Gangaur Festival: जोधपुर में 11 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा गणगौर उत्सव, महिलाओं के लिए है बेहद खास
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राजस्थान में गणगौर का उत्सव 11 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा. 16 दिन तक चलने वाले इस पर्व पर महिलाएं और कुंवारी लड़कियां गणगौर का पूजन करती है.
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महिलाएं अपने सुहाग की सलामती और सुख समृद्धि के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए मां गणगौर का पूजन करती है. जिसको लेकर महिलाएं तैयारियों में जुट गई है.
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शादीशुदा महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए गवर माता और ईश्वर की पूजा अर्चना करती है. यह भगवान श्री महादेव और मां पार्वती का स्वरूप है जब मां पार्वती अपने पीहर जाती है. राधिका जहा गवर बनी है तो पायल ईसर बनी हुई है. दोनों ने बताया कि गणगौर तीज का त्यौहार जोधपुर में खासा महत्व भी रखता है. गणगौर के दौरान भोग स्वरूप गुणा-सकरपारा अर्पित किए जाते हैं.
पायल डागा ने बताया कि गणगौर माता की पूजन के लिए गुडला घर-घर घूमता है मंदिरों के अलावा घरों में भी गोरे गणगौर माता खोल की वादी जैसे गणगौर के गीत गूंजने लगते हैं.
इन दोनों जोधपुर शहर में भी गणगौर को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है शाम ढलने के साथ ही गली मोहल्ले महिला एक साथ जुटकर घुड़ले के साथ ईसर व गणगौर का पूजन करती है. महिलाएं कई तरह की अलग-अलग स्वांग रचती है. इस आयोजन से पुरुषों को दूर रखा जाता है.
गीता राठी ने बताया कि होली के दिन से 16 दिवसीय गणगौर पूजा की शुरुआत होती है. शीतला अष्टमी को कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर विधि-विधान से गणगौर की स्थापना की जाती है.
गणगौर और ईसर का सामूहिक रूप से विधि-विधान से पूजन किया जाता है. शाम को पार्कों में बच्चों को बींद-बीनणी का स्वरूप बनाकर गाजे-बाजे के साथ बिंदौरी निकाली जाती है. गणगौर के दिन ईसर-गणगौर की पार्वती व शिव के रूप में पूजा की जाती है.
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