Bundi: गणगौर पर नकली कुश्ती का होता है आयोजन, लोग जीतने पर ऐसे मानते हैं जश्न, देखें तस्वीर
पुरे देश में गणगौर का त्यौहार पुरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. बूंदी जिले के भीया गांव में एक अनूठी परंपरा है. जिसमें नकली कुश्ती का खेल खेला जाता है. पुरे गांव के लोग समूह बनाकर नकली कुश्ती खेलते हैं. जो व्यक्ति इस कुश्ती में विजय हासिल करता है वह अपने जीत का जश्न मनाता है. वो पुरे गांव में मूंछों को ताव देकर जीत का जश्न मनाता है. इस आयोजन को हुड्डा महोत्सव का नाम दिया गया है जो रियासतकालीन समय से ही खेला जा रहा है.
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View In Appसैकड़ों वर्षों पूर्व कोटा दरबार के जैठी पहलवान के गांव के चौबे जी पहलवान द्वारा की गई कुश्ती में जैठी पहलवान की मौत हो गई थी. गांव में शुरू हुई मैत्रीभाव से नकली कुश्तियां आज तक जारी है.
जिसके तहत गांव के लोग एक दिन पूर्व गांव में घूम-घूम कर अपनी उम्र के लोगों के साथ जोड़िया बनाते हैं. जिसके बाद गणगौर के दिन जैसी ही ढोल की थाप लोगों को सुनाई देती है वैसे-वैसे वे अपनी मूंछों पर ताव देते हुए घरों से निकल कर जुलूस के रूप में सहकारी समिति के पास स्थित मैदान में आ जाते हैं. जहां वे अपनी हम उम्र के लोगों के साथ जमकर मैत्रीभाव से नकली कुश्तियां करते हैं.
गणगौर के पर्व पर गांव में आयोजित किये जाने वाले हडूडा लोकोत्सव में गांव के लोगों द्वारा की जाने वाली मैत्रीभाव की नकली कुश्तियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस दौरान सभी लोगों में गजब का उत्साह होता है.
बुजुर्ग दिनेश बोहरा (70) ने बताया कि हडूडा से एक दिन पूर्व रात में गांव में काट्या के बालाजी की पूजा-अर्चना के बाद जोड़ियां निकाली जाती है. काट्या बालाजी से शुरू होकर जोड़ियां मालियों के मोहल्ले, हड़क्या बाालाजी, प्रजापत मोहल्ला, सुखरायजी का मोहल्ला होते हुए सहकारी गोदाम पहुंचती है.
गांव में पूर्व में सामूहिक रूप से ही हडूडा पर्व मनाया जाता रहा है. एक दशक से ब्राह्मण समाज सहकारी गोदाम, मीणा और मेघवाल समाज तालाब की पाल पर हडूडा पर्व मनाते हैं.
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