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Holi 2023: यहां बादशाह होली पर लोगों को लुटाता है 'खर्ची', मुगलकाल से निभा रहे परंपरा, देखें तस्वीरें
Badshah Fair: देश के विभिन्न राज्यों में होली कई अंदाज में मनाई जाती है लेकिन राजस्थान के ब्यावर में धुलंडी के दूसरे दिन निकाली जाने वाली बादशाह की सवारी खास है.
![Badshah Fair: देश के विभिन्न राज्यों में होली कई अंदाज में मनाई जाती है लेकिन राजस्थान के ब्यावर में धुलंडी के दूसरे दिन निकाली जाने वाली बादशाह की सवारी खास है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/1cf24a65812588d28736b0596fb2b40a1678342456508210_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
(ब्यावर में होली पर बादशाह मेला, फोटो- सुमित सारस्वत)
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![राजस्थान के ब्यावर शहर में धुलंडी के दूसरे दिन ऐतिहासिक बादशाह मेला आयोजन किया. बीरबल का घूमर नृत्य मेले का मुख्य आकर्षण रहा. बादशाह की सवारी के दौरान शहर में 'आओ बादशाह, झूमो बादशाह...' गीत गूंजता रहा. रथ पर सवार बादशाह और वजीर दोनों हाथों से गुलाल रूपी खर्ची लुटा रहे थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/f91bc78626e50dd7ad41a66863cf1cbf4ee64.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
राजस्थान के ब्यावर शहर में धुलंडी के दूसरे दिन ऐतिहासिक बादशाह मेला आयोजन किया. बीरबल का घूमर नृत्य मेले का मुख्य आकर्षण रहा. बादशाह की सवारी के दौरान शहर में 'आओ बादशाह, झूमो बादशाह...' गीत गूंजता रहा. रथ पर सवार बादशाह और वजीर दोनों हाथों से गुलाल रूपी खर्ची लुटा रहे थे.
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![अमीर हो या गरीब हर शख्स इस गुलाल को लूटने के लिए लालायित दिखाई दिया. लोग बादशाह के सामने हाथ फैलाकर ‘बादशाह खर्ची दे.., बादशाह की फतह हो..‘ पुकार रहे थे.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/a7e0cbc4364f711a08a0a39fc64770c648794.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
अमीर हो या गरीब हर शख्स इस गुलाल को लूटने के लिए लालायित दिखाई दिया. लोग बादशाह के सामने हाथ फैलाकर ‘बादशाह खर्ची दे.., बादशाह की फतह हो..‘ पुकार रहे थे.
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![बादशाह और वजीर लोगों को गुलाल रूपी खर्ची लुटा रहे थे. इस वक्त का नजारा ऐसा लगा मानो अबीर वर्षा हो रही हो. जिन मार्गों से बादशाह सवारी गुजरी उन सड़कों पर गुलाल की चादर बिछ गई. मान्यता है कि बादशाह की गुलाल रूपी खर्ची को गुल्लक में रखने पर बरकत होती है. व्यापारियों का कारोबार बढ़ता है. यही वजह है कि इस गुलाल को लूटने के लिए देश-प्रदेश से लोग यहां आते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/3fbddd18fa46c5cc8a7d62ed5d32499cd57bd.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बादशाह और वजीर लोगों को गुलाल रूपी खर्ची लुटा रहे थे. इस वक्त का नजारा ऐसा लगा मानो अबीर वर्षा हो रही हो. जिन मार्गों से बादशाह सवारी गुजरी उन सड़कों पर गुलाल की चादर बिछ गई. मान्यता है कि बादशाह की गुलाल रूपी खर्ची को गुल्लक में रखने पर बरकत होती है. व्यापारियों का कारोबार बढ़ता है. यही वजह है कि इस गुलाल को लूटने के लिए देश-प्रदेश से लोग यहां आते हैं.
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![होली को अनूठी बनाने वाला ऐतिहासिक बादशाह मेला कौमी एकता की मिसाल है. हिंदू-मुस्लिम एकता के रूप में भाईचारे और सद्भावना का संदेश देता है. ब्यावर में यह मेला वर्ष 1851 से हर साल आयोजित किया जा रहा है. इस मेले में बादशाह और वजीर की भूमिका अग्रवाल और बीरबल की भूमिका ब्राह्मण निभाता है. इस साल बादशाह रोशन अग्रवाल, वजीर गुलाब गर्ग और बीरबल गाेविंद उपाध्याय बने. अकबर बादशाह मुसलमान था इसलिए मुस्लिम कौम के युवा भी इस मेले में भागीदारी निभाते हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/4f91c2ec64c84485c4416ac58a3a21377535d.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
होली को अनूठी बनाने वाला ऐतिहासिक बादशाह मेला कौमी एकता की मिसाल है. हिंदू-मुस्लिम एकता के रूप में भाईचारे और सद्भावना का संदेश देता है. ब्यावर में यह मेला वर्ष 1851 से हर साल आयोजित किया जा रहा है. इस मेले में बादशाह और वजीर की भूमिका अग्रवाल और बीरबल की भूमिका ब्राह्मण निभाता है. इस साल बादशाह रोशन अग्रवाल, वजीर गुलाब गर्ग और बीरबल गाेविंद उपाध्याय बने. अकबर बादशाह मुसलमान था इसलिए मुस्लिम कौम के युवा भी इस मेले में भागीदारी निभाते हैं.
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![बादशाह की सवारी भैरूजी मंदिर से प्रारंभ हुई. यहां से मुख्य मार्गों व बाजारों से होते हुए उपखण्ड कार्यालय पहुंची, जहां बादशाह और उपखंड अधिकारी के बीच प्रतीकात्मक गुलाल युद्ध हुआ. काफी देर चलने वाले गुलाल युद्ध में उपखंड अधिकारी ने हार मानते हुए बादशाह के रूतबे को सलाम किया. पारंपरिक वार्तालाप में बादशाह ने प्रशासन को फरमान सुनाया. उपखंड अधिकारी को आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने, नशे के अवैध कारोबार को खत्म करने व अन्य निर्देश दिए.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/09/f424e947390dbc12a25e02c0fbf6b6c29135a.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
बादशाह की सवारी भैरूजी मंदिर से प्रारंभ हुई. यहां से मुख्य मार्गों व बाजारों से होते हुए उपखण्ड कार्यालय पहुंची, जहां बादशाह और उपखंड अधिकारी के बीच प्रतीकात्मक गुलाल युद्ध हुआ. काफी देर चलने वाले गुलाल युद्ध में उपखंड अधिकारी ने हार मानते हुए बादशाह के रूतबे को सलाम किया. पारंपरिक वार्तालाप में बादशाह ने प्रशासन को फरमान सुनाया. उपखंड अधिकारी को आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने, नशे के अवैध कारोबार को खत्म करने व अन्य निर्देश दिए.
Published at : 09 Mar 2023 11:47 AM (IST)
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