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गणगौर माता के श्रृंगार में करोड़ों के सोने-चांदी के जेवरात से सजा कर निकाली जाती है शोभयात्रा

Gangaur Puja 2024: राजस्थान में इन दिनों चैत्र मास में गणगौर का उत्सव मनाया जा रहा है. जोधपुर शहर के हर गली मोहल्ले में पूजी जाने वाली गणगौर की एक अलग ही कथा है. इसका एक अलग ही खास इतिहास है.

Gangaur Puja 2024: राजस्थान में इन दिनों चैत्र मास में गणगौर का उत्सव मनाया जा रहा है. जोधपुर शहर के हर गली मोहल्ले में पूजी जाने वाली गणगौर की एक अलग ही कथा है. इसका एक अलग ही खास इतिहास है.

गणगौर माता के ससुराल से पीहर जाने के दौरान निकलने वाली शोभायात्रा

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गणगौर माता के श्रंगार में करोड़ों रुपए की सोने चांदी के जेवरात पहनाए जाते हैं. मां गणगौर माता की सुरक्षा के लिए हथियार बंद पुलिस के जवान भी तैनात होते हैं. चैत्र मास की तृतीया को मां गौरी का स्वरूप गणगौर माता अपने ससुराल से 7 दिन के लिए पीयर के लिए निकलती है.
गणगौर माता के श्रंगार में करोड़ों रुपए की सोने चांदी के जेवरात पहनाए जाते हैं. मां गणगौर माता की सुरक्षा के लिए हथियार बंद पुलिस के जवान भी तैनात होते हैं. चैत्र मास की तृतीया को मां गौरी का स्वरूप गणगौर माता अपने ससुराल से 7 दिन के लिए पीयर के लिए निकलती है.
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यह आयोजन बहुत खास होता है. मान्यता के अनुसार गणगौर माता की पूजा कुंवारी कन्याएं करती है. तो उन्हें अच्छा व संपन्न परिवार मिलता है. वही विवाहित महिलाएं व्रत व पूजा करती है. तो उनका सुहाग अखंड रहता है. घर परिवार में सुख समृद्धि रहती है. इसको छोटी गणगौर के रूप में पूजा जाता है.
यह आयोजन बहुत खास होता है. मान्यता के अनुसार गणगौर माता की पूजा कुंवारी कन्याएं करती है. तो उन्हें अच्छा व संपन्न परिवार मिलता है. वही विवाहित महिलाएं व्रत व पूजा करती है. तो उनका सुहाग अखंड रहता है. घर परिवार में सुख समृद्धि रहती है. इसको छोटी गणगौर के रूप में पूजा जाता है.
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यह 16 दिन तक चलने वाला उत्सव है. पूर्व की बात करें तो 73 साल पहले जोधपुर के राज परिवार गणगौर माता की सवारी निकल करते थे. राज परिवार में हादसा होने के बाद से राज परिवार ने मां गणगौर माता की सवारी की जिम्मेदारी जोधपुर शहर के तीन परिवारों को दी जो आज दिन तक गणगौर माता की सवारी धूमधाम से निकलते हैं.
यह 16 दिन तक चलने वाला उत्सव है. पूर्व की बात करें तो 73 साल पहले जोधपुर के राज परिवार गणगौर माता की सवारी निकल करते थे. राज परिवार में हादसा होने के बाद से राज परिवार ने मां गणगौर माता की सवारी की जिम्मेदारी जोधपुर शहर के तीन परिवारों को दी जो आज दिन तक गणगौर माता की सवारी धूमधाम से निकलते हैं.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है. इस चैत्र मास में गणगौर माता की पूजा को लेकर कहा गया है कि भगवान श्री महादेव जो ईश्वर का रूप लिए हुए हैं. उन्होंने मां पार्वती को आशीर्वाद दिया था कि जो भी चैत्र मास में आपकी पूजा अर्चना करेगा. उसकी सभी इच्छाएं पूरी होगी.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है. इस चैत्र मास में गणगौर माता की पूजा को लेकर कहा गया है कि भगवान श्री महादेव जो ईश्वर का रूप लिए हुए हैं. उन्होंने मां पार्वती को आशीर्वाद दिया था कि जो भी चैत्र मास में आपकी पूजा अर्चना करेगा. उसकी सभी इच्छाएं पूरी होगी.
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गणगौर माता कमेटी के संचालक बताते हैं कि यह हमारी चौथी पीढ़ी है 1952 में राज परिवार की ओर से हमारे शहर के मौजिज लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी. जिसमे बंसीलाल भैया ने गणगौर की सवारी के आयोजन के लिए अपने मित्र नारायण दास सोनी अमरचंद मूंदड़ा के साथ मिलकर जिम्मेदारी संभाली थी. उसके बाद से अब तक हमारी चौथी पीढ़ी संभाल रही है. करीब 73 सालों से परंपरा के अनुसार गणगौर माता की सवारी निकल जा रही है.
गणगौर माता कमेटी के संचालक बताते हैं कि यह हमारी चौथी पीढ़ी है 1952 में राज परिवार की ओर से हमारे शहर के मौजिज लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी. जिसमे बंसीलाल भैया ने गणगौर की सवारी के आयोजन के लिए अपने मित्र नारायण दास सोनी अमरचंद मूंदड़ा के साथ मिलकर जिम्मेदारी संभाली थी. उसके बाद से अब तक हमारी चौथी पीढ़ी संभाल रही है. करीब 73 सालों से परंपरा के अनुसार गणगौर माता की सवारी निकल जा रही है.
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गणगौर माता की सवारी के लिए राज परिवार की ओर राज परिवार के बैंड भेजा जाता है. इस भव्य आयोजन की सवारी शहरभर से होकर निकलती है. शहरभर के लोग मां गणगौर माता का आशीर्वाद लेते हैं.
गणगौर माता की सवारी के लिए राज परिवार की ओर राज परिवार के बैंड भेजा जाता है. इस भव्य आयोजन की सवारी शहरभर से होकर निकलती है. शहरभर के लोग मां गणगौर माता का आशीर्वाद लेते हैं.
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मां गणगौर माता की सवारी के आयोजन के दौरान एक मेले जैसा उत्सव पूरे शहर में रहता है. रात को 3 बजे गणगौर माता की सवारी अपने ससुराल पहुंचती है.7 दिन तक गणगौर माता अपने पियर में रहती है. जोधपुर में रहने वाली गणगौर माता की तीन बहनों से भी मिलती है. हर घर में यह उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
मां गणगौर माता की सवारी के आयोजन के दौरान एक मेले जैसा उत्सव पूरे शहर में रहता है. रात को 3 बजे गणगौर माता की सवारी अपने ससुराल पहुंचती है.7 दिन तक गणगौर माता अपने पियर में रहती है. जोधपुर में रहने वाली गणगौर माता की तीन बहनों से भी मिलती है. हर घर में यह उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
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गवर माता कमेटी ने इस बार मां गणगौर माता की सवारी के लिए खास तरह के इंतजाम किए हैं. गणगौर माता की श्रृंगार में करोड़ों रुपए की सोने चांदी की जेवरात से उन्हें सजाया गया है. साथ ही उनकी सवारी के लिए हैदराबाद से खासतौर से मोती मंगवाए गए हैं. जिसे गणगौर माता की सवारी की पालकी में सजाया गया है.
गवर माता कमेटी ने इस बार मां गणगौर माता की सवारी के लिए खास तरह के इंतजाम किए हैं. गणगौर माता की श्रृंगार में करोड़ों रुपए की सोने चांदी की जेवरात से उन्हें सजाया गया है. साथ ही उनकी सवारी के लिए हैदराबाद से खासतौर से मोती मंगवाए गए हैं. जिसे गणगौर माता की सवारी की पालकी में सजाया गया है.

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