Haunted Village of Rajasthan: इस भूतिया गांव में रात के वक्त जाना है मना, एक श्राप के बाद हो गया था विरान!
देश में कई ऐतिहासिक स्थानों हैं, जिनसे जुड़े राज सदियों से अनसुलझे हैं. ये रहस्य ऐसे हैं, जिन्हें जितना सुलझाने की कोशिश की जाती है. वह उतना ही उलझता चला जाता है. ऐसा ही एक राज कुलधरा में दफन है. यह ऐसा गांव है, जो रातों-रात वीरान हो गया था. सदियों से लोग आज तक इस राज को समझ नहीं पाए कि आखिर इस गांव के वीरान होने का राज किया था. अनसुलझे राज वाले गांव को लोगों ने भूतिया गांव का नाम दे दिया.
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View In Appअगर हम बात करें दुनिया के भूतिया जगहों की तो राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा गांव नाम सबसे पहले सामने आता है. इस कुलधरा गांव में दिन में तो हजारों पर्यटक देखने के लिए घूमते फिरते दिखते हैं, लेकिन शाम होते ही यह कुलधरा गांव वीरान हो जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह श्रापित गांव है. यहां पर अब भूतों का निवास है, जो रात को यहां पर रुकने वाले को यहां रहने नहीं देते हैं. इसी कारण से यह गांव खाली है.
जैसलमेर से 14 किलोमीटर दूर कुलधरा गांव जो पिछले सैकड़ों सालों से वीरान पड़ा है. यह गांव देश दुनिया में भूतिया जगह में शुमार है. ऐसा माना जाता है कि पालीवाल ब्राह्मण समाज के लोगों ने सरस्वती नदी के किनारे इस गांव को बसाया था. उस दौरान इस गांव में खूब चहल-पहल हुआ करती थी. सैकड़ों परिवार कुलधरा की धरती पर आराम से रह रहे थे. अचानक रातों-रात यह गांव खाली हो गया. उसके बाद से वीरान पड़ा है, लेकिन आज ऐसी स्थिति है कि यहां कोई भी इंसान रात को भटकने से भी डरता है. इतने सालों बाद भी यहां पर किसी भी इंसान की बसाहट नहीं हुई है . इस वजह से यहां पर बने घर और मंदिर सभी वीरान खंडहर में तब्दील हो होते जा रहे हैं.
18 वीं ईस्वी में कुलधरा गांव मंत्री सालिम सिंह के अधीन एक जागीर या राज्य हुआ करता था. सालिम सिंह के बारे में बताया जाता है कि वह बहुत ही क्रूर था और लोगों का उत्पीड़न करता था. लोगों के साथ विश्वासघात भी किया करता था. अतिरिक्त कर वसूली से यहां के ग्रामीणों से लोग परेशान रहने लगे. पुरानी कहावतों में यह कहा जाता है कि सालिम सिंह को गांव के प्रधान की बेटी पसंद आ गई थी. इसके बाद उसने गांव वालों को धमकी दी कि अगर उन्होंने इस बात का विरोध करने की कोशिश की या रास्ते में आए तो वो और ज्यादा कर वसूल करेगा.
गांव के प्रधान ने अपने गांव वालों की जान बचाने के साथ-साथ अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया सहित पूरा गांव रातों-रात गांव छोड़कर चले गए. ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने जाते समय इस कुलधरा को श्राप दिया था कि यहां आने वाले दिनों में कोई नहीं रह पाएगा.
भूतिया गांव कुलधरा की देखरेख की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की. भारी संख्या में पर्यटक यहां दिन में घूमने आते हैं. कुलधरा एक विशाल जगह में फैला हुआ था. पालीवाल ब्राह्मणों की इस क्षेत्र में लगभग 85 छोटी-मोटी बस्तियां शामिल थी. अब गांव की सभी झोपड़ियां टूटकर खंडहर हो चुकी है. यहां एक देवी का मंदिर भी है, जो अब खंडहर हो चुका है. इस गांव में एक शिलालेख भी है. जिससे पूर्व में रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकती हैं.
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