In Pics: कोटा के इस श्रीकृष्ण मंदिर में श्रीनाथ जी के बाल स्वरूप के चरणों की होती है पूजा, ये है मान्यता
धार्मिक नगरी कोटा में भगवान बड़े मथुराधीश जी विराजमान हैं. कोटा से 18 किमी. दूर भगवान श्रीकृष्ण एक ऐसा मंदिर है जहां सालों से भगवान श्रीनाथजी के बाल स्वरूप चरणों की पूजा होती है. मोतीपुरा गांव में देश की प्रमुख 6 चरण चौकियों में तीसरे नंबर की चरण चौकी है. ये कोटा की धरोहर है जो आधात्मिक चेतना का अनुभव कराती है. पुष्टिमार्गीय संप्रदाय पीठ की ओर से यहां सेवा पूजा होती है. यहां आठों पहर की सेवा पूजा नियमित होती है. अस्पर्शी सेवा यहां नित प्रधान सेवा के रूप में है. यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भी बडी संख्या में उपस्थति रहती है. मान्यता अनुसार यहां दर्शन करने मात्र से सुख की प्राप्ती होती है.
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View In Appमंदिर समिति पदाधिकारियों का कहना है कि यह स्थान 550 वर्ष पुराना है. जब पूरे देश में आक्रांताओं मुगलों का आतंक था और मंदिर खंडित किए जा रहे थे. उसी समय मथुरा से ब्रज भूमि को छोड़कर ठाकुरजी राजस्थान मेवाड़ की धरती पर खमसेरा गांव उदयपुर नाथद्वारा पधार रहे थे. उस समय बरसात में एक चातुर्मास ठाकुर जी ने यहीं (मोतीपुरा) में किया था. ठाकुर जी यहां चार महीने विराजमान थे. 4 महीने तक यहां उनकी पूजा अर्चना की गई. उस समय यहां घना जंगल था. सुरक्षा की दृष्टि से यहां चरण चौकी नाम से पुलिस चौकी स्थापित की गई.
मोतीपुरा गांव में देश की प्रमुख 6 चरण चौकियों में तीसरे नंबर की चरण चौकी है. प्रभु ने सेवक के कहने पर शिला पर पद चिन्ह अंकित किए उसके बाद से यहां नियमित सेवा पूजा हो रही है. ठाकुर जी के यहां से जाने के बाद उनके निजी सेवक ने उनसे विनती और आग्रह किया. उन्होंने कहा कि यहां कोई आप ऐसा चिन्ह दें ताकि यह भूमि आपके तपोवन से पवित्र रहे. उसके बाद ठाकुर जी ने यहां एक शिला पर अपने पद चिन्ह अंकित किए जो सदियों से आज भी इस धरा पर मौजूद है.
यहां की भूमि नंदमय रही है इसलिए कोटा को नंद गांव भी कहते हैं. यहां सबसे अधिक भक्त गुजरात से आते हैं. लोगों की यहां अटूट आस्था है. भगवान की तस्वीर के ठीक नीचे चरण चौकी स्थापित है. अस्पर्शी सेवा होने के कारण अंदर किसी को प्रवेश नहीं है. मंदिर में आने वाले भक्त, साइड में लगी खिड़की से चरण चौकी के दर्शन करते हैं.
चरण चौकी की महिमा न्यारी है प्रकृति भी यहां महरबान है. आसपास हजारों वृक्ष, जलस्त्रोत हैं लेकिन उनमें से भी प्रमुख यहां स्थापित कुआं है. इस कुएं में साल भर पानी रहता है. कुएं के जल से ठाकुर जी को स्नान कराया जाता है. लोग दूर-दूर से कुएं का पानी लेने आते हैं और ऐसी मान्यता है कि यहां के पानी से रोग निवारण होता है. मोतीपुरा के बाद किशनगढ़ ऊंची गेल, चौपासनी (जोधपुर), श्रीनाथद्वारा कृष्ण भंडार में ठाकुर जी की चरण चौकी है. मोतीपुरा चरण चौकी, मंदिर मंडल नाथद्वारा टेंपल बोर्ड के नियंत्रण में है. कोटा के मूल वैष्णव परिवार, पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय पीठ मंदिर का संचालन करती है.
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