In Pics: चित्तौड़गढ़ में हुआ जौहर श्रद्धांजलि कार्यक्रम, तस्वीरों में देखें मेवाड़ की आन-बान और शान
जौहर, इस शब्द को पूरा हिंदुस्तान जानता है. बॉलीवुड फिल्म पद्मावत में भी इसे दर्शाया गया है. यह जौहर चित्तौड़गढ़ में हुआ था. इसे लेकर चित्तौड़गढ़ में जौहर श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया, जिसमें मेवाड़ की आन-बान और शान दिखाई दी.
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View In Appइस कार्यक्रम में पूर्व राजपरिवार के सदस्य, मंत्री और कई नेता भी उपस्थित हुए. पूरे शहर में शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें महिलाएं और युवतियां वीरांगनाओं के वेश में निकली.
शोभायात्रा के बाद चित्तोड़गढ़ दुर्ग में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सभी ने संबोधन दिया. इस शोभायात्रा में 51 घोड़े, 2 बैंड, 2 गैर नृत्य दल निकले. वीरांगनाओं के वेश में युवतियां निकली.
इस भव्य शोभायात्रा का 251 स्वागत द्वार पर 100 से ज्यादा संगठनों ने पुष्पवर्षा से स्वागत किया. कार्यक्रम में चित्तौड़गढ़ में बने मेडिकल कॉलेज का नाम महाराणा प्रताप पर रखने की मांग की गई.
चित्तौड़गढ़ में सिर्फ एक जौहर के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं, लेकिन यहां एक नहीं, तीन जौहर हुए हैं. जानकारों के अनुसार पहला जौहर 26 अगस्त 1303 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय महारानी पदमिनी के नेतृत्व में 16 हजार नारियों ने जौहर किया.
इसके बाद शाका हुए यानी पुरुष सैनिक निश्चिंत होकर दुश्मन सेना पर टूट पड़े थे. दूसरा जौहर 8 मार्च 1535 में हुआ था जिसमें गुजरात के शासक बहादुरशाह के हमले के समय राजमाता कर्णावती ने 13 हजार क्षत्राणियों के साथ जौहर किया फिर शाका हुआ.
वहीं तीसरा जौहर 23 फरवरी 1568 चित्तौड़गढ़ की व्यवस्था का संचालन सामंत फतेहसिंह चुंडावत यानी फत्ता और जयमल राठौड़ के हाथों में था. तीन चार महीने बाद भी अकबर को दुर्ग प्रवेश में सफलता नहीं मिली, जिससे युद्ध होना तय था.
कार्यक्रम में पूर्व राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह और उनका परिवार, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शक्तावत, राजस्थान कांग्रेस सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उपस्थित थे.
सामंत फत्ता की पत्नी फूलकंवर मेडतणी की अगुवाई में जौहर की तैयारी हो गई. रणनीतिक तौर पर तीन जगह जौहर हुए.
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