Bundi Mahotsav 2023: बूंदी महोत्सव में बिखरी लोक संस्कृतिक वैभव की छटा, बड़ी संख्या में पहुंचे विदेशी पर्यटक, देखें तस्वीरें
हड़ौती के पर्यटन पर्व बूंदी महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो गया, जिसके तहत यहां हड़ौती की लोक संस्कृति की छटा बिखेरी गई. दूसरी ओर पारम्परिक खेलों का भी आयोजन किया गया. दीपादन हुआ. विदेशी मेहमानों ने भी बूंदी महोत्सव का जमकर आनंद लिया.
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View In Appविधि विधान से बूंदी महोत्सव का आगाज छोटी काशी में लोक सांस्कृतिक रंगों के बीच हुआ. जिला कलेक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने मंगल वाद्य यंत्रों की ध्वनि के बीच मंत्रोच्चार और शंखनाद से गणपति पूजन वंदन किया. इसके बाद जिला कलेक्टर, बूंदी के पूर्व राजपरिवार सदस्य वंश वर्धन सिंह ने ध्वजारोहण कर पर्यटन पर्व का शुभारंभ किया.
बूंदी महोत्सव के तहत भगवान गणेश की पूजा अर्चना पंडित विश्वनाथ शर्मा ने सम्पन्न कराई. बच्चे लोक कलाकारों के संग थिरकते नजर आए. स्काउट गाइड़ और राजकीय विद्यालयों के स्कूली बच्चे कतारबद्ध होकर अनुशासन में चल रहे थे. लोक कलाकारों ने संगीत, धुनों के बीच कच्छी घोड़ी नृत्य कर समां बांधा.
प्रतियोगिता के दौरान महिलाओं की पणिहारी दौड़ हुई. इसमें महिलाओं ने सिर पर मटकी रखकर दौड़ लगाई. इस प्रतिस्पर्धा ने हर किसी को रोमांचित कर दिया. इस जोर-आजमाइश में विदेशी सैलानियों ने प्रतियोगिता जीत ली.
परेड ग्राउड पर उत्सवी रंगों के बीच हुई प्रतियोगिताओं ने सभी को रोमांचित कर दिया. यहां स्थानीय कलाकारों और विदेशी पर्यटकों ने रस्सा-कस्सी में दम दिखाया तो दूसरी तरफ मूंछों पर ताव भी देखने को मिला.
विदेशी महिला पुरुषों ने जहां जोश और उत्साह के साथ साफा बांधने में होड दिखाई, वहीं स्थानीय पुरुषों ने भी साफा बांधा. विदेशी पर्यटकों की साफा बांधो प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पिनाओ, दूसरे स्थान पर बेल्जियम के इस्कनेट, तीसरे स्थान पर जर्मनी के विको रहे.
बूंदी महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृखंला में बूंदी की नवल सागर झील में दीपदान कार्यक्रम आयोजित हुआ. दीपदान के बाद नवलसागर झील दीपों से जगमगा उठी.
प्रशासनिक अधिकारियों सहित विदेशी सैलानियों ने गंगा मां की आरती उतारी और झील में दीपदान किया. इसके बाद शहरवासियों ने भी झील में दीपदान किया.
इससे पहले कलाकारों ने कच्छी घोड़ी नृत्य और अलगोजावादन की शानदार प्रस्तुतियां दी. साथ ही आदिवासी घेरापद मंडल, सवाई माधोपुर के प्रभु लाल मीणा, कैलाश, चंदू आदि द्वारा लोकगीतों की प्रस्तुति दी गई.
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