In Pics : देश-दुनिया में चर्चित है चित्तौड़गढ़ का किला, तस्वीरों में देखिए सदियों पहले कैसा था उसका नजारा
चित्तौड़गढ़ दुर्ग जो देश का सबसे बड़ा किला और सभी किलो का सिरमौर कहा जाता है. इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण मौर्य वंश के राजा चित्रांगद मौर्य ने 7वीं शताब्दी में करवाया था.
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View In Appयह किला कई खूनी लड़ाइयों का गवाह रहा है. खास बात यह है की चित्तौड़गढ़ महाराणाओं की स्थली मेवाड़ की राजधानी भी रहा है. हालांकि बाद में राजधानी उदयपुर को कर दिया गया था.
यहां अलग-अलग समय में तीन जोहर भी हुए हैं. यह कई बलिदानों की स्थली है. वहीं अलग-अलग समय मे यहां कई निर्माण भी हुए.
यह एक मात्र किला है, जहां तक पहुंचने के लिए 7 भव्य और विशाल द्वार बने हुए हैं. ये किला 590 फिट की ऊंचाई पर पहाड़ी पर स्थित है और करीब 700 एकड़ में फैला हुआ है.
इस किले को 2013 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. चित्तौड़गढ़ दुर्ग में जयमल की हवेली भी है.
इस हवेली का निर्माण उदयपुर की स्थापना करने वाले महाराणा उदयसिंह के काल में किया गया था.
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के 7 पोल यानी दरवाजे हैं और सभी दरवाजों का नाम है. प्रथम दरवाजे का नाम पांडुपोल, दूसरे का भैरवपोल है.
इसी तरह तीसरे का गणेशपोल, चौथा लक्ष्मणपोल, पांचवे का जोड़न पोल और छठे दरवाजे को त्रिपोलिया के नाम से जाना जाता है. इसी तरह सातवां दरवाजे को रामपोल कहा जाता है.
इसी तरह सातवें दरवाजे को रामपोल कहा जाता है. यहां ऐतिहासिक विजय स्तंभ बना है. जिसे महाराणा कुम्भा ने बनवाया था. यहां का आकर्षण का केंद्र पद्मिनी महल है. इसके चारों तरफ पानी होता है. (फोटो क्रेडिट डॉ महेश शर्मा, उदयपुर)
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