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In Pics: भीमलत की वादियों में दो करोड़ की लागत से बन रही लवकुश वाटिका, वॉच टावर से दिखेंगे सुंदर झरने

राजस्थान सरकार ने बूंदी के प्राकृतिक विरासतों को संवारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हाड़ौती और मेवाड़ के संगम पर मौजूद भीमलत की वादियों को नया रूप दिया जाएगा.

राजस्थान सरकार ने बूंदी के प्राकृतिक विरासतों को संवारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हाड़ौती और मेवाड़ के संगम पर मौजूद भीमलत की वादियों को नया रूप दिया जाएगा.

(भीलमत झरने को वॉच टॉवर से देख सकेंगे )

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राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में यूं तो देखने के लिए सांस्कृतिक विरासत है लेकिन कुदरत ने छोटीकाशी बूंदी को प्राकृतिक रूप से भी काफी सुंदर बनाया है. ऐसे में राजस्थान सरकार ने बूंदी के इन प्राकृतिक विरासतों को संवारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. राज्य सरकार ने हाड़ौती और मेवाड़ के संगम पर मौजूद भीमलत की वादियों को नए आयाम देने के लिए लव कुश वाटिका निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. दो करोड़ की लागत से यहां लव कुश वाटिका बनाई जाएगी और घूमने के लिए ट्रैक बनेंगे. सुंदर झरने के लिए वॉच टावर बनाया जाएगा ताकि इस प्राकृतिक भीमलत झरने को देखने के लिए पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सके. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भीमलत में दो करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली लव कुश वाटिका का निर्माण भी शुरू हो गया. जहां प्राकृतिक झरने के साथ-साथ प्राकृतिक निखार भी आने वाले दिनों में नजर आने लगेगा.
राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में यूं तो देखने के लिए सांस्कृतिक विरासत है लेकिन कुदरत ने छोटीकाशी बूंदी को प्राकृतिक रूप से भी काफी सुंदर बनाया है. ऐसे में राजस्थान सरकार ने बूंदी के इन प्राकृतिक विरासतों को संवारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. राज्य सरकार ने हाड़ौती और मेवाड़ के संगम पर मौजूद भीमलत की वादियों को नए आयाम देने के लिए लव कुश वाटिका निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. दो करोड़ की लागत से यहां लव कुश वाटिका बनाई जाएगी और घूमने के लिए ट्रैक बनेंगे. सुंदर झरने के लिए वॉच टावर बनाया जाएगा ताकि इस प्राकृतिक भीमलत झरने को देखने के लिए पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सके. इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भीमलत में दो करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली लव कुश वाटिका का निर्माण भी शुरू हो गया. जहां प्राकृतिक झरने के साथ-साथ प्राकृतिक निखार भी आने वाले दिनों में नजर आने लगेगा.
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पर्यटन क्षेत्र से जुड़े पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि बूंदी जिले में स्थानीय वातावरण में जैव विविधता पहले से ही है. यहां वन्य जीव की अच्छी तादाद को देखते हुए इसे बाघ के बनाने की दिशा में एक अनुकूल महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है. क्योंकि यह हिस्सा भी बूंदी के रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बफर जोन का हिस्सा है लेकिन इसका नियंत्रण प्रशासनिक कोर में आ रहा है. लव कुश वाटिका करीब 24 हेक्टेयर में तैयार होगी और पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जाएगा ताकि पर्यटक भीमलत की प्राकृतिक सुनता को देखकर रोमांच महसूस कर सके.
पर्यटन क्षेत्र से जुड़े पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि बूंदी जिले में स्थानीय वातावरण में जैव विविधता पहले से ही है. यहां वन्य जीव की अच्छी तादाद को देखते हुए इसे बाघ के बनाने की दिशा में एक अनुकूल महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है. क्योंकि यह हिस्सा भी बूंदी के रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बफर जोन का हिस्सा है लेकिन इसका नियंत्रण प्रशासनिक कोर में आ रहा है. लव कुश वाटिका करीब 24 हेक्टेयर में तैयार होगी और पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया जाएगा ताकि पर्यटक भीमलत की प्राकृतिक सुनता को देखकर रोमांच महसूस कर सके.
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बूंदी शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर भीमलत के इस झरने पर हर वर्ष बारिश के सीजन में हजारों की तादात में लोग झरने का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं. झरने के नीचे महादेव का मंदिर स्थापित है जहां दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. इसी जगह पर सरकार की ओर से बनाए गए प्रस्ताव में लव कुश वाटिका के साथ साथ नक्षत्र वाटिका तैयार होगी, जिसमें राशियों के अनुसार पौधे लगाए जाएंगे. यहां आने वाले पर्यटकों के घूमने के लिए चार लंबे ट्रैक बनाए जाएंगे. झरने को ऊंचाई से देखने और गिरने के दृश्य को देखने के लिए वॉच टावर भी बनाया जाएगा. करीब 24 हेक्टेयर में 2 प्राकृतिक नाले भी बनाए जाएंगे जिस पर चेक डैम बनाने के साथ झोंपे भी तैयार होंगे. चारों ओर फेंसिंग कर गार्ड चौकी बनाई जाएगी. वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि टाइगर रिजर्व में करीब 107 वर्ग किमी एरिया आता है. इसमें कालदा वन चौकी, नीम का खेड़ा वन खंड आते हैं जो अभी भी बफर जोन में हैं लेकिन इसका प्रशासनिक नियंत्रण कोर में है. यहां नई रेंज भोपतपुरा बनाई जा रही है. जहां चिंकारा, सांभर की तादाद ज्यादा है इसके अलावा भालू बंदर भी बड़ी संख्या में विचरण कर रहे हैं.
बूंदी शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर भीमलत के इस झरने पर हर वर्ष बारिश के सीजन में हजारों की तादात में लोग झरने का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं. झरने के नीचे महादेव का मंदिर स्थापित है जहां दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. इसी जगह पर सरकार की ओर से बनाए गए प्रस्ताव में लव कुश वाटिका के साथ साथ नक्षत्र वाटिका तैयार होगी, जिसमें राशियों के अनुसार पौधे लगाए जाएंगे. यहां आने वाले पर्यटकों के घूमने के लिए चार लंबे ट्रैक बनाए जाएंगे. झरने को ऊंचाई से देखने और गिरने के दृश्य को देखने के लिए वॉच टावर भी बनाया जाएगा. करीब 24 हेक्टेयर में 2 प्राकृतिक नाले भी बनाए जाएंगे जिस पर चेक डैम बनाने के साथ झोंपे भी तैयार होंगे. चारों ओर फेंसिंग कर गार्ड चौकी बनाई जाएगी. वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि टाइगर रिजर्व में करीब 107 वर्ग किमी एरिया आता है. इसमें कालदा वन चौकी, नीम का खेड़ा वन खंड आते हैं जो अभी भी बफर जोन में हैं लेकिन इसका प्रशासनिक नियंत्रण कोर में है. यहां नई रेंज भोपतपुरा बनाई जा रही है. जहां चिंकारा, सांभर की तादाद ज्यादा है इसके अलावा भालू बंदर भी बड़ी संख्या में विचरण कर रहे हैं.
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बूंदी वन विभाग के रेंजर मनीष शर्मा ने बताया कि लवकुश वाटिका का काम शुरू हो गया है। शुरुआत में पौधे लग रहे हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए फेसिंग होगी. यहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं रहेंगी. ट्रैक, वॉच टावर बनेगा, जिससे ऊंचाई से गिरने वाले झरने को देखा जा सकेगा. शर्मा ने बताया कि लवकुश वाटिका बनाने का उद्देश्य इको टूरिज्म को बढ़ावा देना है. इससे भौमलत की प्राकृतिक सुंदरता में और बढ़ोतरी होगी. स्थानीय लोगों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि रोजगार ले सकें. यह एरिया मेवाड़ के एंट्री प्वाइंट पर होने से भी महत्वपूर्ण है.
बूंदी वन विभाग के रेंजर मनीष शर्मा ने बताया कि लवकुश वाटिका का काम शुरू हो गया है। शुरुआत में पौधे लग रहे हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए फेसिंग होगी. यहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं रहेंगी. ट्रैक, वॉच टावर बनेगा, जिससे ऊंचाई से गिरने वाले झरने को देखा जा सकेगा. शर्मा ने बताया कि लवकुश वाटिका बनाने का उद्देश्य इको टूरिज्म को बढ़ावा देना है. इससे भौमलत की प्राकृतिक सुंदरता में और बढ़ोतरी होगी. स्थानीय लोगों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि रोजगार ले सकें. यह एरिया मेवाड़ के एंट्री प्वाइंट पर होने से भी महत्वपूर्ण है.
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भीमलत मेवाड़ हाड़ौती के संगम पर स्थित है. गुजरात, उदयपुर की ओर से आने वाले पर्यटकों के लिए यह टाइगर रिजर्व का स्वागत द्वार रहेगा. यहां पर्यटकों के लिए पहले से ही सीताकुंड, बाणगंगा, भोलाकुई, शिकारबुर्ज, भीमलत- अभयपुरा बांध वेटलैंड जैसे दर्शनीय स्थल हैं. इसके अलावा साल में 8 माह ऊंचाई से जलप्रपात देखने को मिलता है. औषधीय पौधों से भरपूर हरियाली आंखों को सुकून देती है. भीमलत पर विकास होने से पर्यटन क्षेत्र में विकास होगा.
भीमलत मेवाड़ हाड़ौती के संगम पर स्थित है. गुजरात, उदयपुर की ओर से आने वाले पर्यटकों के लिए यह टाइगर रिजर्व का स्वागत द्वार रहेगा. यहां पर्यटकों के लिए पहले से ही सीताकुंड, बाणगंगा, भोलाकुई, शिकारबुर्ज, भीमलत- अभयपुरा बांध वेटलैंड जैसे दर्शनीय स्थल हैं. इसके अलावा साल में 8 माह ऊंचाई से जलप्रपात देखने को मिलता है. औषधीय पौधों से भरपूर हरियाली आंखों को सुकून देती है. भीमलत पर विकास होने से पर्यटन क्षेत्र में विकास होगा.

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