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In Pics: बूंदी के इन गांवों में 1000 लोग सैलाब में फंसे, सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन की तस्वीरें आईं सामने

Rajasthan: राजस्थान के बूंदी में बाढ़ बारिश का कहर जारी है. यहां लाखेरी उपखण्ड के चाणदा, मालियों की बाड़ी, कांकरा मेज, बसवाड़ा, पाली, खाखटा सहित कई गांव मेज नदी के कहर के चपेट में आ गये.

Rajasthan: राजस्थान के बूंदी में बाढ़ बारिश का कहर जारी है. यहां लाखेरी उपखण्ड के चाणदा, मालियों की बाड़ी, कांकरा मेज, बसवाड़ा, पाली, खाखटा सहित कई गांव मेज नदी के कहर के चपेट में आ गये.

(बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर ले जा रही सेना)

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राजस्थान (Rajasthan)के बूंदी (Bundi) में बाढ़ बारिश का कहर जारी है. यहां लाखेरी उपखण्ड के चाणदा, मालियों की बाड़ी, कांकरा मेज, बसवाड़ा, पाली, खाखटा सहित कई गांव मेज नदी के कहर के चपेट में आ गये. ऐसे में प्रशासन ने गांव के लोगों का रेस्क्यू करने के लिए सेना की मदद ली है.
राजस्थान (Rajasthan)के बूंदी (Bundi) में बाढ़ बारिश का कहर जारी है. यहां लाखेरी उपखण्ड के चाणदा, मालियों की बाड़ी, कांकरा मेज, बसवाड़ा, पाली, खाखटा सहित कई गांव मेज नदी के कहर के चपेट में आ गये. ऐसे में प्रशासन ने गांव के लोगों का रेस्क्यू करने के लिए सेना की मदद ली है.
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सेना की एक टुकड़ी. एसडीआरएफ दो कंपनियां और स्थानीय सिविल डिफेंस की टीमें गांव में रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कार्य कर रही है. जिला प्रशासन के मुताबिक इन गांवों में 1000 से अधिक लोग फंसे हैं जिनमें से करीब 200 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है.
सेना की एक टुकड़ी. एसडीआरएफ दो कंपनियां और स्थानीय सिविल डिफेंस की टीमें गांव में रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कार्य कर रही है. जिला प्रशासन के मुताबिक इन गांवों में 1000 से अधिक लोग फंसे हैं जिनमें से करीब 200 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है.
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जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी प्रशासनिक अमले के साथ इन गांव में मौजूद हैं और लोगों को रेस्क्यू कर नाव में बैठाया जा रहा है. गांव में लोगों के घरों में कीमती सामग्री होने की वजह से लोग घरों को छोड़ने से मना कर रहे हैं.
जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी प्रशासनिक अमले के साथ इन गांव में मौजूद हैं और लोगों को रेस्क्यू कर नाव में बैठाया जा रहा है. गांव में लोगों के घरों में कीमती सामग्री होने की वजह से लोग घरों को छोड़ने से मना कर रहे हैं.
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ऐसे में प्रशासन गांव के लोगों को कड़ी मशक्कत के साथ शिफ्ट करवा रही है. बाढ़ और बारिश का पानी इस कदर है कि इन गांवों के कई मकान पूरी तरह से डूब चुके हैं तो कई मकान जमींदोज हो गए हैं. करीब 200 से अधिक कच्चे मकान टूट गए हैं. प्रशासन ने परिवारों को रेस्कयू करने के बाद अस्थाई रैन बसेरे में रुकवाया है.
ऐसे में प्रशासन गांव के लोगों को कड़ी मशक्कत के साथ शिफ्ट करवा रही है. बाढ़ और बारिश का पानी इस कदर है कि इन गांवों के कई मकान पूरी तरह से डूब चुके हैं तो कई मकान जमींदोज हो गए हैं. करीब 200 से अधिक कच्चे मकान टूट गए हैं. प्रशासन ने परिवारों को रेस्कयू करने के बाद अस्थाई रैन बसेरे में रुकवाया है.
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गातार बारिश होने के चलते बारिश का पानी चंबल नदी में उफान रहा है. कोटा बैराज के सभी गेटों को खोलकर 6 लाख से अधिक क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. ऐसे में चंबल नदी के उफनते सैलाब से जिले के केशोरायपाटन उपखण्ड के हाल भी बेहाल हैं.
गातार बारिश होने के चलते बारिश का पानी चंबल नदी में उफान रहा है. कोटा बैराज के सभी गेटों को खोलकर 6 लाख से अधिक क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. ऐसे में चंबल नदी के उफनते सैलाब से जिले के केशोरायपाटन उपखण्ड के हाल भी बेहाल हैं.
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यहां केशोरायपाटन शहर के कुछ बस्तियों में पानी घुस गया है जबकि इसी क्षेत्र के रोटेदा, घाट का बराना गांव में भी पानी घुस जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. प्रशासन ने लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है. वहीं जिले की मेज नदी भी उफान पर है.
यहां केशोरायपाटन शहर के कुछ बस्तियों में पानी घुस गया है जबकि इसी क्षेत्र के रोटेदा, घाट का बराना गांव में भी पानी घुस जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. प्रशासन ने लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है. वहीं जिले की मेज नदी भी उफान पर है.
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यहां गुढा बांध के सभी गेट खोले जाने के चलते यह नदी चंबल नदी में जाकर मिल रही है. ऐसे में दोनों नदी का समागम मिलने से मेज नदी अपने रूद्र ऊपर बह रही है. ऐसे में जिले के लाखेरी उपखंड के आधा दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
यहां गुढा बांध के सभी गेट खोले जाने के चलते यह नदी चंबल नदी में जाकर मिल रही है. ऐसे में दोनों नदी का समागम मिलने से मेज नदी अपने रूद्र ऊपर बह रही है. ऐसे में जिले के लाखेरी उपखंड के आधा दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
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काकरा मेज गांव निवासी चेतराम गुर्जर ने बताया कि उनकी आयु 40 वर्ष हो चुकी है और उनके घर में बड़े बुजुर्ग भी मौजूद हैं. उन्होंने इससे पहले ऐसा मंजर नहीं देखा था. जब गांव की गलियों घरों में पानी का सैलाब हो.
काकरा मेज गांव निवासी चेतराम गुर्जर ने बताया कि उनकी आयु 40 वर्ष हो चुकी है और उनके घर में बड़े बुजुर्ग भी मौजूद हैं. उन्होंने इससे पहले ऐसा मंजर नहीं देखा था. जब गांव की गलियों घरों में पानी का सैलाब हो.
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पूरे गांव के लोग सहम चुके हैं, गांव में बिल्कुल मायूसी छाई हुई है. क्योंकि इस गांव में इस बार किसानों ने सोयाबीन, उड़द की फसल की थी जो इस सैलाब में डूब चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारे सामने केवल आसमान से बरसती आफत ही है.
पूरे गांव के लोग सहम चुके हैं, गांव में बिल्कुल मायूसी छाई हुई है. क्योंकि इस गांव में इस बार किसानों ने सोयाबीन, उड़द की फसल की थी जो इस सैलाब में डूब चुकी है. उन्होंने कहा कि हमारे सामने केवल आसमान से बरसती आफत ही है.
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ग्रामीण ने बताया कि कई ग्रामीण अभी भी घर खाली करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उनकी फसलें तो पूरी तरह से नष्ट हुई चुकी है. अब घर में बचा हुआ सामान भी वह अपनी आंखों के सामने नष्ट होता देख नहीं सकते. इसलिए अपने सामने ही उसकी देखरेख करने के लिए वह इस सैलाब में रहना चाहते हैं.
ग्रामीण ने बताया कि कई ग्रामीण अभी भी घर खाली करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उनकी फसलें तो पूरी तरह से नष्ट हुई चुकी है. अब घर में बचा हुआ सामान भी वह अपनी आंखों के सामने नष्ट होता देख नहीं सकते. इसलिए अपने सामने ही उसकी देखरेख करने के लिए वह इस सैलाब में रहना चाहते हैं.
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बूंदी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी लाखेरी उपखंड के आधा दर्जन गांव में प्रशासनिक अमले के साथ डेरा डाले हुए हैं. सेना के जवानों के बीच कलेक्टर खुद लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे हैं.
बूंदी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी लाखेरी उपखंड के आधा दर्जन गांव में प्रशासनिक अमले के साथ डेरा डाले हुए हैं. सेना के जवानों के बीच कलेक्टर खुद लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे हैं.
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बूंदी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि इन गांवों में पानी की स्थिति काफी गंभीर है. इन गांव के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है अभी तक जिले में कोई जनहानि नहीं हुई है.
बूंदी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि इन गांवों में पानी की स्थिति काफी गंभीर है. इन गांव के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है अभी तक जिले में कोई जनहानि नहीं हुई है.
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उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि इन गांव में कच्चे मकान पूरी तरह से गिर जाने से ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ा है. कई किसानों की फसलें पानी में जलमग्न होने से नष्ट हो गई है. हमारी कोशिश है कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा कर उनकी जान बचाई जाए.
उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि इन गांव में कच्चे मकान पूरी तरह से गिर जाने से ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ा है. कई किसानों की फसलें पानी में जलमग्न होने से नष्ट हो गई है. हमारी कोशिश है कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा कर उनकी जान बचाई जाए.
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बूंदी जिला कलेक्टर ने बताया कि जब तक नदी का जलस्तर कम नहीं होगा तब तक इन गांवों का पानी कम होने के आसार नहीं हैं. उन्होंने बताया कि सुबह से सेना के जवान इन गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि उजाले में इन लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर राहत की सांस लें. हालांकि मौसम विभाग द्वारा बूंदी जिले में आगामी दिनों तक कोई बारिश का अलर्ट भी नहीं किया है जो बूंदी जिले के लिए राहत की खबर है.
बूंदी जिला कलेक्टर ने बताया कि जब तक नदी का जलस्तर कम नहीं होगा तब तक इन गांवों का पानी कम होने के आसार नहीं हैं. उन्होंने बताया कि सुबह से सेना के जवान इन गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि उजाले में इन लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर राहत की सांस लें. हालांकि मौसम विभाग द्वारा बूंदी जिले में आगामी दिनों तक कोई बारिश का अलर्ट भी नहीं किया है जो बूंदी जिले के लिए राहत की खबर है.

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