदेव के रूप में कृपा बरसा रहे हैं.
भरतपुर का बृजेंद्र बिहारी मंदिर भी अपने आप में खास है. क्योंकि आपने अक्सर भगवान कृष्ण के साथ राधा जी की प्रतिमा को देखा होगा. लेकिन यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ रुकमणी और सत्यभामा की मूर्ति भी स्थापित है.
सेवर फोर्ट के सामने बने इस मंदिर का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था. मंदिर का निर्माण भरतपुर राज परिवार के महाराजा जसवंत सिंह ने करवाया था. महाराजा ने अपने पोते के जन्म की खुशी में यह मंदिर बनवाया था.
गंगा दशहरे पर भरतपुर के श्री बांके बिहारी जी के प्राचीन मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. पतंगों की झांकी सजावट ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.
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