Photos: उदयपुर में वन विभाग ने की केमिकल फ्री होली की विशेष तैयारी, आदिवासी महिलाओं से बनवा रहा हर्बल गुलाल
रंगों का उत्सव होली का त्योहार आने वाला है. बिना रंग के त्योहार का जश्न फीका लगता है. उदयपुर में होली पर रंग जमाने की विशेष तैयारी की गई है.
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View In Appवन विभाग पालक, हल्दी सहित अन्य फूलों से गुलाल बनवा रहा है. गुलाल आदिवासी क्षेत्र में रहने वाली महिलाएं बना रही हैं.
जंगलों के फूलों को प्रोसेस कर रंग-बिरंगा गुलाल बनाया जाता है. केमिकल फ्री नेचुरल रंग और गुलाल से स्किन को इंफेक्शन नहीं होगा.
सुरक्षा प्रबंधन समिति की वन विभाग मॉनिटरिंग करता है. हर्बल गुलाल को उदयपुर, दिल्ली सहित अन्य जगहों पर भी सप्लाई किया जाता है.
डीएफओ सुशील कुमार सैनी ने बताया कि जंगल से पलास सहित अलग.अलग रंगों के फूलों को तोड़कर लाया जाता है.
फूल कम पड़ने पर चुकंदर, मेथी, पालक का भी इस्तेमाल होता है. सबसे पहले देसी तरीके से पीसने के बाद गरम पानी में उबाला जाता है.
फिर छानकर पानी निकाल लिया जाता है. मक्की के आटे में मिलाकर 8.10 दिन तक सुखाया जाता है. मशीन में पीसने के बाद गुलाल तैयार हो जाता है.
होली से पहले अलग-अलग जगह स्टॉल लगाकर हर्बल गुलाल की बिक्री की जाती है. अधिकारियों का कहना है कि होली खेलते समय कई बार गुलाल चेहरे पर लग जाता है.
पानी मिलने पर गुलाल कलर छोड़ने लगता है. चेहरे से निकालना बड़ी मुश्किल हो जाता है. गुलाल में केमिकल मिलाकर रंग को लाया जाता है.
वन विभाग की तरफ से बन रहे हर्बल गुलाल में रंग लाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
वन विभाग की तरफ से हरा, गुलाबी, पीला और केसरिया रंग का गुलाल बनाया जा रहा है. हरा रंग लाने के लिए पशुओं का चारा रचका, पालक या मेथी का इस्तेमाल किया जाता है.
गुलाबी रंग लाने के लिए मंदिरों में इस्तेमाल हो चुके गुलाब की पत्तियां, पीला रंग लाने के लिए अमलतास फूल की पत्तियां या हल्दी और केसरिया रंग लाने के लिए पलास फूलों का इस्तेमाल होता है.
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