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Rajasthan News: जोधपुर में है पत्थरों का अनूठा म्यूजियम, चट्टानों और खनिज के सेंपल हैं मौजूद, देखें तस्वीरें
Jodhpur: राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर जोधपुर जिसे पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसी नगरी में पत्थरों का एक ऐसा अनूठा म्यूजियम है. पेट्रोल क्रूड ऑयल के सैंपल भी इस म्यूजियम में हैं.

जोधपुर में पत्थरों का म्यूजियम
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राजस्थान का दूसरा बड़ा शहर जोधपुर जिसे पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसी नगरी में पत्थरों का एक ऐसा अनूठा म्यूजियम है. बाड़मेर के मंगला टर्मिनल से निकलने वाले पेट्रोल क्रूड ऑयल के सैंपल भी इस म्यूजियम में हैं.
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दूर दराज से आने वाले विद्यार्थी और विषय विशेषज्ञ म्यूजियम में सरंक्षित पत्थरों और विलुप्त समुद्री जीवों के जीवाश्मों के सैंपल देखकर अचंभित हो जाते हैं. पत्थरों के म्यूजियम में विद्यार्थियों और अन्य जिज्ञासुओं के लिए पत्थरों की नायाब जानकारी भी यहां मौजूद है. यहां पृथ्वी के बनने से लेकर आज तक की चट्टानों, खनिज और उनकी लाइफ के सैंपल हैं.
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यहां पर कई रत्नों को भी संग्रहहित किया गया है. जिसमें सेंडस्टोन, लिग्नाइट, जिप्सम के सैंपल खासतौर पर शामिल हैं. यह म्यूजियम जानकारी का संग्रह है. इस अनोखी जगह पर आपको विलुप्त होते समुद्री जीवों- जैसे टॉलबाइट और एमोनाइट के सैंपल भी देखने को मिलेंगे. जिन्हें खूबसूरत और सुरक्षित ढंग से कांच के बॉक्स में संग्रहित कर रखा गया है.
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धपुर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग में मौजूद हैं ये अनूठा पत्थरो का म्यूजियम, जहां चट्टानो और पत्थरों के साथ ही मिनरल्स और जीवाश्म संग्रहित किए गए हैं. भू विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एस आर जाखड़ ने बताया कि धरती की गर्भ में कई तरह के पत्थर खनिज जीवाश्म और पेट्रोलियम पर्दर्थों का खजाना मौजूद है.
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प्रोफेसर एस आर जाखड़ ने बताया भू विज्ञान विभाग के परिसर में पत्थरों चट्टानों और जीवाश्म को लेकर एक म्यूजियम बनाया गया है. इस म्यूजियम में जब धरती का निर्माण हुआ था, उस समय के साक्ष्य पत्थरों और चट्टानों में मिले हैं. जो 10 हजार करोड़ वर्ष पूर्व के हैं. पृथ्वी जीवित है. इसमें कई तरह की खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं.
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प्रोफेसर एस आर जाखड़ ने बताया कि, कई ज्वालामुखी के जरिए चट्टाने बनती हैं, तो कई जगह खनिज निकलते हैं. इस समय पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तान रेत के समंदर के रूप में जाना जाता है. यहां पर कभी पानी का समंदर हुआ करता था. इसके प्रमाण भी इस म्यूजियम में उपलब्ध हैं. 12000 करोड़ साल पहले जुरासिक काल के दौरान के प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं.
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प्रोफेसर जाखड़ ने बताया कि धरती की गर्भ से कई जगह अलग-अलग तरह के खनिज प्राप्त हुए हैं. पत्थरों की बात करें तो कई तरह के अलग-अलग पत्थरों की खदानों से पत्थर निकलते हैं. कई पत्थर स्टोन के रूप में काम आते हैं. पत्थरों में बनी संरचनाओं और उनका डिजाइन देखकर उनकी उम्र का अंदाजा लगाया जाता है.
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प्रोफेसर ने बताया कि पत्थरों पर अलग-अलग लेयर्स या कई तरह के डिजाइन बने होते हैं. वह खगोलीय घटनाओं का प्रमाण हैं.
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प्रोफेसर जाखड़ ने कहा कि कई तरह के खनिज सामने आ रहे हैं. इसमें फॉल्स गोल्ड यानी नकली सोना जो सोने की तरह दिखता है, लेकिन वो सोना नहीं है. इस तरह के खनिज भी धरती से निकल जा रहे हैं. जाखड़ ने दावा किया कि जहां हिमालय हैं वहां पर समुद्र हुआ करता था. कई सागर हुआ करते थे.
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प्रोफेसर जाखड़ ने दावा किया कि समय के साथ वह सागर भी नष्ट हो गए. पृथ्वी की साइकिलिंग के कारण अब हिमालय धीरे-धीरे बढ़ रहा है. वो एक समय सीमा के अंदर एक इंच बढ़ रहा है. पश्चिमी राजस्थान के नागौर जैसलमेर बाड़मेर में खनिजों का भंडार है.
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प्रोफेसर ने कहा कि आने वाले समय में जैसलमेर में सीमेंट के अधिकतर प्लांट लगेंगे. इस तरह से नागौर जिले में कार्बोनेट के भंडार मिले हैं. बाड़मेर में पेट्रोलियम और मुल्तानी मिट्टी के भंडार हैं. साथ ही कार्बोनेट के बहुत ज्यादा डिपॉजिट हैं.
Published at : 28 Feb 2024 02:22 PM (IST)
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रामधनी द्विवेदीवरिष्ठ पत्रकार
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